Navratri 2024: माता को क्यों कहा जाता है पहाड़ों वाली, जानिए इस नाम के पीछे का अर्थ
क्या है हिन्दू धर्म में पहाड़ों का पौराणिक और आध्यात्मिक महत्व
Navratri 2024: भारतीय संस्कृति में देवी-देवताओं का अत्यधिक महत्व है और देवी दुर्गा को विशेष रूप से एक महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। देवी दुर्गा के अनेक रूपों में से एक रूप है 'पहाड़ों वाली माता', जिसे मुख्य रूप से हिमालय या पहाड़ी क्षेत्रों में पूजित किया जाता है। इस विशेषण के पीछे कई धार्मिक, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण हैं जो देवी को पहाड़ों से जोड़ते हैं।
पहाड़ों का धार्मिक महत्व
पहाड़ों को भारतीय धर्म में हमेशा से पवित्र और दिव्य स्थल माना गया है। हिमालय पर्वत को देवताओं का निवास स्थान माना जाता है, और यही कारण है कि माता दुर्गा, जिन्हें शक्ति और विनाश की देवी के रूप में पूजा जाता है, को भी पहाड़ों के साथ जोड़ा गया है। "पहाड़ों वाली माता" का एक संदर्भ यह है कि माता दुर्गा ने असुरों और राक्षसों का संहार करने के लिए इन पर्वतों पर तपस्या की और अपनी शक्ति को पुनः स्थापित किया। देवी का वास पर्वतों पर मानना, मानव जाति की आस्था को और भी दृढ़ बनाता है, क्योंकि पर्वत सदैव अचल, अडिग और अजेय होते हैं।
ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण
भारत के उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, और जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में माता का विशेष स्थान है। यहां अनेक शक्तिपीठ और देवी मंदिर स्थित हैं, जहां लाखों श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए आते हैं। वैष्णो देवी, जो जम्मू और कश्मीर के त्रिकुटा पर्वत पर स्थित हैं, माता का प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर की मान्यता है कि यहां देवी वैष्णो ने असुरों का संहार करने के बाद विश्राम किया था। इसी प्रकार हिमाचल प्रदेश के नैना देवी, ज्वाला देवी और चामुंडा देवी के मंदिर भी माता के पहाड़ी स्वरूप के प्रतीक हैं।
पहाड़ों से जुड़े देवी के मंदिरों में दर्शन करने का अलग ही आध्यात्मिक अनुभव होता है। कठिन रास्ते, उबड़-खाबड़ पथ और ऊंचाई की चुनौतियों को पार कर भक्त माता के दर्शन करने आते हैं। इस कठिन यात्रा को भक्त अपने जीवन में एक महत्वपूर्ण साधना और आध्यात्मिक अनुभव मानते हैं।
भौगोलिक दृष्टिकोण
पहाड़ों को न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से, बल्कि भौगोलिक दृष्टिकोण से भी शक्ति का प्रतीक माना जाता है। पर्वतों की ऊँचाई और स्थिरता उन्हें धरती की एक अजेय शक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है। इसी प्रकार माता दुर्गा को भी अजेय और अपराजेय माना जाता है। पहाड़ों की यह विशेषता देवी की महिमा और शक्ति के साथ पूरी तरह मेल खाती है। इसी कारण माता को पहाड़ों वाली माता कहकर संबोधित किया जाता है, जो उनके स्वाभाविक शक्ति स्वरूप का परिचायक है।
आध्यात्मिक महत्व
पहाड़ों की शांति और स्थिरता मानव मन को स्थिरता और शांति प्रदान करती है। यह भी एक कारण है कि माता के अनेक भक्त पहाड़ों पर स्थित मंदिरों में विशेष आस्था रखते हैं। पर्वतों पर जाकर देवी की उपासना करना, मन की शुद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का प्रतीक माना जाता है। पर्वतों की ऊँचाई, वहां की शांतिपूर्ण वातावरण, और वहां के प्राकृतिक सौंदर्य में माता की महिमा और भी दिव्य महसूस होती है।
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