महालक्ष्मी पूजन स्थिर लग्न में अति उत्तम रहता है। इससे स्थिर लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। वृष, सिंह, वृश्चिक व कुंभ स्थिर लग्न होती है। इस वर्ष के स्थिर लग्न मुहूर्त निम्न है-
स्थिर लग्नानुसार-
प्रात:काल- 7:39 से 9:56 तक (वृश्चिक लग्न)
अपरान्ह- 1:46 से 3:17 तक (कुंभ लग्न)
सायंकाल- 6:21 से 8:17 तक (वृष लग्न)
चौघड़िया अनुसार-
सायंकाल- 4:30 से 6:00 बजे तक (लाभ)
सायंकाल- 7:30 से 9:00 बजे तक (शुभ)
रात्रि- 9:00 बजे से 10:30 तक (अमृत)
क्या करें-
स्नान-प्रातःकाल
देवपूजन-स्नान के उपरांत
पितर पूजन-दोपहर
ब्राह्मण भोजन-दोपहर
महालक्ष्मी पूजन-प्रदोषकाल में
दीपदान-प्रदोषकाल में
मशाल दर्शन-सायंकाल
दीपमाला प्रज्जवलन-सायंकाल
पूजन सामग्री-
रोली,
मौली,
पान,
सुपारी,
अक्षत,
धूप,
घी का दीपक,
तेल का दीपक,
खील,
बतासे,
श्रीयंत्र,
शंख(दक्षिणावर्ती हो तो अतिउत्तम),
घंटी,
चंदन,
जलपात्र,
कलश,
लक्ष्मी-गणेश-सरस्वती जी का चित्र या विग्रह)
पंचामृत,
गंगाजल,
सिंदूर,
नैवेद्य,
इत्र,
जनेऊ,
श्वेतार्क पुष्प,
कमल का पुष्प,
वस्त्र,
कुंकुंम,
पुष्पमाला,
फल,
कर्पूर,
नारियल,
इलायची,
दूर्वा।
बाईं ओर रखें- जलपात्र,घंटी,धूप,तेल का दीपक।
दाईं ओर रखें- घी का दीपक,जल से भरा शंख,
सामने रखें- चंदन,रोली,पुष्प,अक्षत व नैवेद्य।
तत्पश्चात विधिवत् पूजन करें।
-ज्योतिर्विद् पं. हेमन्त रिछारिया
प्रारब्ध ज्योतिष परामर्श केन्द्र