Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा

Advertiesment
हमें फॉलो करें पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा

WD Feature Desk

, मंगलवार, 18 मार्च 2025 (17:01 IST)
Ekadashi Story 2025: हिंदू पंचांग कैलेंडर के अनुसार चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष की पापमोचनी एकादशी वर्ष 2025 में इस बार 25 मार्च, दिन मंगलवार को मनाई जा रही है। इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन किया जाता हैं। धार्मिक मान्यतानुसार यह दिन सभी पापों का नाश करने वाला माना गया है।ALSO READ: पापमोचनी एकादशी कब है, क्या है इसका महत्व?

आइए जानते हैं यहां पापमोचनी एकादशी की पौराणिक कथा- 
 
इस संबंध में प्राप्त पापमोचनी एकादशी की व्रतकथा के अनुसार प्राचीन समय में चित्ररथ नामक एक रमणिक वन था। इस वन में देवराज इंद्र गंधर्व कन्याओं तथा देवताओं सहित स्वच्छंद विहार करते थे। एक बार मेधावी नामक ऋषि भी वहां पर तपस्या कर रहे थे। वे ऋषि शिव उपासक तथा अप्सराएं शिव द्रोहिणी अनंग दासी/ अनुचरी थी। 
 
एक बार कामदेव ने मुनि का तप भंग करने के लिए उनके पास मंजुघोषा नामक अप्सरा को भेजा। युवावस्था वाले मुनि अप्सरा के हाव भाव, नृत्य-गीत तथा कटाक्षों पर काम मोहित हो गए। रति-क्रीडा करते हुए 57 वर्ष व्यतीत हो गए। एक दिन मंजुघोषा ने देवलोक जाने की आज्ञा मांगी। उसके द्वारा आज्ञा मांगने पर मुनि को भान आया और उन्हें आत्मज्ञान हुआ कि मुझे रसातल में पहुंचाने का एकमात्र कारण अप्सरा मंजुघोषा ही हैं। क्रोधित होकर उन्होंने मंजुघोषा को पिशाचनी होने का श्राप दे दिया। 
 
ऋषि का श्राप सुनकर अप्सरा मंजुघोषा ने कांपते हुए मुनि से इससे मुक्ति का उपाय पूछा। तब मुनिश्री ने पापमोचनी एकादशी का व्रत रखने को कहा और अप्सरा को मुक्ति का उपाय बताकर पिता च्यवन के आश्रम में चले गए। पुत्र के मुख से श्राप देने की बात सुनकर च्यवन ऋषि ने पुत्र की घोर निंदा की तथा उन्हें पापमोचनी चैत्र कृष्ण एकादशी का व्रत करने की आज्ञा दी। इस व्रत के प्रभाव से मंजुघोष अप्सरा पिशाचनी देह से मुक्त होकर देवलोक चली गई। 
 
इस प्रकार ब्रह्माजी के मुख से कहें वचनानुसार जो कोई मनुष्य विधिपूर्वक पापमोचनी एकादशी व्रत करेगा, उसके सभी पापों की मुक्ति निश्चित ही होती है, साथ ही जो कोई इस व्रत के महात्म्य को पढ़ता या सुनता है उसको सारे संकटों से मुक्ति मिल जाती है। ऐसी पापमोचनी एकादशी की महिमा है। 
 
अत: ऐसा कहा जाता है कि जीवन के सभी पापों की मुक्ति के लिए तथा मोक्ष प्राप्ति के लिए हर मनुष्य को चैत्र माह की पापमोचनी एकादशी का व्रत अवश्य रखना चाहिए। 
 
अस्वीकरण (Disclaimer) : चिकित्सा, स्वास्थ्य संबंधी नुस्खे, योग, धर्म, ज्योतिष, इतिहास, पुराण आदि विषयों पर वेबदुनिया में प्रकाशित/प्रसारित वीडियो, आलेख एवं समाचार सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं, जो विभिन्न सोर्स से लिए जाते हैं। इनसे संबंधित सत्यता की पुष्टि वेबदुनिया नहीं करता है। सेहत या ज्योतिष संबंधी किसी भी प्रयोग से पहले विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें। इस कंटेंट को जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है जिसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

रंग पंचमी और होली में क्या अंतर है?