Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

गोवर्धन पूजा 2019 : इस दिन बलि और मार्गपाली पूजा क्यों करते हैं?

हमें फॉलो करें गोवर्धन पूजा 2019 : इस दिन बलि और मार्गपाली पूजा क्यों करते हैं?

अनिरुद्ध जोशी

दीपावली के अगले दिन कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा को गोवर्धन पूजा और अन्नकूट उत्सव मनाया जाता है। इसे पड़वा भी कहते हैं। उत्तर भारत में इसका प्रचलन है लेकिन दक्षिण भारत में बलि और मार्गपाली पूजा का प्रचलन है। आओ जानते हैं कि यह पूजा क्यों और किस तरह की जाती है तथा इससे करने से क्या होता है।
 
 
कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा अर्थात दिवाली के दूसरे दिन दक्षिण भारत में पहले मार्गपाली पूजा की जाती है और उसके पास संध्या को बलि पूजा करने का प्रचलन है।
 
पूजा की कथा : इसी दिन भगवान वामन ने राजा बलि को पाताल लोक का स्वामी बनाया था और इन्द्र ने स्वर्ग को सुरक्षित जानकर प्रसन्नतापूर्वक दीपावली मनाई थी। विष्णु अवतार वामन ने तब बालि को अमर होने के वरदाने देने के साथ ही कहा था कि जो भी इस दिन तुम्हारी पूजा करेगा वह हर रह से सुखी होगा।
 
 
मार्गपाली पूजा : इस पूजा में घर के मार्ग और द्वार को अच्छे से परंपरागत तरीके से सजाया जाता है। वंदनवार लगाने का इस दिन खासा महत्व होता है। प्राचीनकाल में नगर और राजप्रसाद के प्रवेश द्वार पर या उच्च स्तम्भों पर यह वंदरवार लगाया जाता था। यह कांसे या तांबे के बनाकर उसमें कुश और अशोक के पत्तों को अच्‍छे से गूंथकर बनाया जाता था। जिसमें पुष्प और गंध आदि लगाकर उसका पूजन किया जाता है। 
 
उसके बाद मार्गपाली पूजा में यह प्रार्थना कही जाती है- 
'मार्गपालि नमस्तेSस्तु सर्वलोकसुखप्रदे।
विधेयै: पुत्रदाराद्यैः पुनरेहि व्रतस्य मे।।'
 
इसके बाद संध्या को महान राजा बलि या महाबली की पूजा और प्रार्थना करते हैं-
 
'बलिराज नमस्तुभ्यं विरोचन सुतप्रभो।
भविष्येन्द्र सुराराते पूजेयं प्रतिगृह्यताम्।।'
 
जब भगवान वामन ने बलि से दो पग में संपूर्ण लोक नाप दिया तो तीसरे पग के लिए बालि ने अपना मस्तक आगे कर दिया। उस समय भगवान ने प्रसन्न होकर कहा था कि 'हे दानवीर! भविष्य में इसी प्रतिपदा को तेरा पूजन होगा और उत्सव मनाया जाएगा।'
 
मार्गपाली और बलि की पूजा करने से और मार्गपाली की वंदनवार के नीचे होकर निकलने से उस वर्ष में सब प्रकार की सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है और किसी भी प्रकार से रोक एवं शोक नहीं होता है।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

भाई दूज/यम द्वितीया, जानें इस दिन क्या करें, क्या न करें