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भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन में कितनी बदली राहुल गांधी की छवि?

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विकास सिंह

, शुक्रवार, 16 दिसंबर 2022 (13:15 IST)
राहुल गांधी के नेतृत्व में कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक निकाली जा रही भारत जोड़ो यात्रा ने आज अपने 100 दिन पूरे कर लिए है। 150 दिन में लगभग 3700 किलोमीटर के सफर पर निकली भारत जोड़ो यात्रा ने अब तक 2800 किलोमीटर का सफर पूरा करने के साथ 8 बड़े राज्यों से गुजर चुकी है। भारत जोड़ो यात्रा मे राहुल गांधी एक तरफ लगातार लोगों से मिलकर उनसे चर्चा कर रहे है तो दूसरी ओर समाज के विभिन्न वर्ग के लोग भी लगातार भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हो रहे है। भारत जोड़ो यात्रा से हर नए दिन के साथ जो तस्वीरें निकलकर आ रही है वह एक बड़ा संदेश दे रही है। संदेश यह कि क्या भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी की छवि को बदलने का  काम किया है।  
 
भारत जोड़ो यात्रा के जरिए 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की सियासी जमीन तैयार कर रहे राहुल गांधी जनता से मंहगाई, बेरोजगारी और लोकतंत्र के मुद्दे पर सीधा संवाद कर रहे हैं। राहुल गांधी अपनी भारत जोड़ो यात्रा के साथ कांग्रेस की उस वैचारिक धुंध को भी साफ करने  की कोशिश कर रहे है, जो लंबे समय से उसे कठघरे में खड़ी करती आई है। यात्रा के दौरान वीर सावरकर के माफीनामे जैसे मुद्दे को उठा कर राहुल कांग्रेस के वैचारिक तौर पर सियासी एजेंडे को स्पष्ट कर रहे है। असल में राहुल गांधी एकदम स्पष्ट समाजिक अवधारणा के लेकर भारत जोड़ो यात्रा में उतरे है वह भाजपा से ज्यादा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के साथ एक वैचारिक लड़ाई है। 
 
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर कांग्रेस कम्युनिकेशन विभाग के अध्यक्ष जयराम रमेश कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य कांग्रेस संगठन को मजबूत करना और उसे संजीवनी देना है। वह आगे कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का मकसद जनता से सीधा संवाद करना है।  
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वहीं आज भारत जोड़ो यात्रा के 100 दिन पूरे होने पर कांग्रेस ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल ट्विटर पर राहुल गांधी एक तस्वीर शेयर करते हुए लिखा कि “अडिग-अविचल...आपके नेता श्री राहुल गांधी”। ऐसे में साफ हो जाता  है कि भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस राहुल गांधी की एक नई छवि छवि गढ़ने की कोशिश कर रही है और खुद राहुल गांधी भी अपनी छवि बदलने की कोशिश कर रहे है।
 
मध्यप्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता सुरेश पचौरी कहते हैं कि भारत जोड़ो यात्रा ने राहुल गांधी के व्यक्तित्व को निखारा है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा भारतीय राजनीति के पटल पर एक नया राष्ट्रीय एजेंडा तय करने में मील का पत्थर साबित होगी। भारत जोड़ो यात्रा में समाज का हर वो वर्ग शामिल है जो देश की नकारात्मक राजनीति से दुखी है। भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं में नए उत्साह का संचार हुआ है। 
 
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हो चुके है। बात चाहे रिजर्व बैंक के पूर्व गर्वनर रघुराम राजन की हो या नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के साथ दक्षिण भारत में रोहित वेमुला की माँ राधिका वेमुला और पत्रकार गौरी लंकेश की माँ इंदिरा लंकेश और बहन कविता लंकेश की या फिल्मी जगत से आने वाली अभिनेत्री स्वरा भास्कर,पूजा भट्ट,रश्मि देसाई,रिया सेन और अभिनेता अमोल पालेकर और सुशांत सिंह की, सभी राहुल गांधी के साथ कदमताल करते हुए नजर आए है।
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कांग्रेस की खोई सियासी जमीन तलाश करने निकले राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा में शहरों के साथ गांव और कस्बों की भी खाक छान रहे है। मध्यप्रदेश जैसे राज्य में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आदिवासी बाहुल्य जिलों से होकर गुजरी और राहुल गांधी ने इस दौरान आदिवासी वोट बैंक को कांग्रेस से जोड़ने की की पूरी कोशिश की। मध्यप्रदेश में कांग्रेस के आदिवासी विधायक हीरालाल अलावा कहते हैं कि “राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा आम लोगों से मिलने और उनको करीब से जनाने का एक मौका है। यात्रा का उद्देश्य सभी लोगों को जोड़ना है”।
 
मध्यप्रदेश जैसे राज्य जहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने है और कांग्रेस पार्टी भाजपा को सीधी चुनौती दे रही है वहां पर राहुल गांधी ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि “यह यात्रा हमने कन्याकुमारी में शुरु की थी और यात्रा की शुरुआत में विपक्षी पार्टियों ने कहा था कि यात्रा 3700 किलोमीटर लंबी है और यह पैदल पूरी नहीं की जा सकती। अब हम मध्यप्रदेश में आए और यहां 370 किलोमीटर चलेंगे और यात्रा में जो तिरंगा है, उसको श्रीनगर में लहराएंगे और इसको कोई नहीं रोक सकता”।
 
कांग्रेस की राजनीति को कई दशकों से करीब से देखने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक  कहते हैं कि निश्चित तौर पर भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी के एक अलग छवि निकलकर सामने आई है। वह कहते हैं कि राहुल गांधी ने भी खुद कहा है कि वे राहुल गांधी को पीछे छोड़ आए हैं,भारत जोड़ो यात्रा में हर कदम के बाद पहले वाले राहुल गांधी को ढूंढना मुश्किल होता जा रहा है। असल में भारत जोड़ो यात्रा राहुल गांधी को पप्पू जैसे अंलकारों से सुशोभित करने वालों को एक करारा जवाब है और राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा से अपने विरोधियों को ही पप्पू साबित कर दिया है। 
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डॉ, राकेश पाठक आगे कहते हैं कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में पहले दिन से भाजपा के नेताओं की ओर से जो विवाद पैदा करने की कोशिश की गई है वह अब तक बूमरैंग साबित हुई है। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा को लेकर रणनीति एकदम स्पष्ट है। राहुल गांधी लगातार अपनी यात्रा पर आगे बढ़ते जा रहे है और उन पर विवादों का कोई असर नहीं पड़ रहा है।
 
राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में लोगों में उमड़ रहे हुजूम से कांग्रेस गदगद और उत्साृहित है। राहुल गांधी फरवरी और मार्च में जब भारत जोड़ो यात्रा का समापन कश्मीर में करेंगे तब लोकसभा चुनाव में एक वर्ष का समय शेष बचेगा और देखना होगा कि राहुल गांधी अपने बदली छवि के साथ कांग्रेस को फिर से खड़ा कर उसकी खोई हुई जमीन को तलाश कर पाएंगे? 

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