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देवशयनी एकादशी की पूजा, उपाय, व्रत का तरीका, मंत्र और महत्व

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WD Feature Desk

, बुधवार, 2 जुलाई 2025 (17:16 IST)
देवशयनी एकादशी का व्रत 6 जुलाई 2025 रविवार के दिन रखा जाएगा। इस दिन से चार माह के लिए भगवान विष्णु शयन करने के लिए चले जाएंगे। चार माह के बाद भगवान देव उठनी एकादशी पर जाग जाएंगे। इस अवधि को चातुर्मास कहा जाता है। इस एकादशी का खास महत्व माना गया है। इसे पद्मा एकादशी भी कहते हैं। 
 
• एकादशी तिथि प्रारंभ: 5 जुलाई 2025 को शाम 06 बजकर 58 मिनट पर
• एकादशी तिथि समाप्त: 6 जुलाई 2025 को रात 09 बजकर 14 मिनट पर होगा।
• देवशयनी व्रत तोड़ने या पारण का समय: 07 जुलाई 2025 को सुबह 05 बजकर 29 मिनट से 08 बजकर 16 मिनट तक। 
• पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय: रात 11:10 मिनट पर।
 
महत्व: देवशयनी एकादशी का हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है, जिसके कई कारण हैं। इस दिन से भगवान विष्णु चार महीने के लिए योगनिद्रा में चले जाते हैं। यह माना जाता है कि इन चार महीनों में सृष्टि का कार्यभार भगवान शिव संभालते हैं। इस अवधि को 'चातुर्मास' कहा जाता है। चार महीनों तक विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन, उपनयन संस्कार जैसे सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। इस दौरान ध्यान, तप, योग और साधना ही की जाती है। यह साधना काल का समय माना गया है। मान्यता है कि इन चार माह में जातक यदि चाहे तो सिद्धि या मोक्ष प्राप्त कर सकता है। सिर्फ नियम से व्रत रखने से ही मन और शरीर स्वस्थ हो सकता है। समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। यह एकादशी का दिन और चार माह कामनाओं को पूर्ण करने वाला और सुख-समृद्धि प्रदान करने वाला माना जाता है।
 
एकादशी व्रत का तरीका:
  • इस दिन पारण के समय तक किसी भी प्रकार का अन्य ग्रहण नहीं करना चाहिए।
  • यदि किसी भी प्रकार की समस्या है तो फलाहार ले सकते हैं।
  • व्रत के दौरान प्रभु की पंचोपचार पूजा और त्रिसंध्या करना चाहिए। 
  • अंत में प्रभु को सुलाने के बाद ही सोना चाहिए। कुछ लोग रातभर जागकर भजन करते हैं। 
  • सुबह उठकर निश्‍चित समय पर पारण करना चाहिए। इसके बाद दान करना चाहिए। 
 
आषाढ़ी एकादशी पूजा विधि:
  1. इस दिन भगवान विष्णु का षोडशोपचार किया जाता है। 
  2. षोडशोपचार या पंचोपचार पूजा करें अर्थात 5 या 16 क्रियाओं से पूजन करते हैं।
  3. इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर पूजा की तैयारी करें।
  4. पूजा स्थल को पवित्र करने के बाद सातिया बनाएं और उस पर चावल की एक मुट्ठी रखें।
  5. सातिये के उपर आसन को स्थापित करें और फिर पास में कलश की स्थापना करें।
  6. इसके बाद कलश की पूजा करें और तब आसन पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
  7. इसके बाद भगवान का षोडशोपचार पूजन करें।
  8. सबसे पहले प्रतिमा के समक्ष दीप धूप जलाएं। 
  9. भगवान विष्णु को पीले वस्त्र पहनाएं। 
  10. फिर उनके हाथों में शंख, चक्र, गदा और पद्म सुशोभित करें।
  11. फिर माला पहनाएं और पीले फूल अर्पित करें।
  12. इसके बाद उन्हें हल्दी, कंकू, चावल अर्पित करके चंदन का तिलक लगाएं। 
  13. इसके बाद पान और सुपारी अर्पित करें। फिर भोग लगाएं और सभी सामग्री अर्पित करें।
  14. इसके बाद आरती उतारें और इस मंत्र द्वारा भगवान विष्णु की स्तुति करें…
  15. अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराकर स्वयं भोजन या फलाहार ग्रहण करें।
 
हरिशयन मंत्र- देवशयनी एकादशी पर रात्रि में भगवान विष्णु का भजन व स्तुति करना चाहिए और स्वयं के सोने से पहले भगवान को शयन कराना चाहिए।
 
'सुप्ते त्वयि जगन्नाथ जमत्सुप्तं भवेदिदम्। 
विबुद्दे त्वयि बुद्धं च जगत्सर्व चराचरम्।'
- अर्थात्, हे प्रभु आपके जगने से पूरी सृष्टि जग जाती है और आपके सोने से पूरी सृष्टि, चर और अचर सो जाते हैं। आपकी कृपा से ही यह सृष्टि सोती है और जागती है, आपकी करुणा से हमारे ऊपर कृपा बनाए रखें।
 
देवशयनी एकादशी पर करें ये उपाय: 
उपाय 1. इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाती है। देवशयनी एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त होकर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। घर के मंदिर में भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। उन्हें पीले वस्त्र, पीले फूल, चंदन, तुलसी दल, अक्षत, धूप और दीपक अर्पित करें। पीले रंग की मिठाई या फल का भोग लगाएं।
 
उपाय 2. इस दिन तुलसी माता की विशेष पूजा करें। उन्हें जल अर्पित करें, दीपक जलाएं और 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का जाप करते हुए तुलसी की 11 या 21 बार परिक्रमा करें। इस दिन तुलसी पूजन और उसकी परिक्रमा करने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
 
उपाय 3. देवशयनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को समर्पित स्तोत्र, जैसे विष्णु सहस्रनाम, विष्णु चालीसा या भगवान विष्णु के मंत्रों जैसे 'ॐ भगवते वासुदेवाय नम:' का अधिक से अधिक पाठ करें। यह उपाय मानसिक शांति प्रदान करता है
 
उपाय 4. देवशयनी एकादशी के दिन पीपल के पेड़ में भगवान विष्णु का वास माना जाता है। इस दिन पीपल के पेड़ को जल अर्पित करें और उसकी परिक्रमा करने का विशेष महत्व है। इससे पितृ दोष दूर होता है।
 
उपाय 5. इस एकादशी के दिन अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र, फल, या जल का दान करें। कोशिश करें कि सात्विक भोजन ग्रहण करें और मांसाहार व तामसिक भोजन से दूर रहें। इससे भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर उनकी कृपा प्राप्त होती है।
 

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