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अचानक निकल जाता है दिल का दम, क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, कहीं ये पोस्‍ट कोरोना और वैक्‍सीन का खतरा तो नहीं?

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नवीन रांगियाल

छींक आई और हार्ट अटैक आ गया। मंदिर में पूजा करते- करते हो गई मौत। शादी के फंक्‍शन में नाचते हुए गिरा और दुनिया को कह दिया अलविदा। योगा करते हुए, हंसते और नाचते गाते भी छोड़ दी दुनिया। यहां तक कि स्‍टेज पर अदाकारी करते और बस चलाते हुए चालक की हार्टअटैक आने पर मौत हो रही है। यह एक बेहद गंभीर और डराने वाला ट्रेंड बनता जा रहा है। मोटे तौर पर इसके पीछे कोरोना वायरस और वैक्‍सीन लेने के बाद के साइड इफेक्‍ट माने जा रहे हैं, कुछ डॉक्‍टरों का कहना है कि कोरोना के बाद ब्‍लड क्‍लॉट की आशंका में निश्‍चित इजाफा हुआ है। वहीं कुछ डॉक्‍टर इसके पीछे स्‍ट्रेस यानी तनाव, इसमें घर और वर्क प्‍लेस के तनाव, दुनिया की रफ्तार में बने रहने की प्रतियोगिता और स्‍मोकिंग, एल्‍कोहल के साथ ही बदल चुकी फूड हैबिट वाली बेहद खराब लाइफस्‍टाइल को वजह मान रहे हैं।

क्‍या कहा था फ्लोरिडा के डॉ जोसेफ लैडेपोव ने?
इसी बीच फ्लोरिडा के एक सर्जन जनरल डॉ जोसेफ लैडेपोव (DrJoseph Ladapo ) का कोविड-19 की वैक्सीन को लेकर दिया बड़ा बयान याद आता है। उन्‍होंने अक्‍टूबर 2022 में कहा था कि कोविड-19 की  एमआरएनए (COVID-19 mRNA) वैक्सीन से हृदय से जुड़ी मौतों का खतरा बढ़ जाता है। खासकर 18 से 39 की उम्र के पुरुषों में इस बात का जोखिम अधिक देखा जा रहा है। दरअसल, फ्लोरिडा के स्वास्थ्य विभाग ने कोविड वैक्सीन को लेकर एक जांच की थी। इसी जांच में पता चला था कि वैक्सीन की वजह से हार्ट अटैक से मरने का खतरा बढ़ा है।
इसी पूरे विषय को समझने के लिए वेबदुनिया ने इंदौर के ख्‍यात हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्‍टरों से चर्चा की।

कोरोना और वैक्‍सीन के बाद बढ़े क्‍लॉट के मामले
शहर के जाने-माने डॉक्‍टर भरत रावत ने बताया कि कोरोना और वैक्‍सीन के बाद ब्‍लड क्‍लॉट के मामले बढ़े हैं। इसकी आशंका भी ज्‍यादा है। मैं कह सकता हूं कि कोविड के बाद एकाएक क्‍लॉट बढ़ने की संख्‍या सामने आई है। हालांकि यह सिर्फ हार्ट में ही नहीं, दिमाग और शरीर के दूसरे अंगों में भी क्‍लॉट बनने लगे हैं। दिल का दौरा क्‍लॉट बनने से ही आता है। इसके साथ ही यंग लोगों को हेवी एक्‍सरसाइज का क्रेज, प्रोटीन सप्‍लिमेंट लेना, किसी न किसी तरह की होड़ करना। जरूरत से ज्‍यादा तनाव लेना, ज्‍यादा खाना, ज्‍यादा व्‍यायाम करना यह सब वजह इसमें शामिल है।

मेंटल प्रेशर और पियर प्रेशर है वजह
इंदौर के सीएचएल हॉस्‍पिटल के जाने माने डॉक्‍टर मनीष पोरवाल ने हमें बताया कि मैं इसे कोरोना या वैक्‍सीन से रिलेट नहीं करना चाहूंगा। वैक्‍सीन के साइड इफेक्‍ट एक दो हफ्ते में खत्‍म हो जाते हैं। उन्‍होंने बताया कि नौजवान लोगों में हार्ट अटैक की वजह मेंटल स्‍ट्रेस और पियर प्रेशर सबसे ज्‍यादा जिम्‍मेदार है। इस दौर में मानसिक तनाव बढ़ा है जो सीधे दिल पर असर डालता है। धड़कनें अव्‍यवस्‍थित हुई और तबियत बिगड़ी। वहीं, पियर प्रेशर में काम का दबाव, टारगेट पूरा करने दबाव, सुंदर दिखने और सबसे अच्‍छा करने का दबाव, अच्‍छे मार्क्‍स लाने का, स्‍मार्ट दिखने का प्रेशर शामिल है। इसके साथ स्‍मोकिंग की हेबिट बढ़ी है, ज्‍यादा व्‍यायाम करने से हार्ट रेट बढ़ जाती है, इससे धड़कन असामान्‍य हो जाती है और हार्ट रूक जाता है। उन्‍होंने एक बहुत महत्‍वपूर्ण बात बताते हुए कहा कि इसके साथ ही लोग कोरोना काल के दौरान दो साल तक घरों में कैद रहे, जिससे कई अलग अलग बीमारियों के मरीज डायग्‍नोज्‍ड नहीं हो पाए, ऐसे में अब उस अंतराल की वजह से उसके इफेक्‍ट सामने आ रहे हैं। वहीं, अब हमें अपनी लाइफस्‍टाइल सुधारने की जरूरत है।

लाइफस्‍टाइल रिवर्स करना होगी
इंदौर के अपोलो हॉस्‍पिटल के ख्‍यात डॉक्‍टर अखिलेश जैन ने बताया कि मुझे नहीं लगता कि हार्टअटैक की इन घटनाओं का कोरोना या वैक्‍सीन से कोई लेना देना है। इनके पीछे अलग- अलग तनावों सबसे बड़ी वजह है। बाहर से खुश दिखने वाले लोग भीतर से किसी तनाव से ग्रस्‍त है, कोई ऐसी बात है जो वे अपनों को बता नहीं पा रहे हैं। इसमें काम का प्रेशर और घर की जिम्‍मेदारी को पूरा नहीं कर पाना शामिल है। दूसरा यह अब लाइफस्‍टाइल डिसीज बन चुकी है, यानी हमने जीने के तरीके बदल लिए हैं। लाइफस्‍टाइल सुधारना होगी, स्‍मोकिंग, एल्‍कोहल की आदतें छोडकर एक्‍सरसाइज और हेल्‍दी फूड की तरफ ध्‍यान देना होगा। जहां तक जो मामले सामने आ रहे हैं, उनकी बात है तो वो सिर्फ संयोग हो सकते हैं। पहले भी यह सब होता रहा है, लेकिन अब सोशल मीडिया की वजह से रिपोर्ट हो रहे हैं। अगर हार्ट की बीमारी से बचना है तो हमें अपनी लाइफस्‍टाइल रिवर्स करना होगी।
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हार्ट अटैक के खतरे से बचने के लिए क्‍या करें
  • रोजाना 40 मिनट में 3 किमी तक वॉक करना चाहिए।
  • अमेरिकन हार्ट ऐसोशिएशन के मुताबिक एक हफ्ते में 300 मिनट से ज्‍यादा व्‍यायाम करना खतरे से खाली नहीं है।
  • एक्‍सरसाइज 3 तरह की होती है। माइल्‍ड, मोडेटस्‍ट और सिवियर।
  • इन तीनों व्‍यायाम में से अपनी उम्र और क्षमता के मुताबिक चुनें।
  • किसी भी तरह की व्‍यायाम के पहले अपने डॉक्‍टर की सलाह लें।
  • फूड और लाइफस्‍टाइल भी संयमित रखें।
  • स्‍मोकिंग, एल्‍कोहल और फास्‍ट फूड से दूर रहें।
  • ऑफिस और घर का तनाव न लें।
  • समय- समय पर सेलिब्रेट करें।
आइए जानते हैं कितने तरह के हार्ट अटैक होते हैं और उनके लक्षण क्‍या हैं।
1. उच्च रक्तचाप (Hypertension)
हृदय रोग की सबसे आम टाइप में से एक है हाई ब्लडप्रेशर या हाइपरटेंशन। सामान्य स्थितियों में खून ब्लड वेसेल्स की दीवारों पर एक विशिष्ट दबाव डालता है, जिसे ब्लडप्रेशर कहा जाता है। कई स्थितियों में यह प्रेशर इतना ज्यादा हो सकता है कि शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचाने लगे। यह धमनियों में घूम रहे खून की की मात्रा बढ़ने या धमनियों के व्यास में कमी आने से हो सकता है।
लक्षण
इस स्थिति के कारण कोई विशिष्ट लक्षण नहीं होते। बहुत से लोग इसे जाने बिना भी पीड़ित हो सकते हैं। हालांकि कुछ रोगियों को कई लक्षणों का सामना करना पड़ता है। उनमें सिरदर्द, चक्कर आना, सांस लेने में तकलीफ और नाक से खून आना शामिल हैं।

2. कॉरेनरी हृदयरोग (CHD)
कॉरेनरी हृद रोग एक ऐसी स्थिति है जो हृदय में खून भेजने वाली धमनियों पर असर डालता है। कई कारणों से ब्लड वेसेल्स के लुमेन को कम हो जाते हैं जिससे दिल को ऑक्सीजन और खून नहीं मिलता। इस बीमारी की सबसे आम जटिलताओं में से एक है मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (myocardial infarction, MI) जिसे हार्ट अटैक या दिल का दौरा भी कहा जाता है। यह तब होता है जब धमनी पूरी तरह से ब्लाक हो जाती है। इसका अर्थ है अपर्याप्त ब्लड सप्लाई। नतीजतन कोशिकाओं में पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं होता और वे मिनटों में मर जाती हैं।
लक्षण
कॉरेनरी हृदयरोग का मुख्य लक्षण एनजाइना पेक्टोरिस या सीने में दर्द है। ज्यादातर मामलों में यह तेज फिजिकल एक्टिविटी के बाद उभरता है, छाती के बीचोंबीच होता है, चलने-फिरने में रुकावट डालता है और आमतौर पर कुछ मिनटों के आराम के बाद गायब हो जाता है।
सीने में दर्द
थकान
सांस लेने में कठिनाई
पूरे शरीर में कमजोरी
सिरदर्द
सिर चकराना (Dizziness)

3. हार्ट फेल्योर
दिल की बीमारी के सबसे गंभीर टाइप में से एक हार्ट फेल्योर है। यह एक डायग्नोस्टिक ​​सिंड्रोम है जिसमें हृदय प्रभावी रूप से पंप नहीं कर पाता जिससे हृदय या अपर्याप्त हृदय उत्पादन होता है। दूसरे शब्दों में, कार्डियक आउटपुट अपर्याप्त है। आमतौर पर जब हार्ट फेल्योर होता है, तो वेंट्रिकल मसल बहुत कमजोर हो जाती है। इसलिए यह सही ढंग से सिकुड़ नहीं पाता। इसकी संरचना या फंशन में कई बदलाव इसका कारण बन सकते हैं। दरअसल यह कुछ हार्ट कंडीशन का अंतिम स्टेज है।
लक्षण
सांस लेने में कठिनाई
लेटते समय सांस लेने में असमर्थता
गुलाबी बलगम वाली खांसी
निचले अंगों की सूजन
थकान
जलोदर (Ascites)

4. जन्मजात हृदय रोग (Congenital heart disease)
बच्चों में हृदय की समस्याओं के सबसे आम कारणों में से एक जन्मजात हृदयरोग है। वे संरचनात्मक जन्म दोष हैं जो गर्भावस्था में ही हो जाते हैं, जब बच्चे का दिल बन रहा होता है। इस तरह वे अकेले नहीं बल्कि खामियों का पूरा समूह होते हैं।
लक्षण
जन्मजात हृदयरोग के लक्षण आमतौर पर जन्म के बाद शुरुआती दिनों में दिखाई देते हैं। उनमें से कुछ हैं, तेजी से सांस लेना है, बैंगनी होंठ, फीडिंग में कठिनाई और ग्रोथ से जुडी समस्याएं। दूसरी ओर जो लोग जन्मजात विकृति के साथ पैदा हुए थे और वयस्कता तक पहुंचते हैं, वे एरिद्मिया (arrhythmia), सांस की तकलीफ, त्वचा की खराबी, थकान और निचले अंगों में सूजन से पीड़ित होते हैं।

5. रयूमेटिक ह्रदय रोग (Rheumatic heart disease)
विभिन्न प्रणालीगत रोग हृदय पर असर डाल सकते हैं। उदाहरण के लिए रयूमेटिक फीवर (Rheumatic fever) या आमवाती बुखार। यह एक तरह का हृदयरोग है जो उस स्टैफिलोकोकस स्ट्रेन (staphylococci) के कारण उभरता है जो कनेक्टिव टिशू पर हमला करता है, जिससे ऑटोइम्यून रिएक्शन होता है। इस तरह यह मांसपेशियों और हृदय के वाल्व को प्रभावित करता है, जिससे रयूमेटिक ह्रदय रोग के मामलों में बहुत नुकसान होता है। ये नुकसान इतने गंभीर होते हैं कि वे गंभीर हार्ट फेल्योर और यहां तक ​​कि मौत का कारण बन सकते हैं।

लक्षण
बुखार जो 101 °F से ज्यादा न हो
मांसपेशियों और जोड़ों का दर्द
सामान्य कमज़ोरी
उल्टी
गठिया

6. कार्डियोमायोपैथी (Cardiomyopathies)
कुछ हृदयरोग, जैसे जन्मजात हृदयरोग में सर्जरी की जरूरत होती है। कार्डियोमायोपैथी ऐसे हृदयरोग हैं जो दिल की मांसपेशियों को प्रभावित करते हैं। वे इसे बनाने वाली कोशिकाओं के आकार और वितरण को संशोधित करते हैं। इस तरह हृदय में बदाव आ जाता है। कार्डियोमायोपैथियों की तीन सबसे आम टाइप डायलेटेड, हाइपरट्रॉफिक और प्रतिबंधक हैं। पहले में वेंट्रिकल बढ़े हुए हैं। दूसरे में वेंट्रिकुलर दीवार मोटी हो जाती है। अंत में, प्रतिबंधात्मक कार्डियोमायोपैथी तब होती है जब हृदय की दीवारें (वेंट्रिकल) कनेक्टिव टिशू की घुसपैठ के कारण कठोर होती हैं
लक्षण
फिजिकल एक्टिविटी के बाद सांस की तकलीफ
निचले अंगों की सूजन
थकान
दिल की घबराहट
चक्कर आना और बेहोशी

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