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Navratri 2025: इस मंदिर में युगों से देवी कर रही अपने भक्त की प्रतीक्षा, मूर्ति नहीं जीवंत अग्नि के रूप में विराजमान हैं माता

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WD Feature Desk

, सोमवार, 15 सितम्बर 2025 (15:19 IST)
Chamatkari durga mandir: देवी के 51 शक्तिपीठों में से एक ज्वालामुखी मंदिर को प्रमुख शक्ति पीठों में एक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार ज्वाला देवी में सती की जिह्वा गिरी थी। यह तीर्थ स्थल हिमाचल प्रदेश के कांगडा जिले में कालीधर पहाड़ी पर स्थित है। ये स्थान कई कारणों से रहस्य और आस्था का केन्द्र है। आइये आज के आलेख में आपको इस शक्तिपीठ के बारे में प्रचलित विभिन्न मान्यताओं और रहस्यों के बारे में बताते हैं।

मूर्ति नहीं पवित्र ज्वाला की होती है पूजा: ज्वालामुखी मंदिर का एक बड़ा आश्चर्य यह है कि यहां माता की कोई भी मूर्ति नहीं है बल्कि धरती के गर्भ से निकल रही नौ ज्वालाओं की पूजा की जाती है। इन नौ ज्वालाओं मुख्य ज्वाला महाकाली कहलाती हैं। अन्य आठ ज्वालाएं अन्नपूर्णा, चंडी, हिंगलाज, विंध्यावासनी, महालक्ष्मी, सरस्वती, अम्बिका, अंजीदेवी के नाम से जाना जाता है।

ज्वाला देवी कर रहीं हैं अपने भक्त गोरखनाथ की प्रतीक्षा: इस मंदिर के बारें में एक और प्रचलित कथा के अनुसार भक्त गोरखनाथ यहां माता की अराधाना किया करते थे। एक बार गोरखनाथ भूख लगने पर माता से बोले कि आप आग जलाकर पानी गर्म करें, मैं भिक्षा मांगकर लाता हूं। गोरखनाथ की बात मानकर  माता आग जलाकर बैठ गयी और गोरखनाथ भिक्षा मांगने चले गये।

इसी बीच समय परिवर्तन हुआ और कलियुग आ गया। गोरखनाथ भिक्षा मांग कर नहीं लौटे। तब से माता अग्नि जलाकर गोरखनाथ का इंतजार कर रही हैं। मान्यता है कि सतयुग आने पर बाबा गोरखनाथ लौटकर आएंगे, तब-तक यह ज्वाला यूं ही जलती रहेगी।

रहस्यमयी गोरख डिब्बी : इस मंदिर से जुड़े रहस्यों में से एक है गोरख डिब्बी का रहस्य। ज्वाला माता मंदिर के पास गोरख नामक एक प्रसिद्ध और चमत्कारी कुंड है। इस कुण्ड में पानी खौलता हुआ दिखाई देता है, लेकिन छूने पर कुंड का पानी ठंडा लगता है। इस रहस्य भी आज तक अनजाना है।

मंदिर का निर्माण 
ज्वाला माता के इस मंदिर का निर्माण सबसे पहले राजा भूमिचंद ने करवाया था। इसके बाद 1835 में महाराजा रणजीत सिंह और राजा संसार चंद्र ने भी मंदिर के निर्माण को आगे बढ़ाया। जवाला माता मंदिर की इतनी प्रसिद्धि थी कि राजा अकबर के कानों तक भी उनकी महिमा पंहुची थी।

चमत्कारों से परिपूर्ण है यह ज्वाला
पृथ्वी के गर्भ से ज्वाला का निकलना कोई अनोखी बात नहीं है। कई स्थानों पर ऐसा होता है। कई जगहों पर इतनी ज्वाला निकलती है कि इससे बिजली तक बनाई जाती है। लेकिन इस ज्वाला की बात ही निराली है। यह ज्वाला प्राकृतिक न होकर चमत्कारी है। कहते हैं ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने जमीन के अन्दर से निकलती इस ‘ऊर्जा’ का इस्तेमाल करने का काफ़ी प्रयास किया। लेकिन लाख कोशिश करने पर भी वे इस ‘ऊर्जा’ को नहीं ढूंढ पाए। कहते हैं राजा अकबर ने भी ज्वाला की सत्यता जांचने का प्रयास किया था लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी इसे बुझा न पाए।
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अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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