Dussehra vahan puja muhurat 2024: दशहरा यानी विजयादशमी पर वाहन खरीदने, वाहन की पूजा करने, आयुध पूजा, दुर्गा पूजा, अपराजिता देवी पूजा, श्रीराम पूजा, शमी वृक्ष की पूजा करने का शुभ मुहूर्त अलग अलग है। अभिजीत मुहूर्त में वाहन खरीदें, वाहन की पूजा करें और विजयी मुहूर्त में आयुध पूजा के साथ ही अपराजिता देवी और शमी की पूजा करें। प्रदोष काल में रावण दहन कर सकते हैं।
12 अक्टूबर 2024 शनिवार के शुभ मुहूर्त:-
वाहन खरीदने का शुभ मुहूर्त:- 11:45 से 12:32 के बीच।
शस्त्र और वाहन पूजा विजय मुहूर्त:- अपराह्न 02:03 से 02:49 के बीच
शमी पूजा मुहूर्त:- दोपहर 01:17 से 03:35 के मध्य।
सुबह की नवमी पूजा: प्रात: 05:06 से 06:20 के बीच।
दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।
शाम की पूजा: शाम 05:54 से 07:09 के बीच।
रात्रि की पूजा: अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच।
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दशहरा रावण दहन का शुभ मुहूर्त 2024: शाम 05:54 से 07:28 के बीच सबसे शुभ। वैसे रावण दहन सूर्यास्त से लेकर ढाई घंटे तक रहता है। यानी प्रदोष काल में रावण दहन करते हैं। सूर्यास्त के बाद जब आसमान में अंधेरा छा जाता है और हल्के हल्के तारे नजर आने लगते हैं इसी वेला में रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतलों का दहन किया जाता है।
विजयादशमी पर क्यों करते हैं वाहन पूजा?
1. दरअसल लंका विजय के बाद श्रीराम ने उन सभी लोगों का आाभर प्रकट किया जिन्होंने उनका प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से साथ दिया था। फिर चाहे वह जड़ हो या चेतन। पशु हो या पक्षी। सभी के प्रति उन्होंने कृतज्ञता प्रकट की थी।
2. चूंकि श्रीराम ने सभी जड़ चीजों के प्रति भी आभार प्रकाट किया था। जड़ चीजों में उनके अस्त्र शस्त्र, रथ और सभी तरह के वाहन का भी उन्होंने आभार प्रकट किया क्योंकि इनके बगैर युद्ध नहीं लड़ा जा सकता था। वाहन की बात करें तो रथ, हाथी और अश्व सभी वाहन ही होते थे।
3. आज हम जो अपने वाहनों की पूजा करते हैं वह प्रकारांतर से उसी 'रथ-पूजन' का पर्याय मात्र है। प्राचीन भारत में रथ-पूजन, अश्व-पूजन, शस्त्र-पूजन कर इस परंपरा निर्वाह किया जाता था। वर्तमान में इस परंपरा का स्वरूप परिवर्तित होकर वाहन-पूजन के रूप में हमें दिखाई देता है।
4. सेना के वाहन, पुलिस विभाग के वाहन, आवागमन के यात्री वाहन, खुद का वाहन आदि सभी हमारे जीवन को चलाते हैं। हम अपने वाहनों को अच्छे से धोते हैं और उसे फूलमाला पहनाकर उसकी पूजा करते हैं। यह वाहन हमारा साथी है। इसके बगैर हम कहीं भी आ जा नहीं सकते हैं। अत: दशहरा का दिन होता है इसके प्रति आभार प्रकट करना। आभार प्रकट करने या कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ही हमें इसकी पूजा अर्चना करते हैं।
दशहरे पर नई कार या बाइक की पूजा कैसे करें?
- वाहन पर सबसे पहले आम के पत्ते से तीन बार जल छिड़कें।
- जल छिड़कने से वाहन घर का हिस्सा हो जाता है। यह वाहन हमारे द्वारा लिया गया हैं। इसका हमारे घर में प्रवेश हमारे लिए और इसके लिए शुभ हो।
- फिर सिन्दूर व घी के तेल के मिश्रण से वाहन पर छोटासा स्वस्तिक बनाएं। स्वस्तिक शुभ होने के साथ-साथ ही काफी ऊर्जाप्रदायक होता हैं। वाहन द्वारा यात्रा में किसी प्रकार का व्यवधान न आए इसीलिए स्वस्तिक बनाया जाता है।
- फिर वाहन को फूलमाला पहनाएं। वाहन में तीन बार कलावा लपेटें। कलावा रक्षासूत्र होता है। जो वाहन की सुरक्षा के लिए होता है।
- अब कर्पूर से आरती करें। कलश के जल को दाएं-बाएं डालें। यह वाहन के लिए स्वागत का भाव को प्रदर्शित करता हैं।
- कर्पूर की राख से एक तिलक वाहन पर लगा दें। यह वाहन को नजरदोष से बचाता है।
- अब वाहन पर मिठाई रखें। बाद में यह मिठाई गौ माता को खाने को दें।
- एक नारियल लेकर नए वाहन पर से सात बार घुमाकर वाहन के आगे फोड़ें।
- वाहन स्टार्ट कर उसे नारियल वाले स्थान पर से होते हुए एक चक्कर लगाएं।
- वाहन से सदा अच्छा लाभ मिलता रहे इसके लिए एक पीली कौड़ी लें। इस कौड़ी को काले धागे में पिरो लें। बुधवार के दिन इसे अपने वाहन पर लटका दें। इससे आपके वाहन की रक्षा होगी।
- वाहन के भीतर बजरंगबली की आकाश में उड़ती हुई छोटी सी प्रतिमा टांगें। या फिर अपने धर्म के शुभ प्रतीक चिन्ह रखें।
- भीतर सामने की तरफ श्रीगणेश की छोटी सी प्रतिमा स्थापित करें।