व्यापारीगण अपने वर्षभर का हिसाब-किताब रखने हेतु बही-खाता लिखते हैं। लेकिन आज समय बदल रहा है। लेन-देन भी आज डिजिटल होता जा रहा है, फिर भी बही-खाते का प्रचलन अभी खत्म नहीं हुआ है। प्राचीन समय से ही बही-खाता दीपावली के पूर्व आने वाले पुष्य नक्षत्र पर ही क्रय किया जाता है।
विशेषकर गुरु और रवि पुष्य नक्षत्र का अपना अलग ही महत्व होता है लेकिन इस बार पुष्य नक्षत्र शुक्रवार और शनिवार को है।
ना रवि ना गुरु बल्कि पुष्य नक्षत्र 13 अक्टूबर, शुक्रवार को आ रहा है। इस दिन पुष्य नक्षत्र सुबह 7.46 शुरू होकर 14 ता. की सुबह 6.54 तक रहेगा। इसमें बही-खाता लाने का शुभ समय इस प्रकार है-
लाभ का चौघड़िया : 7.51 से 9.18 तक।
अमृत का चौघड़िया : 9.18 से 10.46 तक।
शुभ का चौघड़िया : 12.13 से 13.40 तक।
रात्रि में-
लाभ का चौघड़िया : 9.08 से 10.41 तक।
विजय मुहूर्त दोपहर 12.01 से 12.25 तक रहेगा। इस समयावधि में 12.13 से शुभ का चौघड़िया रहेगा, जो 13.40 तक रहेगा। विजय मुहूर्त इस समयावधि में ही पड़ेगा अतः बही-खाता लाने हेतु यह समय भी उपयुक्त है बाकी समय तो है ही। व्यापारीगण अपनी सुविधानुसार ला सकते हैं।