दरिद्रता एक अभिशाप है। इससे मुक्ति के लिए प्रत्येक व्यक्ति को लक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। सामान्यत: लक्ष्मी का नाम सुनते ही मस्तिष्क में धन-दौलत का विचार आने लगता है किन्तु क्या आप जानते हैं हमारे शास्त्रों द्वारा लक्ष्मी आठ प्रकार की मानी गई हैं। जिन्हें अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। आइए जानते हैं कि ये अष्टलक्ष्मियां कौन सी हैं-
1. आयु लक्ष्मी- शास्त्रानुसार पहला सुख निरोगी काया माना गया है। अत: आरोग्य व आयु को भी लक्ष्मी माना गया है।
2. धान्य लक्ष्मी- व्यक्ति चाहे कितना भी धनाढ्य क्यों ना हो उसकी भूख धन से नहीं अपितु भोजन से ही मिटती है इसलिए धान्य को भी लक्ष्मी माना गया है।
3. गृहलक्ष्मी- शास्त्रों में पत्नी को लक्ष्मी माना गया है। ऐसी मान्यता है कि पुरुष कितना भी पुरुषार्थ क्यों ना करें लक्ष्मी स्त्री के भाग्य से ही आती है।
4. सन्तान लक्ष्मी- सुशील व आज्ञाकारी सन्तान का होना भी किसी अमूल्य धन से कम नहीं होता इसलिए शास्त्रों में सन्तान को लक्ष्मी माना गया है।
5 . गजलक्ष्मी- गजलक्ष्मी से तात्पर्य पशुधन से है। वर्तमान में इसका स्थान वाहन ने ले लिया है। प्राचीनकाल में पशुधन को भी लक्ष्मी माना जाता था।
6. विजय लक्ष्मी- विजय लक्ष्मी अर्थात् पद-प्रतिष्ठा, शास्त्रों में यश व सामाजिक प्रतिष्ठा को भी लक्ष्मी माना गया है।
7. विद्या लक्ष्मी- प्रत्येक मनुष्य के लिए विद्याध्ययन बहुत आवश्यक है। हमारे शास्त्रों में विद्या को लक्ष्मी माना गया है।
8. धन लक्ष्मी- यह लक्ष्मी का सर्वाधिक प्रचलित स्वरूप है। शास्त्रानुसार चल-अचल सम्पत्ति को लक्ष्मी माना गया है। सम्पूर्ण ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए इन अष्टलक्ष्मियों की आराधना व प्राप्ति आवश्यक है।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया