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Apara ekadashi : अपरा एकादशी व्रत रखने का क्या है महत्व?

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WD Feature Desk

, गुरुवार, 30 मई 2024 (14:03 IST)
Highlights : 
 
* अपरा एकादशी का महत्व।  
* 2024 में कब है, जानें इस व्रत का महत्व।  
* ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी के बारे में जानें।   

2024 Apara ekadashi : धार्मिक ग्रंथों के अनुसार ज्येष्ठ माह में अपरा और निर्जला एकादशी पड़ती है। मान्यता है कि यह एकादशी मनुष्य को अपार खुशियों की प्राप्ति देने वाली है और समस्त पापों से मुक्ति दिलाती है।  इस बार अपरा एकादशी 2 जून और 03 जून को मनाई जाएगी। 
 
आइए जानते हैं इस एकादशी का महत्व ... 
 
महत्व : धार्मिक ग्रंथों तथा 'ब्रह्म पुराण' में अपरा एकादशी का बहुत महत्व बताया गया है। मान्यता के अनुसार जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में इसे 'भद्रकाली एकादशी' तथा उड़ीसा में इसे 'जलक्रीड़ा एकादशी' के रूप में मनाया जाता है। और पूरे देश में अन्य स्थानों पर वह अपरा एकादशी के नाम से मनाई जाती है। 
 
इस एकादशी में 'अपार' शब्द का हिंदी में अर्थ 'असीमित' कहा गया है, अतः इस व्रत को करने से व्यक्ति को असीमित या अपार धन की प्राप्ति होती है, इसी कारण से इस एकादशी को 'अपरा एकादशी' कहा जाता है। साथ ही इसका एक और अर्थ व्रतधारी को असीमित लाभ होना भी माना जाता है। 
 
 
अपरा एकादशी के महत्व के बारे में कहा जाता हैं कि स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने पांडु पुत्र राजा युधिष्ठिर को इसके बारे में बताया था। जिसके अनुसार इस एकादशी व्रत को रखने वाला व्यक्ति पुण्य कर्मों के कारण जग में बहुत प्रसिद्ध होगा। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस पावन व्रत को रखने से गंगा स्नान करने के समान लाभ प्राप्त होता  है। 
 
अतः ऐसा माना जाता है कि अपरा एकादशी का व्रत समस्त पापों को नाश करने वाला हैं। इस एकादशी का व्रत नियमों का पालन करते हुए करने से सभी पापों से क्षमा मिल जाती है तथा मोक्ष की प्राप्ति होती है। 

अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।
 

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