- क्या ईरान और इजरायल का खूनी खेल दुनिया को धकेलेगा युद्ध में
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ईरान ने अपनी मस्जिद पर फहराया लाल झंडा, जिसका अर्थ है बदला
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मिडिल ईस्ट क्यों बना दुनिया को वर्ल्ड वॉर में झोंकने का अखाड़ा
Iran Israel War : इजरायल ने जिस तरह से हमास के चीफ इस्माइल हानिया को ईरान में घुसकर ठोका है, उसके बाद दुनिया न सिर्फ सहमी हुई है, बल्कि मिडिल ईस्ट में कई देश दहशत में आ गए हैं। क्योंकि ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने हमास लीडर इस्माइल हानिया की हत्या के बाद इजरायल से बदला लेने की कसम खाई है। वहीं इजरायल कह रहा है कि वो हर हालात के लिए तैयार है।
इस टकराव से अंदाजा लगाया जा रहा है कि दुनिया एक बार फिर से तीसरे विश्वयुद्ध के मुहाने पर आकर खड़ी हो गई है। तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका को इसलिए बल मिल रहा है, क्योंकि ईरान और इजरायल के इस टकराव के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने अपने जंगी बेड़े इजरायल के तट पर तैनात कर दिए हैं।
क्या ये इजरायल का 7 अक्टूबर का बदला है : इजरायल ने कहा था कि इजरायल पर 7 अक्टूबर को हमला करने वाले गुनहगार चलती-फिरती लाशें हैं। आज नहीं तो कल उनका अंत आएगा। एक-एक कर इजरायल अपने दुश्मनों का सफाया करता जा रहा है। इजरायल की ये बात बुधवार को सही साबित हो गई और हमास का चीफ सबसे सुरक्षित किले में मारा गया। हानिया कतर में रहता था लेकिन वो ईरान आया हुआ था। हमास चीफ इस्माइल हानिया की हत्या को लेकर सरकारी न्यूज एजेंसी इरना के मुताबिक हानिया के ठिकाने पर हमला गाइडेड मिसाइल से किया गया है। हानिया उत्तरी तेहरान में एक घर में ठहरा था। ईरानी सेना उस जगह का पता लगाने में जुटी है।
क्या अमेरिका से मिला ग्रीन सिग्नल : कहा जा रहा है कि हानिया की हत्या का सिग्नल सीधे अमेरिका से मिला है। यह दावा हमास और ईरान समर्थक कर रहे हैं। क्योंकि बेंजामिन नेतन्याहू अमेरिका से वापस इजरायल लौटे और उसके कुछ ही घंटों के अंदर हिजबुल्लाह के नंबर 2 फौद शुकर का और फिर हमास चीफ हानिया को मार दिया गया। इस बीच ईरान ने अपनी मस्जिद पर लाल झंडा फहरा दिया है। लाल झंडा यानी बदले का अल्टीमेटम। ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामेनेई ने बदले का ऐलान करते हुए कहा कि इस्लामी गणराज्य की सीमाओं के भीतर घटी इस कड़वी और दुखद घटना के बाद बदला लेना हमारा कर्तव्य है।
क्यों आशंका है तीसरे विश्वयुद्ध की : बता दें कि इजरायल और फिलिस्तीन के बीच पहले से युद्ध चल रहा है। अब हमास लीडर की हत्या के बाद ईरान भी तमतमा उठा है। वहीं, रूस और यूक्रेन के बीच लंबे समय से वॉर जारी है। ऐसे में अब हमास लीडर की हत्या ने ईरान और इजरायल के बीच की आग में घी का काम किया है।
क्यों जंग का अखाड़ा बना मिडिल ईस्ट : मिडिल ईस्ट जंग का अखाड़ा बन चुका है, पश्चिम इससे पहले ही प्रभावित था। अब पश्चिमी एशिया भी इससे प्रभावित होता नजर आ रहा है, लेकिन इजराइल और हमास को छोड़ दें तो ये कतई साफ नहीं है कि आखिर लड़ कौन किससे रहा है? बात अगर ईरान की जाए तो इसे रूस, चीन और पाकिस्तान और सीरिया का खुला समर्थन हासिल है। मगर ईरान ने पाकिस्तान और सीरिया पर कुछ समय पहले हमला कर अपने इरादे जाहिर कर दिए थे। हूती इजरायलियों, अमेरिकियों और ब्रिटिशों पर हमला कर चुके हैं। अमेरिका और ब्रिटिश हूतियों पर बमबारी करते रहे हैं। इजराइल लेबनान पर बम बरसा रहा है और यमन लाल सागर तक मालवाहक जहाजों पर निशाना बना रहा है। यह सारे दृश्य देखते हुए मिडिल ईस्ट पूरी तरह जंग का मैदान बन गया है।
युद्ध के मोर्चे कैसे कैसे : इजराइल के गाजा पर ताबड़तोड़ हमले जारी हैं। सीरिया पर कभी अमेरिका हमला कर देता है तो कभी रूस। अब ईरान भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। यमन के हूती विद्रोही अलग राग अलाप रहे हैं। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात इनके विरोध में है। लेबनान का हिजबुल्लाह इजराइल से खार खाए है और हमले जारी रखे है। ईराक को लेकर ईरान और अमेरिका आमने-सामने थे, लेकिन अब ईरान ने भी ईराक पर हमला कर दिया है।
कौन किसके साथ हैं : मिडिल ईस्ट की ये जंग कभी भी विश्व युद्ध में तब्दील हो सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि खाड़ी देशों पर सीधे तोर पर महाशक्तियों का प्रभाव है। अमेरिका-ब्रिटेन समेत पश्चिमी देश इजराइल के समर्थन में हैं तो रूस-चीन ईरान का समर्थन कर रहे हैं। इजराइल ये साफ कर रहा चुका है कि जब तक हमास खत्म नहीं होगा तब तक युद्ध जारी रहेगा। यानी ईरान, यमन के हूती और लेबनान का हिजबुल्लाह भी हमले जारी रखेगा। यदि ये जंग और व्यापक हुई तो जो देश अब तक पीछे से समर्थन कर रहे थे वे खुले तौर पर सामने आ जाएंगे। ऐसे में मिडिल ईस्ट की ये आग और भड़क सकती है।
क्या है ईरान और इजरायल की दुश्मनी का इतिहास?
1979 : ईरान के पश्चिम समर्थक नेता मोहम्मद रजा शाह इजराइल को एक सहयोगी मानते थे। हालांकि, ईरान में हुए इस्लामी क्रांति में वह सत्ता से बाहर हो गए। इसके बाद ईरान ने इजरायल के विरोध को एक वैचारिक अनिवार्यता के साथ एक नया धार्मिक शासन स्थापित किया।
1982 : जैसे ही इजरायल ने लेबनान पर हमला किया, ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने हिजबुल्लाह की स्थापना के लिए वहां साथी शिया मुसलमानों के साथ काम किया और इजराइल की सीमा पर सबसे खतरनाक संगठन को खड़ा कर दिया।
1983 : ईरान समर्थित हिजबुल्लाह ने लेबनान से पश्चिमी देशों और इजरायल की सेना को खदेड़ने के लिए आत्मघाती बम विस्फोटों का इस्तेमाल किया। नवंबर में विस्फोटकों से भरी एक कार इजरायली सेना के मुख्यालय में घुसी। बाद में इजरायल लेबनान के अधिकांश हिस्से से हट गया।
1992-94 : अर्जेंटीना और इजरायल ने ईरान और हिजबुल्लाह पर 1992 में ब्यूनस आयर्स में इजराइल के दूतावास और 1994 में शहर में एक यहूदी केंद्र पर आत्मघाती बम विस्फोटों के पीछे होने का आरोप लगाया। दोनों विस्फोटों में दर्जनों लोग मारे गए थे।
2002 : रिपोर्ट आती है कि ईरान के पास एक गुप्त यूरेनियम संवर्धन कार्यक्रम है और वह परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा है। ईरान इससे इनकार करता है। इसके बाद इजरायल ने तेहरान के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आग्रह किया।
2006 : इजरायल ने लेबनान में एक महीने तक चले युद्ध में हिजबुल्लाह से लड़ाई की लेकिन भारी हथियारों से लैस समूह को कुचलने में असमर्थ रहा।
2009 : ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने भाषण देते हुए इजरायल को खतरनाक और घातक कैंसर कहा।
2010 : खतरनाक कंप्यूटर वायरस स्टक्सनेट (Stuxnet) को संयुक्त राज्य अमेरिका और इजरायल ने विकसित किया था और इसका उपयोग ईरान के नटान्ज़ परमाणु स्थल पर यूरेनियम संवर्धन केंद्र पर हमला करने के लिए किया गया था। यह किसी देश पर पहला सार्वजनिक रूप से ज्ञात साइबर हमला था।
2012 : ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मुस्तफा अहमदी-रोशन की तेहरान में बम विस्फोट से मौत हो गई। एक मोटरसाइकिल चालक ने उनकी कार में बम लगा दिया था। शहर के एक अधिकारी ने हमले के लिए इजरायल को दोषी ठहराया था।
2018 : इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने विश्व के प्रमुख देशों के साथ ईरान के परमाणु समझौते से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के पीछे हटने की सराहना की। उन्होंने ट्रंप के फैसले को ऐतिहासिक कदम बताया था।
2020 : इजरायल ने बगदाद में अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की विदेशी शाखा के कमांडर जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या का स्वागत किया। ईरान ने अमेरिकी सैनिकों वाले इराकी ठिकानों पर मिसाइल हमले कर जवाबी हमला किया। इस हमले में लगभग 100 अमेरिकी सैन्यकर्मी घायल हो गए।
2021 : ईरान ने मोहसिन फखरीजादेह की हत्या के लिए इजरायल को दोषी ठहराया, जिन्हें पश्चिमी खुफिया सेवाओं ने परमाणु हथियार क्षमता विकसित करने के लिए एक गुप्त ईरानी कार्यक्रम के मास्टरमाइंड के रूप में बताया था। तेहरान लंबे समय से ऐसी किसी भी महत्वाकांक्षा से इनकार करता रहा है।
2022 : अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और इजरायली प्रधानमंत्री यायर लैपिड ने ईरान को परमाणु हथियार लेने से रोकने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए। यह समझौता राष्ट्रपति के रूप में बाइडेन की इजरायल की पहली यात्रा के "जेरूसलम घोषणा" का हिस्सा था।
2024 : दमिश्क में ईरानी दूतावास परिसर पर एक संदिग्ध इजरायली हवाई हमले में दो वरिष्ठ कमांडरों सहित इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड के सात अधिकारी मारे गए। ईरान ने 13 अप्रैल को इजरायली क्षेत्र पर हमले में ड्रोन और मिसाइलों की बौछार के साथ जवाब दिया।
Edited by Navin Rangiyal