नई दिल्ली। केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दिल्ली हिंसा पर बोलते हुए बुधवार को कहा कि दिल्ली हिंसा सुनियोजित साजिश थी और 300 दंगाई उत्तर प्रदेश से आए थे।
उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा के मामले में 700 से ज्यादा केस दर्ज किए गए हैं, जबकि 1100 से ज्यादा आरोपियों की पहचान की गई है। 40 टीमें दंगाइयों को पकड़ने में जुटी हैं। जनता ने दिल्ली दंगों से जुड़े कई वीडियो भेजे हैं। उनकी भी जांच की जा रही है।
इसलिए दंगा प्रभावित इलाकों में नहीं गए शाह : अमित शाह ने कहा कि मैं इन जगहों पर इसलिए नहीं गया क्योंकि मेरे जाने से पुलिस मेरी सुरक्षा में लग जाती जबकि उस समय दिल्ली पुलिस का मुख्य काम दंगों को रोकना था। मैं पूरे समय दिल्ली पुलिस के साथ था। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ आगरा और डिनर पर भी मैं नहीं गया। अजित डोभाल को मैंने ही दंगा प्रभावित इलाकों में भेजा।
दिल्ली पुलिस ने 36 घंटों के भीतर ही हिंसा पर काबू पा लिया। यहां मैं साफ कर दूं कि मैं इन 36 घंटों के दौरान जो भी हुआ उसको अंडरमाइन करने की कोशिश नहीं कर रहा हूं। दिल्ली में हुए दंगों को देश और दुनिया के सामने अलग रंग देने का प्रयास किया जा रहा है।
विपक्ष का आरोप : इससे पहले विपक्षी दलों ने पिछले दिनों दिल्ली हिंसा के दौरान गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में विफल रहने का आरोप लगाया और मांग की कि इस प्रकरण की उच्चतम न्यायालय के वर्तमान न्यायाधीश को लेकर न्यायिक जांच कराई जानी चाहिए।
चर्चा में भाग लेते हुए तृणमूल कांग्रेस के सौगत रॉय ने गृहमंत्री अमित शाह के इस्तीफे की मांग उठाई। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर और भाजपा के कुछ अन्य नेताओं ने भड़काऊ बयान दिए जिससे तनाव बढ़ा और हिंसा हुई। उन्होंने कहा कि इस मामले में न्यायिक जांच कराई जाए और यह जांच उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराई जाए।
द्रमुक के टीआर बालू ने कहा कि सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से सरकार को बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि दिल्ली हिंसा की न्यायिक जांच होनी चाहिए। शिवसेना के विनायक राउत ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत दौरे के समय ये दंगे हुए और प्रशासन से रोक नहीं पाया।
बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि सीएए में मुस्लिम समुदाय को भी शामिल किया जाए तथा सरकार अल्पसंख्यकों में विश्वास बहाली के लिए कदम उठाए ताकि गलतफहमियां दूर हो सकें। उन्होंने कहा कि अहिंसा शब्द को संविधान की प्रस्तावना में शामिल किया जाए।
बसपा के रितेश पांडे ने भी गृह मंत्रालय और दिल्ली पुलिस पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि हिंसा में पुलिस की भूमिका को लेकर जो वीडियो सामने आए हैं वो शर्मनाक हैं। सपा के शफीकुर्रहमान बर्क ने भी दिल्ली हिंसा के मामले की न्यायिक जांच की मांग की।
राकांपा के अमोल कोल्हे ने भी न्यायिक जांच की मांग उठाई और कहा कि दिल्ली पुलिस ने अपनी भूमिका का सही निर्वहन नहीं किया। भाजपा की सहयोगी जदयू के राजीव रंजन सिंह ने कहा कि इसकी जांच होनी चाहिए कि हिंसा के पीछे कौन लोग हैं। अगर इसकी जांच सही से हो गई तो कई सफेदपोश लोगों के नाम सामने आ जाएंगे।
भाजपा के संजय जायसवाल ने आरोप लगाया कि कांग्रेस सत्ता में बाहर रहने की वजह से एक बार फिर हिंसा भड़का रही है क्योंकि वह 'बांटो और राज करो' में विश्वास करती है।