दीपावली की कार्तिक कृष्ण अमावस्या-30 के दिन 527 ईसापूर्व जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर को 72 वर्ष की आयु में पावापुरी उद्यान (बिहार) में निर्वाण प्राप्त हुआ था। कहते हैं कि उस दिन मंगलवार था। इसी दिन भगवान महावीर के प्रमुख गणधर गौतम स्वामी को कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
जैन ग्रंथों के मुताबिक महावीर भगवान ने दिवाली वाले दिन मोक्ष जाने से पहले आधी रात को आखिरी बार उपदेश दिया था जिसे 'उत्तराध्ययन सूत्र' के नाम से जाना जाता है। भगवान के मोक्ष में जाने के बाद वहां मौजूद जैन धर्मावलंबियों ने दीपक जलाकर रोशनी की और खुशियां मनाईं। अब जानते हैं कुछ खास।
निर्वाण क्या है : वैसे निर्वाण का सामान्य अर्थ है मोक्ष को प्राप्त होना, देहत्यागकर पूर्ण हो जाता है। जैन धर्म में इसका अर्थ है कर्म के आखिरी बंधन खोल कर मुक्त हो जाना। बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म में इसका अर्थ अलग है।
कैवल्य क्या है : संपूर्ण व्रत, उपवास, तप, ध्यान आदि उपक्रम कैवल्य प्राप्ति के लिए ही किए जाते हैं। भगवान महावीर स्वामी को वैशाख शुक्ल 10 (रविवार 23 अप्रैल ई.पू. 557) को बिहार में जृम्भिका गांव के पास ऋजुकूला नदी-तट पर कैवल्य ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।
बौद्ध धर्म में कैवल्य ज्ञान को संबोधि, निर्वाण या बुद्धत्व कहते हैं। हिन्दू धर्म में इसे समाधी और मोक्ष कहते हैं। योग में समाधि के दो प्रकार बताए गए हैं- A.सम्प्रज्ञात और B.असम्प्रज्ञात। सम्प्रज्ञात समाधि वितर्क, विचार, आनंद और अस्मितानुगत होती है। असम्प्रज्ञात में सात्विक, राजस और तामस सभी वृत्तियों का निरोध हो जाता है।
भक्ति सागर में समाधि के 3 प्रकार बताए गए है- 1.भक्ति समाधि, 2.योग समाधि, 3.ज्ञान समाधि। पुराणों में समाधि के 6 प्रकार बताए गए हैं जिन्हें छह मुक्ति कहा गया है- (1)साष्ट्रि, (ऐश्वर्य), (2)सालोक्य (लोक की प्राप्ति), (3) सारूप (ब्रह्मस्वरूप), (4)सामीप्य, (ब्रह्म के पास), (5) साम्य (ब्रह्म जैसी समानता) (6) लीनता या सायुज्य (ब्रह्म में लीन होकर ब्रह्म हो जाना)।
इसी तरह जैन धर्म में केवलियों के निम्नलिखित दो भेद बताये गए हैं:- 1.संयोगकेवली और 2.अयोगकेवली