यम पंचक का संबंध मुख्य रूप से दीपावली के पांच दिवसीय उत्सव से है। यह कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी (धनतेरस) से शुरू होकर शुक्ल पक्ष की द्वितीया (भाई दूज या यम द्वितीया) तक चलने वाली पांच तिथियों का समूह होता है।
यम पंचक में शामिल पांच प्रमुख पर्व ये हैं:
1. धनतेरस (कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी)
2. नरक चतुर्दशी या छोटी दिवाली (कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी)
3. दीपावली या लक्ष्मी पूजा (कार्तिक अमावस्या)
4. गोवर्धन पूजा/ अन्नकूट (कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा)
5. भाई दूज या यम द्वितीया (कार्तिक शुक्ल द्वितीया)
विशेष: अकाल मृत्यु से बचने के लिए धनतेरस पर यमदेव को दक्षिण भाग में दीप अर्पित करते हैं। नरक से बचने के लिए नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव को दीप अर्पित करने के बाद उनकी पूजा भी करते हैं। भाई दूज को यम द्वितीया भी कहते हैं। इस दिन यमराज अपनी बहन यमुना के यहां गए थे। इस दिन उनकी पूजा करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के साथ ही घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है।
शास्त्रों में इन पांच दिनों को यम पंचक कहा गया है क्योंकि इस अवधि में यमराज (मृत्यु के देवता), वैद्यराज धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश और अन्य देवी-देवताओं की पूजा का विशेष विधान है। इस दौरान यमराज की पूजा और दीपदान करने की परंपरा है, जिससे अकाल मृत्यु के भय और नरक से मुक्ति मिलती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इसके अलावा यह इन पांच दिनों को यम पंचक इसलिए कहा जाता है क्योंकि यह अवधि यम-नचिकेता संवाद के गहन ज्ञान को याद करने का भी समय है। कथाओं में यम और बालक नचिकेता के बीच हुआ संवाद जीवन, मृत्यु और आत्मा के रहस्य से संबंधित है।
कभी-कभी लोग 'यम पंचक' को ज्योतिषीय 'पंचक' (पाँच अशुभ नक्षत्रों का समूह - धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वा भाद्रपद, उत्तरा भाद्रपद और रेवती) से भ्रमित कर देते हैं, लेकिन दीपावली के त्योहार से जुड़े पांच दिनों को ही 'यम पंचक' कहा जाता है।