रमजान में पूरे महीने रोजे रखने के बाद ईद-उल फितर का त्योहार मनाया जाता है। इस बार मीठी ईद 13 या 14 मई को मनाई जाएगी। रमजान-उल मुबारक माह के बाद ईद-उल फितर (ईद-उल-फित्र) के इस मुबारक दिन सुबह के वक्त मुस्लिम समुदाय के लोग ईदगाह में जमा होकर ईद की नमाज अदा करते हैं, लेकिन इस बार कोरोना और लॉक डाउन के कारण ईद की नमाज अपने घरों में ही अदा करनी होगी। नमाज से पहले फितरा, जकात अदा किया जाता है।
1. ईद अल्लाह से इनाम लेने का दिन है। नमाज के पहले हर मुसलमान के लिए फितरा देना फर्ज है। फितरे के तहत प्रति इंसान पौने दो किलो अनाज या उसकी कीमत गरीबों को दी जाती है। इसका मकसद यह है कि गरीब भी ईद की खुशी मना सकें। इस बार कोरोना के चलते यह संभव नहीं हो पाएगा। अत: आप जो भी फितरा देना चाहे उसकी कीमत या उतना अनाज गरीबों के नाम से अलग रख दें और फिर जब भी मौका मिले तब यह उन तक पहुंचा दें, जिनको आप देना चाहते थे।
2. कोरोना संक्रमण को देखते हुए घर से ही नमाज पढ़ें और आवश्यक एहतियात बरतें।
3. जहां हर ईद को हजारों की संख्या में लोग नमाज अदा करते थे और एक-दूसरे को गले लगा कर ईद की मुबारक बाद देते थे लेकिन इस समय कोरोना और लॉकडाउन में यह संभव नहीं होगा, क्योंकि इन दिनों मस्जिदों और ईदगाहों में ताले लगे हुए हैं। अत: घर पर रहकर और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए ही इस त्योहार को सादगी से मनाएं।
4. घरों में नमाज अदा कर ईद मनाएं और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते फोन, व्हाट्सअप पर ही ईद की मुबारकबाद देना उचित रहेगा।
5. ईद का त्योहार खुशी और मेलमिलाप का संदेश लेकर आता है। अत: इस बार खुशियों का यह त्योहार आपसी भाईचारे की भावना से मनाएं और किसी से भी मिलें तो सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए ही मिलें।
6. इस बार ईद के त्योहार के लिए नए कपड़े नहीं ले पा रहे हैं तो कोई बात नहीं। घर में रखें कपड़ों को साफ और स्वच्छ करके इस त्योहार को मनाएं।
7. इस बार मस्जिद न जाकर नमाज घर पर ही अदा करें, क्योंकि इस बार कोरोना महामारी और लॉक डाउन के बीच बाजारों से रौनक गायब है।