Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

बड़ा सवाल: आकाश, ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों के होते हुए क्यों चाहिए S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम...

हमें फॉलो करें बड़ा सवाल: आकाश, ब्रह्मोस, पृथ्वी और अग्नि जैसी मिसाइलों के होते हुए क्यों चाहिए S-400 ट्रायम्फ मिसाइल सिस्टम...
, शुक्रवार, 5 अक्टूबर 2018 (14:21 IST)
किसी भी मिसाइल रक्षा प्रणाली का सबसे बड़ा सामरिक फायदा है जब एक साथ कई विमान या मिसाइल हमला होता है। भारत के प्रतिद्वंदी चीन के पास पहले से ही ये रक्षा प्रणाली मौजूद है। भारत को हमेशा से ही 2 मोर्चों पर युद्ध की आशंका बनी रहती है। 
 
थलसेना और वायुसेना प्रमुख कई बार इस ओर आगाह कर चुके हैं। पाकिस्तान के परमाणु संपन्न मिसाइलों के परिक्षणों को देखते हुए चिंता लाजमी थी। साथ ही भारत की सामरिक जरूरतों और वृहद सीमाओं को देखते हुए भी एक इंटेग्रेटेड डिफेंस सिस्टम की जरूरत बनी हुई थी।  
 
एस-400 वायु सुरक्षा प्रणाली से पाकिस्तान के साथ-साथ चीन की ओर से भी मिसाइल हमलों और हवाई हमलों के खतरे का जवाब दिया जा सकता है। मोदी और पुतिन के बीच हुई डील के बाद अब भारत भी इसका इस्तेमाल करेगा।  
भारत के पास इस वक्त स्वदेशी आकाश और इसराइली बराक-8 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है। इसके अलावा भारत खुद का मल्टीलेयर बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस सिस्टम विकसित कर रहा है जो कम और ज्यादा ऊंचाई वाले टारगेट को भेदने की क्षमता से लैस होगा। 
 
भारत एडवांस एयर डिफेंस मिसाइल सिस्टम और पृथ्वी एयर डिफेंस सिस्टम के नाम से दो मिसाइल डिफेंस सिस्टम भी विकिसत कर रहा है। इसलिए सवाल उठता है कि फिर क्यों भारतीय सेनाओं को जरूरत है S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम की।
 
रक्षा विशेषज्ञों के अनुसार समस्या यह है कि इस समय भारत के इन सिस्टम की क्षमता उतनी नहीं है जितने खतरे भारत की सुरक्षा को लेकर हैं। आकाश और बराक की रेंज 100 किलोमीटर से ज्यादा नहीं है। ये सिस्टम अभी तक सिर्फ बैलेस्टिक मिसाइल वाला है यानी अगर भारत पर क्रूज मिसाइलों से हमला होता है तो यह सिस्टम कारगर साबित नहीं होगा।
webdunia
इसके अलावा भारतीय सिस्टम अभी पूरी तरह तैयार नहीं है और न ही इसे सेनाओं द्वारा हरी झंडी मिली है। परिक्षणों और ट्रायल्स के बाद इन्हें भारतीय सेना में शामिल करने में वक्त लगेगा। जबकि S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम पूरी तरह तैयार सिस्टम है। इसे पांच मिनट के अंदर तैनात किया जा सकता है और 17 हजार प्रति किलोमीटर की रफ्तार से एक साथ 80 से 100 टारगेट पर निशाना साध सकता है। 
 
इसकी सबसे बड़ी खासियतों में एक है इसकी आसान आवाजाही। इसे बड़ी आसानी से एक जगह से दूसरी जगह ले जाया जा सकता है। 400 किलोमीटर के रेंज में यह स्ट्रेटजिक बॉम्बर, इलेक्ट्रोनिक वारफेयर प्लेन, बैलिस्टिक मिसाइल, स्ट्रेटजिक क्रूज मिसाइल, ड्रोन और छिपे हुए विमानों का सामना करने में सक्षम है। 
 
यह न्यूक्लियर मिसाइलों को भी रोकने में कारगर है। यह 400 किमी दूर तक विमानों, क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों तथा ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बनाने में सक्षम है। यह भारत के लिए न्युक्लीयर मिसाइल शील्ड का भी काम करेगा। पाकिस्तान या चीन की परमाणु बैलिस्टिक मिसाइलों को हवा में ही नष्ट करने में सक्षम एस-400 वायु सुरक्षा प्रणाली एक तरह की मिसाइल शील्ड है। 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बीयर और मस्ती के बीच यौन हिंसा का कड़वा सच