भगवान विष्णु आषाढ़ शुक्ल एकादशी यानी 20 जुलाई 2021 को 4 मास के लिए योगनिद्रा में चले जाएंगे हैं। देवशयनी एकादशी के 4 माह बाद कार्तिक शुक्ल एकादशी को भगवान विष्णु निद्रा से जागते हैं इस तिथि को प्रबोधिनी एकादशी या देवउठनी एकादशी भी कहते हैं।
वर्जित कार्य : आषाढ़ शुक्ल एकादशी के बाद पूर्णिमा से चातुर्मास प्रारंभ हो जाता है। इस दौरान यज्ञोपवीत संस्कार, विवाह, दीक्षाग्रहण, ग्रहप्रवेश, यज्ञ आदि धर्म कर्म से जुड़े जितने भी शुभ कार्य होते हैं वे सब त्याज्य होते हैं। पौराणिक ग्रंथों के अनुसार श्री हरि के शयन को योगनिद्रा भी कहा जाता है।
करें ये 5 कार्य :
1. इस दौरान विधिवत व्रत रखने से पुण्य फल की प्राप्त होती है और व्यक्ति निरोगी होता है।
2. इस दिन प्रभु हरि की विधिवत पूजा करने और उनकी कथा सुनने से सभी तरह के संकट कट जाते हैं।
3. इस दिन तुलसी और शालिग्राम की विधिवत रूप से पूजा और अर्चना करना चाहिए।
4. इस दिन चावल, प्याज, लहसुन, मांस, मदिरा, बासी भोजन आदि बिलकुल न खाएं।
5. इस दिन देवशयनी की पौराणिक कथा का श्रवण करें।
5 लाभ :
1. देवशयनी एकादशी का व्रत करने से सिद्धि प्राप्त होती है।
2. यह व्रत सभी उपद्रवों को शांत कर सुखी बनाता है और जीवन में खुशियों को भर देते हैं।
3. एकादशी के विधिवत व्रत रखने से मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
4. इस व्रत को करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
5. इस व्रत को करने से शरीरिक दु:ख दर्द बंद हो जाते हैं और सेहत संबंधी लाभ मिलता है।