हिन्दू माह का चौथा माह होता है आषाढ़ माह। इस माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी यानी देवशयनी एकादशी से चातुमास प्रारंम हो जाते हैं। आषाढ़ी एकादशी के दिन से चार माह के लिए देव सो जाते हैं जो फिर देव उठनी एकादशी को उठते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार चातुर्मास का प्रारंभ 06 जुलाई 2025 से होगा। यह चार माह तप के द्वारा सिद्धि प्राप्त करने या शरीर एवं मन को स्वस्थ करने के माह होते हैं। यदि आप भी किसी भी प्रकार की सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो 5 कार्य करें।
पहला कार्य त्याग करें:
1. इस दौरान फर्श पर सोना और सूर्योदय से पहले उठना बहुत शुभ माना जाता है।
2. प्रतिदिन अच्छे से स्नान करना और अधिकतर समय मौन रहना चाहिए। अनावश्यक वार्ता का त्याग करें।
3. दिन में केवल एक ही बार भोजन करना चाहिए। एक समय ही उत्तम भोजन ग्रहण करना चाहिए।
4. इन चार माह में तेल से बनी चीजों का सेवन न करें, दूध, शकर, दही, तेल, बैंगन, पत्तेदार सब्जियां, नमकीन या मसालेदार भोजन, मिठाई, सुपारी, मांस और मदिरा का सेवन नहीं करें।
5. श्रावण में पत्तेदार सब्जियां यथा पालक, साग इत्यादि, भाद्रपद में दही, आश्विन में दूध, कार्तिक में प्याज, लहसुन और उड़द की दाल, आदि का त्याग कर दिया जाता है।
6. इन 4 महीनों में क्रोध, ईर्ष्या, असत्य वचन, कटु वचन, अभिमान आदि भावनात्मक विकारों का त्याग कर दें।
7. सभी तरह की भौतिक सुविधाएं, मोबाइल, टेलीविजन, रेडियो आदि से दूरी बना लें।
दूसरा कार्य जप, ध्यान और योग करें:
1. प्रतिदिन सुबह और शाम को 40-40 मिनट का ध्यान करें और सूर्य नम:स्कार करें।
2. रात को सोने से पहले 20 मिनट का ध्यान करके सोएं।
3. आप चाहें तो अपने ईष्ट का नित्य निरंतर नाम जप करते रहें।
4. किसी मंत्र की सिद्धि के लिए जप कर सकते हैं।
5. योग में कई सिद्धियां और उन्हें प्राप्त करने के तरीकों का वर्णन मिलता है। उनमें से किसी एक को साधने का कार्य करें।
तीसरा कार्य कल्पवास करें:
यदि उपरोक्त कार्य घर पर संभव नहीं है तो इस दौरान कल्पवास करें। आप यदि सिद्धि प्राप्त करना चाहते हैं तो किसी गुरु के आश्रम में कल्पवास करें या एकांत में 4 माह रहकर निम्नलिखित कार्य करें।
1. तप : इन चार माह में निश्चित तिथि या नियम अनुसार मानसिक संयम एवं ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए व्रत रखकर साधना या तप करते हैं। साधना के दौरान साधक लोग, फर्श या भूमि पर ही सोते हैं। प्रतिदिन ध्यान, साधना या तप करते हैं।
2. मौन : इन चार माह साधक लोग मौन ही रहते हैं। मौन से मन की शक्ति बढ़ती है। मौन रहकर मानसिक हलचलों को धीरे-धीरे बंद करके जिस कार्य के लिए साधना कर रहे हैं उसी पर फोकस करते हैं। इन चार माह में साधुओं के साथ सत्संग करने से जीवन में लाभ मिलता है।
3. जप : चातुर्मास में प्रतिदिन अच्छे से स्नान करते हैं। उषाकाल में उठते हैं और रात्रि में जल्दी सो जाते हैं। नित्य सुबह, शाम और रात्रि को जप करते हैं। दोपहर में नियमानुसार साधना करते हैं। चातुर्मास में मंत्रों की सिद्धि जल्दी प्राप्त होती है। साबर मंत्र और भी जल्दी से सिद्ध होते हैं।
4. मन: शक्ति योग साधना: चातुर्मास में आप चाहें तो खुद की शक्तियों को जागृत कर सकते हैं या किसी देवी या देवताओं की कृपा प्राप्त करके सिद्धियां प्राप्त कर सकते हैं। खुद की शक्ति को जागृत करने के लिए मन: शक्ति योग साधना करें। इसके अभ्यास से दूसरों के मन की बातें जानी जा सकती है। ज्ञान की स्थिति में संयम होने पर दूसरे के चित्त का ज्ञान होता है। यदि मौन के द्वारा चित्त शांत है तो दूसरे के मन का हाल जानने की शक्ति हासिल हो जाएगी। ज्ञान की स्थिति में संयम का अर्थ है कि जो भी सोचा या समझा जा रहा है उसमें साक्षी रहने की स्थिति। ध्यान से देखने और सुनने की क्षमता बढ़ाएंगे तो सामने वाले के मन की आवाज भी सुनाई देगी। इसके लिए नियमित अभ्यास की आवश्यकता है।
5. कोई एक देवी या देवता की करें साधना: 10 महाविद्याओं में से किसी एक महाविद्या की साधना करें। आप चाहें तो भैरव या वराही साधना भी कर सकते हैं। चौसठ योगिनियों में से किसी एक की साधना कर सकते हैं। यक्ष, यक्षिणी, अप्सरा और गंधर्व साधनाएं भी होती हैं जिन्हें अच्छे से जानकर किसी गुरु के सानिध्य में ये साधनाएं करें। इसके अलावा वीर, नाग, देव, नायिका, किन्नर, पिशाचिनी साधनाएं भी होती हैं। हालांकि सात्विक साधनाएं करना ही बेहतर है- जैसे हनुमान साधना, दुर्गा साधना, वराही साधना, वैष्णवी साधना आदि।