इस साल योगिनी एकादशी व्रत 14 जून, बुधवार को रखा जा रहा है। यह प्रतिवर्ष आषाढ़ कृष्ण ग्यारस के दिन मनाई जाती है। आषाढ़ माह की इस योगिनी एकादशी व्रत का महत्व तीनों लोक में प्रसिद्ध है। अगर आप किसी श्राप से ग्रसित है, तो उससे मुक्ति पाने के लिए यह एकादशी बहुत खास है।
आइए अब जानते हैं कैसे करें व्रत और पूजन :
पौराणिक शास्त्रों में योगिनी एकादशी व्रत करने की कुछ खास बातें कहीं गई हैं, अत: यदि कोई व्यक्ति इस प्रकार से यह व्रत करता है तो उसका बहुत अच्छा फल प्राप्त होता है। इस दिन भगवान श्री विष्णु का पूजन कुछ नियमों का पालन करते हुए किया जाता है।
यह एकदशी पापों को नष्ट करने तथा मोक्ष देने के लिए जानी जाती है। इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए तथा किसी के भी साथ गलत व्यवहार से बचना चाहिए। बुजुर्गों का सम्मान और असहायों की मदद इस दिन अवश्य करनी चाहिए। एकादशी के एक दिन पूर्व दशमी तिथि की रात्रि से एकादशी व्रत करने का संकल्प करना चाहिए। तथा एकादशी के दिन लक्ष्मी-नारायण जी के स्वरूप का ध्यान करते पूजन करके रात्रि जागरण तथा कीर्तन आदि करते हुए समय बिताना चाहिए तथा पारण से पहले गरीब, असहाय अथवा भूखे व्यक्ति को अन्न का दान, भोजन कराना चाहिए तथा प्यासे व्यक्ति को जल पिलाना चाहिए। इस दिन 'ॐ नमो नारायण' या 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नम:' मंत्र का जाप अधिक से अधिक करना उचित रहता है।
पूजा विधि :
- ज्ञात हो कि एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु के लिए व्रत रखा जाता है। योगिनी एकादशी से जुड़ी एक मान्यता के अनुसार इस दिन स्नान के लिए धरती माता की रज यानी मिट्टी का इस्तेमाल करना शुभ होता है। इसके अलावा स्नान के पूर्व तिल के उबटन को शरीर पर लगाना चाहिए।
- इस दिन सुबह स्नानादि से निवृत होकर व्रत शुरू करने का संकल्प लें।
- फिर पूजन के लिए मिट्टी का कलश स्थापित करें।
- उस कलश में पानी, अक्षत और मुद्रा रखकर उसके ऊपर एक दीया रखें तथा उसमें चावल डालें।
- अब उस दीये पर भगवान विष्णु की प्रतिमा स्थापित करें।
- प्रतिमा को रोली अथवा सिंदूर का टीका लगाकर अक्षत चढ़ाएं।
- उसके बाद कलश के सामने शुद्ध देशी घी का दीप प्रज्ज्वलित करें।
- अब तुलसी पत्ते और पीले पुष्प चढ़ाएं।
- फिर ऋतु फल, मिठाई आदि का प्रसाद चढ़ाकर भगवान श्रीविष्णु का विधि-विधान से पूजन करें।
- एकादशी की कथा का श्रवण करें।
- अंत में श्रीहरि विष्णु जी की आरती करें।
- श्रीहरि के मंत्रों का जाप तथा विष्णु सहस्त्रानाम का पाठ करें।
- रात्रि जागरण करके श्री विष्णु का भजन, कीर्तन, ध्यान करते हुए समय बिताएं।
- इस दिन अन्न ग्रहण न करें, केवल फलाहार लें।
- द्वादशी तिथि पर पारण से पहले ब्राह्मण तथा गरीबों को दान देकर फिर पारण करें।
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