यह त्रिस्पर्शा एकादशी है जो कि स्वयं में ही सर्वश्रेष्ठ व असीम फल दायिनी होती है....प्रभु श्रीराम ने किया था विजया एकादशी व्रत....क्या होती है त्रिस्पर्शा एकादशी?-जो एकादशी दोनों दिन को स्पर्श करती है व पारायण तीसरे दिन होता है उसे त्रिस्पर्शा एकादशी कहते हैं....
एकादशी तिथि की शुरुआत
26 फरवरी 2022, शनिवार सुबह 10:39 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन
27 फरवरी 2022, रविवार सुबह 08:12 मिनट पर
एकादशी व्रत के पारण का समय
28 फरवरी 2022, सोमवार को सुबह 06:48 से 09:06 बजे तक
एकादशी का व्रत वैष्णव के लिए कल सूर्योदय तिथि 27 फरवरी 2022, रविवार के दिन ही रखें... शनिवार एवं रविवार के दिन खाने में चावल या चावल से बनी हुई वस्तुओं का प्रयोग बिल्कुल भी ना करें भले ही आपने व्रत ना रखा हो.... फिर भी चावल या चावल से बनी हुई चीज का खाना वर्जित है...
विजया एकादशी पर दो शुभ योग सर्वार्थ सिद्धि योग और त्रिपुष्कर योग भी बन रहे हैं....
सर्वार्थ सिद्धि योग 27 फरवरी को सुबह 08:49 बजे से लग रहा है, जो अगले दिन 28 फरवरी की सुबह 06:48 बजे तक रहेगा....
वहीं त्रिपुष्कर योग 27 फरवरी की सुबह 08:49 बजे से प्रारंभ हो रहा है. ये 28 फरवरी को सुबह 05:42 बजे तक मान्य होगा....
सर्वार्थ सिद्धि योग में किया गया कोई भी काम सफल जरूर होता है...
विजया एकादशी व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार, प्रभु श्री राम के वनवास के दौरान रावण ने माता सीता का हरण कर लिया तब भगवान राम और उनके अनुज लक्ष्मण बहुत ही चिंतित हुए। माता सीता की खोज के दौरान हनुमान की मदद से भगवान राम की वानरराज सुग्रीव से मुलाकात हुई।
वानर सेना की मदद से भगवान राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए विशाल समुद्र तट पर आए। विशाल समुद्र के चलते लंका पर चढ़ाई कैसे की जाए। इसके लिए कोई उपाय समझ में नहीं आ रहा था।
अंत में भगवान राम ने समुद्र से मार्ग के लिए निवेदन किया, परंतु मार्ग नहीं मिला। फिर भगवान राम ने ऋषि-मुनियों से इसका उपाय पूछा। तब ऋषि-मुनियों ने विजया एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। साथ ही यह भी बताया कि किसी भी शुभ कार्य की सिद्धि के लिए व्रत करने का विधान है।
प्रभु श्रीराम ने विजया एकादशी का व्रत किया और व्रत के प्रभाव से समुद्र को पार किया लंका पर चढ़ाई की और रावण का वध किया और माता सीता से फिर पुनः मिलन हुआ।
विजया एकादशी व्रत के प्रभाव से मनुष्य को विजय प्राप्त होती है भयंकर शत्रुओं से जब आप घिरे हो और सामने पराजय दिख रही हो ...उस विकट स्थिति में भी अगर विजया एकादशी का व्रत किया जाए तो ...व्रत के प्रभाव से अवश्य ही विजय प्राप्त होती है।इस एकादशी के व्रत के श्रवण एवं पठन से मनुष्य के सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।