आपके पसंदीदा हिंदी ब्लॉग कौन-से हैं।यह सवाल कठिन है। यह बदलता भी रहता है। इसीलिये मेरे ब्लॉग पर कोई लिंक्स नहीं है। जिन ब्लॉग्स को नियमित देखती हूँ, उनमें से कुछ हैंप्रत्यक्षारवीशजी का कस्बाअनामदासअज़दकघुघूति बासूतिऔर भी कई ब्लॉग पसंद हैं, जैसे अनिल रघुराज जी का ब्लॉग एक हिंदुस्तानी की डायरी। आस्तीन का अजगर और रजनीगंधा।पसंद पर भी कोई बंदिश नहीं है। कभी भी किसी पर भी मन आ जाता है।वर्तमान में हिंदी ब्लॉगिंग की जो स्थिति है, उसके बारे में आपकी क्या राय है।हिन्दी ब्लॉगिंग एक क्रांति के जैसी है। अधिकतर लोग, जो इससे जुड़े हुए हैं, वह एक पुरानी संस्कृति और नई संस्कृति के बीच का अहम जुड़ाव है। यह वे लोग हैं, जो हिन्दी में सोचते हैं और की-बोर्ड तक की पहुँच हासिल कर चुके हैं। हिन्दी ब्लॉगिंग से अपने डेस्टिनेशन को गंतव्य में बदल रहे हैं।
यहाँ आत्मविश्वास की खेती हो रही है और इस संभावना की तलाश हो रही है कि क्या विचार, भाव और विशुद्ध ज्ञान (अँग्रेजी के बिना) पर्याप्त है, समाज को आगे ले जाने के लिए। हो सकता है कि यही लोग अँग्रेजों की बरसों पहले दी गई गुलाम मानसिकता को बदलने में सक्षम हो जाएँ अँग्रेजी एक भाषा और हिन्दी हमारी अभिव्यक्ति बन जाए।
हमारे समाज के बहुत समर्थ हिन्दी भाषी लोग अभी भी की-बोर्ड से दूर हैं। कोई पहल, जो इन लोगों को ब्लॉगिंग से जोड़ सके, हिन्दी ब्लॉगिंग को चरम सीमा तक पहुँचा सकती है।
हिंदी ब्लॉगिंग के भविष्य को आप किस रूप में देखती हैं।
हिन्दी ब्लॉगिंग के भविष्य का विस्तार बहुत अधिक है। यह जिस तरह से बढ़ रहा है, इसके कद के बारे में कोई सवाल नहीं बचता। परंतु यह समय अहम है। हर जल्दी बड़ी होती चीज़ की तरह यह अपनी मनमानी दिशा में विस्तृत हो रही है। इसे सही दिशा देना जरूरी है। नहीं तो किसी नियोजन के बिना यह बड़े हुए शहर-सी हो जाएगी, जहाँ अच्छी सड़कें और साँस लेने के लिए हरियाली नहीं होगी।
इंटरनेट युग के इस नए आविष्कार के बारे में आपका क्या विचार है।
ब्लॉगिंग का महत्व ग्लोबलाइजेशन जितना है। अपने घर बैठकर मैं अमेरिकन, इराकी और चीनी जीवन बहुत करीब से देख सकती हूँ। इनसे अपनी बुनियादी समानता और फर्क को समझ सकती हूँ। भाषा की कोई बंदिश न होने की वजह से कच्चे चिट्ठे बिना संपादन के अपने कुदरती रंगों में कभी भी खोलकर पढ़े जा सकते हैं। इतने तेज़ और गतिमान आविष्कार के सामने मैं नतमस्तक हूँ।
क्या आपको लगता है कि ब्लॉगिंग से हिंदी भाषा का विकास होगा।
मुझे लगता नहीं है, यह एक सच्चाई है। हिन्दी के कई भूले हुए शब्द साहित्य के पन्नों से निकलकर आम इन्सान की बोली में घुलने लगे है। यह एक महत्वपूर्ण बदलाव है। जब तक भाषा का व्यावहारिक जिंदगी में असर न हो, किसी बदलाव का कोई मतलब नहीं है।
आपके विचार से हिंदी ब्लॉगिंग में क्या कमियाँ हैं, जो दूर होनी चाहिए।
कौन लोग हैं, जो हिन्दी में ब्लॉग लिख रहे हैं। आप छह-सात ब्लॉग भी निकालकर देखें तो आराम से इस निष्कर्ष पर पहुँच सकते हैं कि एक किस्म की बेचैनी इन सभी ब्लॉगर्स में एकसमान है। अधिकतर किसी तलाश में निकले हैं और अपनी बेचैनियों को शब्द दे रहे हैं। अगर अलग शब्दों में बयान किया जाए तो बहुत कम संयत, सफल और समवृत्ति वाले लोग ब्लॉग्स लिख रहे हैं। इसी वजह से समाज की पूरा अनुप्रस्थ काट (क्रॉस सेक्शन) उपलब्ध नहीं है। और यही इसकी अहम कमज़ोरी है। आगे जाने के लिए समाज के हर भाग से प्रतिनिधित्व आवश्यक है।
बहुत विषयों पर लिखा जा रहा है, किन्तु वैज्ञानिक क्षेत्रान्मुखता का अभाव है। साहित्य और पत्रकारिता के हिसाब से ब्लॉगिंग फिर भी परिपक्व है, किंतु बाकी क्षेत्रों में संभावनाओं कि गुंजाइश बहुत है।
हिंदी ब्लॉगिंग में किन विषयों पर नहीं लिखा जा रहा है, जिन पर लिखे जाने की जरूरत है।
व्यवसाय कैसे चुने, बच्चों के लिए, नए शोधों के परिणाम, शिक्षा, सेहत, दफ्तर, रसोई, फैशन, देश-विदेश, सिलाई-बुनाई, कृषि, होमवर्क आदि विषयों पर भी लिखा जाना चाहिए।
जैसाकि पहले भी कहा कि जो आम लोग अपने जीवन से संतृप्त हैं, संयत हैं और खुशी-खुशी जीवन निर्वाह कर रहे हैं, हिन्दी ब्लॉग्स में उनके आगमन का इंतज़ार है।
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