दीपावली के एक दिन पहले मनाया जाने वाला रूप चतुर्दशी का पर्व, देशभर के अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरीकों से मनाई जाती है। जानिए कहां-कहां, कैसे मनाई जाती है रूप चतुर्दशी और क्या है प्रचलित कथाएं -
1 आम तौर पर सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल व स्नान करना एवं शाम के समय यम का दीपक लगाना, रूप चतुर्दशी पर प्रचलित पंरपरा है, जो देश भर के कई हिस्सों में अपनाई जाती है।
2 दक्षिण भारत में इस दिन लोग सूर्योदय से पहले उठकर तेल और कुमकुम को मिलाकर रक्त का रूप देते है। फिर एक कड़वा फल तोड़ा जाता है जो नरकासुर के सिर को तोड़े जाने का प्रतीक होता है। फल तोड़कर कुमकुम वाला तेल मस्तक पर लगाया जाता है। फिर तेल और चन्दन पाउडर आदि मिलाकर इससे स्नान किया जाता है।
3 कुछ स्थानों पर भगवान विष्णु के वामन अवतार की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु ने वामन अवतार धारण करके देवताओं को राजा बलि के आतंक से मुक्ति दिलाई थी। भगवान ने राजा बलि से वामन अवतार के रूप में तीन पैर जितनी जमीन दान के रूप में मांगकर उसका अंत किया था।
4 बंगाल में यह दिन काली चौदस के नाम से जाना जाता है। महाकाली देवी शक्ति के जन्मदिन के रूप में इसे मनाया जाता है। काली मां की बड़ी बड़ी मूर्तियां बनाकर पूजा की जाती है। यह आलस्य तथा अन्य बुराईयों को त्याग करने एवं सकारात्मकता बढ़ाने का दिन माना जाता है।
5 इस दिन हनुमान जी की विशेष पूजा भी की जाती है, एवं कुछ लोग इस दिन को हनुमान जी का जन्मोत्सव भी मानते हैं। बचपन में हनुमान जी ने सूर्य को खाने की वस्तु समझ कर अपने मुंह में ले लिया था। इस कारण चारों और अंधकार फैल गया। बाद में सूर्य को इंद्र देवता ने मुक्त करवाया था।