When is Dev Diwali 2023: वाराणसी में देव दिवाली 15 नवंबर 2024 शुक्रवार को मनाई जाएगी, जो भगवान शिव की त्रिपुरासुर पर विजय का प्रतीक है। यह त्योहार वाराणसी में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जहाँ भक्त दीये जलाते हैं और अनुष्ठान करते हैं, जिससे आध्यात्मिक रूप से भरा माहौल बनता है। यह बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व है। यह आध्यात्मिक महत्व और दिव्य विजय का दिन है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र दिन पर, सभी देवी-देवता पृथ्वी पर उतरे थे, और भगवान शिव की जीत का सम्मान करने के लिए पवित्र शहर वाराणसी में एकत्रित हुए थे। यह त्यौहार उस समय को दर्शाता है जब दैवीय ऊर्जा अपने चरम पर होती है, जो इसे हिंदू कैलेंडर में सबसे अधिक पूजनीय अवसरों में से एक बनाता है।
पूर्णिमा तिथि प्रारम्भ- 15 नवम्बर 2024 को प्रात: 06:19 बजे से।
पूर्णिमा तिथि समाप्त- 16 नवम्बर 2024 को तड़के 02:58 बजे तक।
कब मनाएं देव दिवाली :
-
उदयातिथि के मान से 15 नवंबर सोमवार 2024 को देव दिवाली मनाई जाएगी। वाराणसी यानी काशी में इसी दिन मनाई जाएगी देव दिवाली।
-
हालांकि परिषद के अनुसार 26 नवंबर की रात को देव दिवाली मनाया जाना उचित है परंतु आयोजन समिति 27 को दिवाली मनाएगी।
-
काशी में इस पर गंगा घाट पर करीब 11 लाख दीपक जलाकर देव दिवाली मनाई जाएगी।
-
शाम 5.10 बजे से दीप जलाए जाएंगे, इसके लिए आश्रमों और समितियों की ओर से तीन घंटे के लिए स्वयंसेवक तैनात किए जाएंगे।
26 नवंबर रविवार में देव दिवाली:-
अभिजीत मुहूर्त सुबह 11:47 से 12:29 तक।
गोधूलि मुहूर्त शाम 05:22 से 05:49 तक।
प्रदोष काल : 26 नवंबर शाम 5:08 से रात्रि 7:47 तक।
27 नवंबर 2023 सोमवार को उदयातिथि का शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त : 27 नवंबर सोमवार सुबह 11:47 से दोपहर 12:30 तक।
गोधूलि मुहूर्त : 27 नवंबर सोमवार शाम 05:21 से शा 05:49 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग : 27 नवंबर दोपहर 01:35 से अगले दिन सुबह 06:54 तक।
दोनों ही दिन दिन शाम के समय 11, 21, 51, 108 आटे के दीये बनाकर उनमें तेल डालें और किसी नदी के किनारे प्रज्जवलित करके नदी में प्रवाहित कर दें। इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप-दान का फल दस यज्ञों के समान होता है।