आमलकी एकादशी में आंवले का विशेष महत्व है। आमलकी एकादशी का व्रत रखने से सभी तीर्थों और समस्त यज्ञों का पुण्य प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु को आंवला अर्पित करके उनकी पंचोपचार पूजा करते हैं। इस दिन आंवले के सावन से सेहत लाभ प्राप्त होता हैं। सभी रोग और कष्ट मिट जाते हैं।
इसे रंगभरी एकादशी भी कहते हैं। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार इस बार यह 3 मार्च 2023 शुक्रवार के दिन रहेगी। इस दिन शिवजी और पार्वती जी मिलकर रंग गुलाल खेलते हैं। उसके बाद ही होली का महोत्वस प्रारंभ होता है।
आमलकी एकादशी की पूजा विधि:-
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर व्तर का संकल्प लें।
- इसके बाद श्रीहिर विष्णु की पूजा की तैयारी करें। हल्दी, कंकू, अक्षत, धूप, दीप आदि थाली में सजाएं।
- लकड़ी के साफ पाट पर पीला वस्त्र बिछाकर उस पर विष्णुजी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें।
- अब मूर्ति या तस्वीर को जल के छींटे देकर स्नान कराएं।
- धूप और घी का दीप जलाएं और फिर आंवले सहित पांच या दस प्रकार की पूजा सामग्री से उनकी पूजा करें।
- घी का दीपक जलकार विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें।
- आंवले का फल भगवान विष्णु को प्रसाद स्वरूप अर्पित करें।
- आंवले के वृक्ष का धूप, दीप, चंदन, रोली, पुष्प, अक्षत आदि से पूजन कर उसके नीचे किसी गरीबों को भोजन कराना चाहिए।
- अगले दिन यानि द्वादशी को स्नान कर विष्णुजी के पूजन के बाद ब्राह्मणों या पंडितों को दान दक्षिणा देकर व्रत का पारण करें।