Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

Navratri Special : उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपे हैं अनोखे चुम्बकीय रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए हैं कारण

जानिए क्या है इस रहस्यमयी मंदिर में छुपा चुंबकीय चमत्कार, शरीर को अपनी ओर खींचती हैं अद्भुत शक्तियां

हमें फॉलो करें Navratri Special : उत्तराखंड के इस मंदिर में छिपे हैं अनोखे चुम्बकीय रहस्य, वैज्ञानिक भी नहीं खोज पाए हैं कारण

WD Feature Desk

, शुक्रवार, 4 अक्टूबर 2024 (15:27 IST)
Kasar Devi Temple

Kasar Devi Temple Uttarakhand Almora  : उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में बसा कसार देवी (Kasar Devi) एक छोटा, मगर बेहद महत्वपूर्ण धार्मिक और पर्यटन स्थल है। यह गांव अपनी शांतिपूर्ण वादियों, अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा और सुंदर हिमालयी दृश्यों के लिए प्रसिद्ध है। कसार देवी मंदिर और उसके आसपास का क्षेत्र अध्यात्म, ध्यान और योग करने वालों के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र माना जाता है।

ये मंदिर अपने एक अनोखे चुंबकीय चमत्कार के कारण आकर्षण का केंद्र है, जिसके बारे में जानने के लिए अक्सर यहां वैज्ञानिक भी आते रहते हैं। माना जाता है कि इस चमत्कार के बारे में आजतक कोई भी पता नहीं लगा पाया है। इस लेख में हम कसार देवी के इतिहास, धार्मिक महत्व, और पर्यटन से जुड़े प्रमुख आकर्षणों के बारे में जानेंगे।
ALSO READ: कौन सा है माता का ये मंदिर, जहां सदियों से हर दिन जलता है एक शव
 
चुंबकीय शक्ति के लिए मशहूर कसार देवी:
कसार देवी मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यहां देवी मां साक्षात अवतार में आई थीं। कहते हैं कि भारत की ये एक एकलौती ऐसी जगह है, जहां चुंबकीय शक्तियां मौजूद हैं। मंदिर के आसपास कई जगह हैं, जहां धरती के अंदर बड़े-बड़े भू-चुंबकीय पिंड हैं।

कसार देवी मंदिर के आसपास का क्षेत्र वैन एलेन बेल्ट है। यहां धरती के अंदर भू-चुंबकीय पिंड है। इस मंदिर से कई शक्तियां जुड़ी हुई हैं, जिसका पता लगाने के लिए यहां नासा के वैज्ञानिक भी आए हैं, लेकिन आखिर में वो खाली हाथ ही लौटे हैं। इस क्षेत्र के आसपास लोगों को मानसिक शांति का अनुभव होगा।

कसार देवी का ऐतिहासिक महत्व
कसार देवी मंदिर का इतिहास 2,000 साल से भी अधिक पुराना माना जाता है। यह मंदिर हिंदू देवी कसार को समर्पित है, जिन्हें शक्ति (मां दुर्गा का रूप) के रूप में पूजा जाता है। यह स्थान 1890 के दशक में तब चर्चा में आया जब स्वामी विवेकानंद ने यहां ध्यान किया। स्वामी विवेकानंद ने इस जगह की आध्यात्मिक ऊर्जा को महसूस किया और इसे ध्यान के लिए उपयुक्त पाया।
कसार देवी का क्षेत्र आज भी ध्यान और योग के लिए एक प्रसिद्ध स्थान है, और यहां आने वाले लोगों को अद्वितीय शांति और आत्म-चिंतन का अनुभव होता है।

कसार देवी में प्रसिद्ध हस्तियों का आगमन
कसार देवी केवल स्थानीय लोगों या तीर्थयात्रियों का आकर्षण नहीं रहा है, बल्कि कई प्रसिद्ध विदेशी हस्तियां, जैसे कि बॉब डायलन, कैट स्टीवंस और टिमोथी लीरी ने भी इस जगह की शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव किया है। इन हस्तियों ने यहां लंबे समय तक समय बिताया और इस क्षेत्र के सौंदर्य और शांति को अपनी रचनात्मकता का हिस्सा बनाया।

कसार देवी में पर्यटन
प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग
कसार देवी केवल धार्मिक या आध्यात्मिक कारणों से ही नहीं, बल्कि प्राकृतिक सौंदर्य के कारण भी मशहूर है। यहां से हिमालय की अद्भुत चोटियों का नज़ारा देखने को मिलता है। यहां की हरियाली, शांति और साफ हवा शहर की भागदौड़ से दूर एक अलग ही अनुभव प्रदान करती है।

हाइकिंग और ट्रेकिंग: कसार देवी से कई खूबसूरत ट्रेकिंग रूट्स शुरू होते हैं। अगर आप प्रकृति के करीब रहना चाहते हैं तो यह स्थान आपके लिए आदर्श है।
क्रैंक्स रिज: यह स्थान भी कसार देवी के पास स्थित है और यहां से पूरे अल्मोड़ा क्षेत्र का बेहतरीन नज़ारा मिलता है।

कसार देवी की यात्रा का सही समय
कसार देवी की यात्रा के लिए सबसे उपयुक्त समय अक्टूबर से जून के बीच होता है, जब मौसम खुशनुमा होता है और आप यहां के प्राकृतिक सौंदर्य का पूरा आनंद उठा सकते हैं। सर्दियों में बर्फबारी का अनुभव भी किया जा सकता है, जो एक अलग ही रोमांच प्रदान करता है।

कैसे पहुंचें कसार देवी - How to reach Kasar Devi Temple
हवाई जहाज से : देहरादून का पंतनगर हवाई अड्डा कसार देवी के सबसे नजदीक है, जो 124 किलोमीटर दूर है। हवाई अड्डे से, यात्री आसानी से स्थानीय बसों या निजी टैक्सियों लेकर अल्मोड़ा जा सकते हैं जो कसार देवी मंदिर से 8 किलोमीटर दूर है।
ट्रेन से : कसार देवी का पास का रेलवे काठगोदाम रेलवे स्टेशन है और यह मंदिर से 88 किलोमीटर की दूरी पर है। स्थानीय बसें और प्राइवेट टैक्सियां स्टेशन से अल्मोड़ा के लिए रोजाना चलती हैं।

सड़क द्वारा : आखिरी डेस्टिनेशन, कसार देवी अल्मोड़ा से सिर्फ 8 किलोमीटर दूर है, जो प्रमुख शहरों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है। मंदिर और दिल्ली के बीच की दूरी 373 किलोमीटर है, जिसे बसों, टैक्सियों या प्राइवेट कारों के माध्यम से कवर किया जा सकता है।

अस्वीकरण (Disclaimer) : सेहत, ब्यूटी केयर, आयुर्वेद, योग, धर्म, ज्योतिष, वास्तु, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार जनरुचि को ध्यान में रखते हुए सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं। इससे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

Lalita panchami date time: उपांग ललिता व्रत कब रखा जाएगा, जानिए महत्व, पूजा का मुहूर्त और विधि