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Tulsi vivah Muhurt: देव उठनी एकादशी पर तुलसी विवाह का शुभ मुहूर्त क्या है, जानें विधि और मंत्र

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WD Feature Desk

, बुधवार, 6 नवंबर 2024 (11:51 IST)
Dev uthani ekadashi vrat ke fayde 2024:  कार्तिक माह शुक्ल पक्ष की देव उठनी एकादशी के दिन देव उठ जाते हैं। इस बार यह देवउठनी एकादशी 12 नवंबर 2024 मंगलवार को रहेगी। इस दिन 4 शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग, रवि योग, हर्षण योग, शिववास योग भी रहेंगे। इन योगों में होगा तुलसी विवाह। इसी के साथ ही विवाह आदि मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे। शालीग्राम के साथ तुलसी का आध्यात्मिक विवाह देव उठनी एकादशी को होता है। इस दिन तुलसी की पूजा का महत्व है। तुलसी दल अकाल मृत्यु से बचाता है। शालीग्राम और तुलसी की पूजा से पितृदोष का शमन होता है।ALSO READ: Dev Uthani Ekadashi 2024 Date: 4 शुभ योग में मनाई जाएगी देव उठनी एकादशी, अक्षय पुण्य की होगी प्राप्ति
 
एकादशी तिथि प्रारम्भ- 11 नवम्बर 2024 को शाम 06:46 बजे से।
एकादशी तिथि समाप्त- 12 नवम्बर 2024 को शाम 04:04 बजे तक।
 
तुलसी विवाह के शुभ मुहूर्त:-
अभिजीत मुहूर्त: दोपहर 11:44 से 12:27 तक। 
विजय मुहूर्त : दोपहर 01:53 से 02:36 तक।
गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:29 से 05:55 तक।
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:52 से अगले दिन सुबह 05:40 तक।
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तुलसी विवाह विधि:-
  • जिन्हें कन्यादान करना होता है वे व्रत रखते हैं और शालिग्राम की ओर से पुरुष वर्ग एकत्रित होते हैं। 
  • शाम के समय सारा परिवार इसी तरह तैयार हो जैसे विवाह समारोह के लिए होते हैं।
  • अर्थात वर पक्ष और वधू पक्ष वाले अलग अलग होकर एक ही जगह विवाह विधि संपन्न करते हैं। 
  • कई घरों में गोधुली वेला पर विवाह होता है या यदि उस दिन अभिजीत मुहूर्त हो तो उसमें भी विवाह कर सकते हैं।
  • जिन घरों में तुलसी विवाह होता है वे स्नान आदि से निवृत्त होकर तैयार होते हैं और विवाह एवं पूजा की तैयारी करते हैं। 
  • इसके बाद आंगन में चौक सजाते हैं और चौकी स्थापित करते हैं। आंगन नहीं हो तो मंदिर या छत पर भी तुलसी विवाह करा सकते हैं।
  • तुलसी का पौधा एक पटिए पर आंगन, छत या पूजा घर में बिलकुल बीच में रखें। तुलसी के गमले के ऊपर गन्ने का मंडप सजाएं।
  • इसके बाद साथ ही अष्टदल कमल बनाकर चौकी पर शालिग्राम को स्थापित करके उनका श्रृंगार करते हैं।
  • अष्टदल कमल के उपर कलश स्थापित करने के बाद कलश में जल भरें, कलश पर सातीया बनाएं, कलश पर आम के पांच पत्ते वृत्ताकार रखें, नारियल लपेटकर आम के पत्तों के ऊपर रख दें।
  • तुलसी देवी पर समस्त सुहाग सामग्री के साथ लाल चुनरी चढ़ाएं। गमले में शालिग्राम जी रखें।
  • अब लाल या पीला वस्त्र पहनकर तुलसी के गमले को गेरू से सजाएं और इससे शालिग्राम की चौकी के दाएं ओर रख दें।
  • गमले और चौकी के आसपास रंगोली या मांडना बनाएं, घी का दीपक जलाएं।
  • इसके बाद गंगाजल में फूल डुबाकर ‘ॐ तुलसाय नमः’ मंत्र का जाप करते हुए माता तुलसी और शालिग्राम पर गंगाजल का छिड़काव करें।
  • अब माता तुलसी को रोली और शालिग्राम को चंदन का तिलक लगाएं।
  • अब तुलसी और शालिग्राम के आसपास गन्ने से मंडप बनाएं। मंडप पर उस पर लाल चुनरी ओढ़ा दें।
  • अब तुलसी माता को सुहाग का प्रतीक साड़ी से लपेट दें और उनका वधू (दुल्हन) की तरह श्रृंगार करें।
  • शालिग्राम जी पर चावल नहीं चढ़ाते हैं। उन पर तिल चढ़ाई जा सकती है। तुलसी और शालिग्राम जी पर दूध में भीगी हल्दी लगाएं।
  • शालिग्रामजी को पंचामृत से स्नान कराने के बाद उन्हें पीला वस्त्र पहनाएं।
  • अब तुलसी माता, शालिग्राम और मंडप को दूध में भिगोकर हल्दी का लेप लगाएं।
  • अब पूजन की सभी सामग्री अर्पित करें जैसे फूल, फल इत्यादि।
  • अब कोई पुरुष शालिग्राम को चौकी सहित गोद में उठाकर तुलसी की 7 बार परिक्रमा कराएं।
  • इसके बाद तुलसी और शालिग्राम को खीर और पूड़ी का भोग लगाएं।
  • विवाह के दौरान मंगल गीत गाएं। तुलसी जी का विवाह विशेष मंत्रोच्चारण के साथ करना चाहिए।
  • इसके बाद दोनों की आरती करें और इस विवाह संपन्न होने की घोषणा करने के बाद प्रसाद बांटें।
  • प्रसाद बांटने के बाद सभी सदस्य एकत्रित होकर भोजन करते हैं।
  • तुलसीजी का विवाह विशेष मंत्रोच्चारण के साथ करना चाहिए।
  • कपूर से आरती करें और यह मंत्र बोलें (नमो नमो तुलजा महारानी, नमो नमो हरि की पटरानी)
  • तुलसी और शालिग्राम को खीर और पूड़ी का भोग लगाएं। 11 बार तुलसी जी की परिक्रमा करें। 
  • प्रसाद को मुख्य आहार के साथ ग्रहण करें और प्रसाद का वितरण जरूर करें।
  • प्रसाद बांटने के बाद सभी सदस्य एकत्रित होकर भोजन करते हैं।

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