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Dussehra 2024 Date: कब है दशहरा? 12 या 13 अक्टूबर को, कंफ्यूजन करें दूर

Vijayadashami 2024: विजयादशमी पर इस मुहूर्त में करें रावण दहन और शमी की पूजा

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 10 अक्टूबर 2024 (15:05 IST)
Ravan dahan muhurat 2024: इस बार अष्टमी और नवमी तिथि को लेकर कंफ्यूजन रहने के कारण दशहरे को लेकर भी भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो चली है। कई विद्वान उदयातिथि के अनुसार 12 अक्टूबर को नवमी पूजा की सलाह दे रहे हैं जिसके चलते लोग यह मान रहे हैं कि दशहरा अगले दिन यानी 13 अक्टूबर को मनाया जाएगा, जबकि 12 अक्टूबर को ही दशहरा रहेगा। जानिए इसके पीछे का कारण।
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दशमी तिथि प्रारम्भ- 12 अक्टूबर 2024 को सुबह 10:58 बजे से।
दशमी तिथि समाप्त- 13 अक्टूबर 2024 को सुबह 09:08 बजे तक।
 
नोट : दशहरा 12 अक्टूबर को मनाया जाएगा, क्योंकि इस दिन प्रदोषकाल रहेगा और प्रदोषकाल में ही रावण दहन होता है। दशहरा दशमी तिथि की रात में ही मनाने की परंपरा है। 13 अक्टूबर को सुबह 09:08 बजे तक दशमी समाप्त होकर एकादशी लग जाएगी। इसलिए दशहरा 12 अक्टूबर की रात को मनाना ही उचित है। 12 अक्टूबर 2024 शनिवार के दिन दशहरा का पर्व मनाया जाएगा। इसी दिन नवमी का पारण होगा, दोपहर में शस्त्र पूजा होगी, शमी पूजा होगी और रात में रावण दहन होगा। विजयादशमी पर देवी अपराजिता और शस्त्र की पूजा का खासा महत्व रहता है। आओ जानते हैं कि रावण दहन का शुभ मुहूर्त और कैसे करें रावण दहन।
 
12 अक्टूबर 2024 शनिवार को दशहरा पूजा के शुभ मुहूर्त:-
सुबह की नवमी पूजा: प्रात: 05:06 से 06:20 के बीच। 
दोपहर की पूजा अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:45 से 12:32 के बीच।
शाम की पूजा: शाम 05:54 से 07:09 के बीच।
रात्रि की पूजा: अमृत काल में 06:28 से 08:15 के बीच।
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कैसे करें रावण दहन: रावण दहन पूजा विधि
  • सबसे पहले भूमि का चयन करते हैं।
  • फिर भूमि को शुद्ध करके रावण के पुतले को वहां स्थापित करते हैं।
  • रावण के साथ ही मेघनाद और कुंमकर्ण के पुतले को भी स्थापित करते हैं।
  • फिर सभी की पहले विधि विधान से पूजा की जाती है।
  • पूजा के बाद रावण के पुतले के आसपास पटाखे, बम आदि रखें जाते हैं।
  • इसके बाद श्री राम, लक्ष्मण और हनुमान वेशधारी लोगों के हाथ से रावण को जलाया जाता है।
  • शाम में प्रदोष काल के समय रावण के पुतले को जलाया जाता है।
उल्लेखनीय है कि अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी के दिन माता दुर्गा के रूप कात्यायिनी ने महिषासुर का वध किया था। इसी की याद में विजयादशमी का उत्सव यानी विजयादशमी का पर्व मनाया जाता है जबकि इसी दिन जब प्रभु श्रीराम ने इसी दिन दशानन रावण का वध कर दिया तो इस दिन को दशहरा भी कहा जाने लगा।

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