10 साल में अरविंद केजरीवाल ने कैसे हासिल किया सत्ता का 'सरताज' ?
10 साल में पहली बार आम आदमी पार्टी ने भाजपा को दी सीधी पटखनी
दिल्ली में प्रतिष्ठा की लड़ाई वाले एससीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने धमाकेदार जीत कर भाजपा के 15 साल के एकछत्र राज को खत्म कर दिया है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में चुनावी मैदान मे कूदी आम आदमी पार्टी ने भाजपा को चुनाव में हर मोर्च पर मात दी। दिल्ली नगर निगम की 250 सीटों पर आम आदमी पार्टी ने 134 सीटों पर जीत दर्ज की है।
अगर पिछले चुनाव से आम आदमी पार्टी के प्रदर्शन को देखे तो आम आदमी पार्टी ने 90 सीटों पर अधिक जीत हासिल की। दिल्ली एससीडी चुनाव में भाजपा का 15 साल बाद सत्ता से बाहर होना और आम आदमी पार्टी का चुनाव में उठे तमाम विवादों को दरकिनार का प्रचंड जीत हासिल करना देश की राजनीति में आम आदमी पार्टी के बढ़ते जनाधार की ओर स्पष्ट इशारा है।
दिल्ली के गुजरात विधानसभा चुनाव में पूरे दमखम के साथ उतरी आम आदमी पार्टी को एग्जिट पोल में 15 से फीसदी वोट शेयर मिलने का अनुमान है। अगर चुनाव नतीजे एग्जिट पोल की तरह ही रहे तो आम आदमी पार्टी का दर्जा राज्यस्तरीय से राष्ट्रीय पार्टी होने की ओर बढ़ जाएगा।
अगर आम आदमी पार्टी के देश की सियासत में बढ़ते राजनीतिक ग्राफ पर नजर डाली जाए तो पाते है कि केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी सियासी पिच पर खुलकर बैंटिंग कर रहे है। दिल्ली में डबल इंजन की सरकार बनाने के साथ आम आदमी पार्टी पंजाब में भी अपनी सरकार बना चुकी है। वहीं गुजरात में आम आदमी पार्टी के एक नई राजनीतिक ताकत के रूप में उभरने के संकेत एग्जिट पोल ने दिए है।
अगर आम आदमी पार्टी के राजनीतिक दल के तौर पर उदय के सफर को देखे तो 2 अक्टूबर 2012 को अरविंद केजरीवाल ने अपने राजनीतिक सफर की औपचारिक शुरुआत की थी। दिल्ली में पहले विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत हासिल कर अपनी दमदार उपस्थिति दर्ज कराई थी।
वहीं दो साल बाद 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा मे 67 सीटें जीत कर सियासी पंडितों के सभी अनुमान को धराशाई कर दिया। गौर करने वाली बात यह है कि 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 54.30 फीसदी वोट हासिल किए जोकि राजनीति में 50 फीसदी से अधिक वोट शेयर हासिल करने का अपने आप में एक बेंचमार्क है। वहीं पांच साल बाद 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी आम आदमी पार्टी 53.57 फीसदी वोट हासिल कर 62 सीटों पर अपना कब्जा जमाया और यह बता दिया कि दिल्ली की जनता पर केजरीवाल का जादू बरकरार है।
पार्टी गठन के 10वें साल इस साल में आम आदमी पार्टी ने पंजाब में अपनी सरकार बनाकर अपनी बढ़ती राजनीति ताकत और जनाधार से सियासी पंडितों को परिचय करा दिया। गौरतलब है कि पंजाब में आम आदमी पार्टी ने दूसरी बार चुनावी मैदान में उतरी थी और उसने सत्ता पर अपना कब्जा जमा लिया। पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 23.7 फीसदी वोट हासिल करके 20 सीटें जीती थी वहीं 2022 के पंजाब विधानसभा चुनाव में 42. 01 फीसदी वोट हासिल कर 117 सीटों वाली पंजाब विधानसभा में 92 सीटों पर जीत हासिल कर प्रचंड बहुमत से अपनी सरकार बनाई।
वहीं दिल्ली एमसीडी में कब्जा जमाने के बाद बाद आम आदमी पार्टी की निगाहें गुरुवार को गुजरात में होने वाली वोटिंग पर टिकी है अगर गुजरात में आम आदमी पार्टी का प्रदर्शन एग्जिट पोल के अनुमानों के मुताबिक रहा है तो निश्चित तौर पर अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी का राष्ट्रीय सियासी परिदृश्य पर बढ़ेगा और वह आने वाले समय में भाजपा को चुनाती देने वाले एक मजबूत विकल्प के तौर पर स्थापित होगी।