हिन्दू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहते हैं। उत्पन्ना एकादशी व्रत 11 दिसंबर को रखा जाएगा। हिन्दू धर्म में उत्पन्ना एकादशी व्रत का बड़ा महत्व है। व्रत संकल्प करने का मुहूर्त सबुह 5 बजकर 15 मिनट से सुबह 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा और संध्या पूजा मुहूर्त 5 बजकर 43 मिनट से शाम 7 बजकर 3 मिनट तक रहेगा। दूसरे दिन 12 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 58 मिनट से सुबह 7 बजकर 2 मिनट पर इसका पारण रहेगा। आइए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने के 2 फायदे।
1. जो व्यक्ति उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है उस पर भगवान विष्णु जी की असीम कृपा बनी रहती है।
2. उत्पन्ना एकादशी व्रत करने से हजार वाजपेय और अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता है।
3. इससे देवता और पितर तृप्त होते हैं।
3. इस व्रत को करने से सभी तीर्थों का फल मिलता है।
4. इस व्रत को विधि-विधान से निर्जल व्रत करने से मोक्ष वा विष्णु धाम की प्राप्ति होती है।
5. व्रत के दिन दान करने से लाख गुना वृद्धि के फल की प्राप्ति होती है।
6. यह व्रत निर्जल रहकर करने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पापों का नाश होता है।