द्वितीया तिथि को भ्रातृ द्वितीया भाई-बहन का पर्व माना जाता है। उस दिन भाई बहन के यहां जाकर बहन के हाथ का भोजन करना श्रेयस्कर मानते हैं।
सूर्य का पुत्र यमराज और पुत्री यमुना दोनों भाई-बहन हैं। किंवदंती है कि यमुना की प्रार्थना पर ही यमराज ने यमुना से कहा- आज के दिन जो भाई अपनी बहन के यहां भोजन करेगा, उसे यमराज का भय नहीं रहेगा। इसीलिए यह भैया दूज पर्व के नाम से जाना जाता है।
हिंदू समाज में भाई-बहन के अमर प्रेम के दो ही त्योहार हैं। पहला है रक्षा बंधन जो श्रावण मास की पूर्णिमा को आता है तथा दूसरा है भाई दूज जो दीपावली के तीसरे दिन आता है।
दीपावली के पांच दिन चलने वाले महोत्सव में शामिल है 'भाई दूज' उत्सव। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं।
परम्परा है कि रक्षाबंधन वाले दिन भाई अपनी बहन को रक्षा का वचन देकर उपहार देता है और भाई दूज वाले दिन बहन अपने भाई को तिलक लगाकर, उपहार देकर उसकी लम्बी उम्र की कामना करती है। रक्षा बंधन वाले दिन भाई के घर तो, भाई दूज वाले दिन बहन के घर भोजन करना अति शुभ फलदाई होता है।
भाई को दें उपहार : भाई का प्रेम है सबसे अलग। बहन के प्रति बचपन से ही चिंतित रहने वाले भाई के प्रति प्रेम प्रकट करने का इससे अच्छा अवसर दूसरा नहीं।
जितना महत्व रक्षा बंधन को दिया जाता है उतना ही महत्व भाई दूज को भी दिया जाना चाहिए। बहना को चाहिए कि भाई को अपने घर बुलाकर उसे भोजन कराएं तथा छोटा-सा ही सही, पर उपहार जरूर दें। उपहार से भाई को खुशी मिलेगी।
- शतायु
भाई दूज की तिथि : शनिवार,6 नवम्बर 2021
भाई दूज तिलक का शुभ समय : 1 बजकर 10 मिनट 12 सेकंड से प्रारंभ होकर 03 बजकर 21 मिनट से 29 सेकंड तक रहेगा।
भाई दूज के शुभ मुहूर्त :
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:19 से दोपहर 12:04 तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 01:32 से 02:17 तक।
अमृत काल मुहूर्त- दोपहर 02:26 से 03:51 तक।
गोधूलि मुहूर्त- शाम 05:03 से 05:27 तक।
सायाह्न संध्या मुहूर्त- शाम 05:14 से 06:32 तक।
निशिता मुहूर्त- रात्रि 11:16 से 12:08 तक।