How Israel failed Iran's attack : ईरान ने शनिवार रात और रविवार तड़के इजराइल पर 300 से ज्यादा बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन से हमला किया। हालांकि इजरायल ने 99 प्रतिशत मिसाइलों और ड्रोन्स को मार गिराया। इजरायली सेना प्रवक्ता रियर एडमिरल डेनियल हगारी ने दावा किया है कि कि ईरान ने 170 ड्रोन, 30 से अधिक क्रूज मिसाइलें और 120 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें दागीं थी, जिनमें से 99 प्रतिशत प्रक्षेपणों को हवा में ही रोक दिया गया।
सवाल यह है कि आखिर इजरायल के पास वो कौनसा सिस्टम Iron Dome और Arrow सिस्टम है, जिसकी मदद से इजरायल ने ईरान के सारे हमले रोक लिए। जानते हैं किस आधुनिक तकनीक और अमेरिका में विकसित सिस्टम से ईरान के हमले रोकने का दावा कर रहा है इजरायल।
कैसे इजरायल ने रोके ईरान के हमले : अमेरिका, जॉर्डन और ब्रिटेन ने इजरायल को हमले से बचाया। इजरायल के कान टीवी समाचार ने बताया कि लॉन्च किए गए लगभग 400-500 में से लगभग 100 ड्रोन को अमेरिका, जॉर्डन और ब्रिटिश सेनाओं सहित सहयोगी देशों द्वारा इजराइल पहुंचने से पहले ही रोक दिया गया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक बयान में कहा, इजरायल की सुरक्षा के लिए अमेरिकी सेना ने पिछले सप्ताह ही विमान और बैलिस्टिक मिसाइलें भेजी थीं।
आयरन डोम: अमेरिका के सहयोग से इजरायल में विकसित यह प्रणाली कम दूरी के रॉकेटों को मार गिरा सकती है। इनकी सफलता दर 90 फीसदी है। पिछले दशक के शुरू से अब तक यह हमास और हिजबुल्ला के हजारों रॉकेट हमले नाकाम कर चुकी है।
डेविड स्लिंग: डेविड स्लिंग मध्यम दूरी की मिसाइलों के हमले रोकने में बेहद उपयोगी है, जो लेबनान में हिजबुल्लाह के पास मौजूद हैं।
द एरो : अमेरिका की बेहद एडवॉन्स्ड तकनीक एरो लंबी दूरी की मिसाइलों को रोकने में सक्षम है। यह बैलिस्टिक मिसाइलों के हमलों से बचाने में भी सक्षम है, जिसे ईरान ने शनिवार को लॉन्च किया था।
पैट्रियट: अमेरिका निर्मित यह मिसाइल रक्षा प्रणाली इजरायल के पास लंबे समय से मौजूद है। इनका उपयोग 1991 में प्रथम खाड़ी युद्ध के दौरान सद्दाम हुसैन शासित इराक की तरफ से दागी गई स्कड मिसाइलों को रोकने के लिए किया गया था। अभी इसे ड्रोन और विमानों को मार गिराने में इस्तेमाल किया जाता है।
आयरन बीम: इजरायली हमलों को रोकने के लिए लेजर तकनीक आधारित नई प्रणाली विकसित कर रहा है। हालांकि, इसका इस्तेमाल शुरू नहीं हुआ है, पर माना जा रहा है कि यह गेम चेंजर साबित हो सकती है, क्योंकि अन्य प्रणालियों की तुलना में काफी सस्ती होगी।
एक्सोएटमॉस्फेरिक एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल : एक्सोएटमॉस्फेरिक को एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल (एबीएम) के रूप में भी जाना जाता है। बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने और नष्ट करने के लिए इनको डिजाइन किया गया है। इंटरसेप्ट मिसाइल, जिसे एक्सोएटमॉस्फेरिक किल व्हीकल (ईकेवी) के रूप में भी जाना जाता है। ये अंतरिक्ष में पहुंचने पर लक्ष्य को पहचानने और ट्रैक करने के लिए अपने परिष्कृत बहु-रंग सेंसर और उन्नत ऑनबोर्ड कंप्यूटर को सक्रिय करता है। इसके बाद अंतरिक्ष में सटीकता के साथ लक्ष्य की ओर बढ़ता है।
ईरान-इजरायल : कौन कितना ताकतवर : ईरान और इजरायल की ताकत की बात करें तो इजरायल का रक्षा बजट 24.2 अरब डॉलर का है, जबकि ईरान का सिर्फ 9.9 अरब डॉलर का है। इजरायल के पास 612 प्लेन हैं, ईरान के पास 551 प्लेन हैं। इजरायल के पास 2201 टैंक्स हैं, जबकि ईरान के पास डबल लगभग 4071 टैंक्स हैं। समंदर शक्ति की बात करें तो इजरायल के पास 67 युद्ध पोत हैं। ईरान के पास 101 युद्धपोतों का बेड़ा है। इजरायल के पास 43 हजार और ईरान के 65 हजार हैं बख्तरबंद वाहन हैं। इजरायल के पास 1.73 लाख सैनिक और ईरान के पास 5.75 लाख सक्रिय सैनिक हैं। इसके अलावा इजरायल के पास 4.65 लाख और ईरान के पास 3.50 लाख रिजर्व सैनिक भी हैं।
कौन किसके साथ : इजरायल के साथ अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, कनाडा और न्यूजीलैंड ने हमास की आलोचना करते हुए इजराइल का साथ दिया था। ऐसे में ये सारे देश इजरायल के साथ नजर आ रहे हैं।
ईरान : ईरान की बात करें तो इसके साथ लेबनान, सीरिया, जॉर्डन और फिलिस्तीन जैसे देश इरान के साथ हैं। गैर मुस्लिम देशों में रूस, उत्तर कोरिया और चीन के ईरान के साथ अच्छे संबंध हैं।
क्यों है इजरायल- ईरान की दुश्मनी : ईरान और इजरायल के बीच विवाद की वजह हमेशा ही सीरिया रहा है। इस बार भी उसके सैन्य कमांडर की मौत सीरिया में ही हुई है। साल 2011 से सीरिया में जंग की स्थिति है और ईरान वहां की सरकार की मदद करता रहा है। सीरिया की बशर अल असद सरकार की ईरान मदद करता रहा है। दोनों देशों की ये दुश्मनी काफी पुरानी है। इजरायल के अस्तित्व को ईरान स्वीकार नहीं करता है। ईरान का कहना है कि इजरायल ने मुस्लिमों की जमीन को कब्जाया हुआ है। वहीं, इजरायल भी ईरान को अपने खतरे के रूप में देखता है।
Edited by: Navin Rangiyal