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क्‍या Antibiotics के ओवरडोज ने बिगाड़ दी इम्‍युनिटी, क्‍यों वायरल में भी गंभीर हो रहे मरीज, डॉक्‍टरों ने किया अलर्ट

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नवीन रांगियाल

  • डायबिटिक मरीज सामान्‍य वायरल इंफेक्‍शन में हो जाएं अलर्ट
  • लंबी खांसी को नजरअंदाज नहीं करें, दो हफ्ते में दिखा दें डॉक्‍टर को
इंदौरइंडियन मेडकिल एसोसिएशन ने एडवाइजरी जारी करते हुए डॉक्टरों को एंटीबायोटिक्स से बचने की सलाह दी है। आईएमए ने कहा कि खांसी, मतली, उल्टी, गले में खराश, बुखार, शरीर में दर्द और दस्त के लक्षण वाले रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ी है। आईएमए ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए एक नोटिस के जरिए यह घोषणा की। नोटिस में कहा गया है कि मौसमी बुखार एक सप्ताह से अधिक नहीं रहेगा और एंटीबायोटिक दवाओं के सेवन से बचने की जरूरत है।

आईएमए ने बताया कि ये संक्रमण औसतन 5 से 7 दिनों तक रहता है। बुखार 3 दिनों में खत्म हो जाता है। लेकिन खांसी 3 हफ्ते तक बनी रह सकती है। आईएमए ने डॉक्टरों को सलाह दी कि वे एंटीबायोटिक्स देने से परहेज करें।

यह मौसमी बुखार या वायरल का दौर है, जो हर साल आता है, लेकिन इस बार यह कुछ ज्‍यादा खतरनाक है, आमतौर पर तीन दिनों में बुखार उतर जाता है और मरीज सामान्‍य हो जाता है, लेकिन इस बार बुखार की वजह से लोगों को अस्‍पतालों में भर्ती होना पड़ रहा है। चिकित्‍सकों से चर्चा में इसकी कई वजहें सामने आ रही हैं। कमजोर इम्‍युनिटी और एंटीबायोटिक दवाओं का ज्‍यादा इस्‍तेमाल इनमें प्रमुख वजह है।

क्या होती है एंटी बायोटिक्स : एंटीबायोटिक्स एक प्रकार की दवा है जो बैक्टीरिया के विकास को नष्ट या धीमा कर देती हैं और संक्रमण को फैलने से रोकती है। इसे बैक्टीरिया के कारण होने वाली बीमारियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है।अस्‍पतालों में मरीजों की लंबी कतारें लगी हैं, मेडिकल स्‍टोर्स पर दवाईयों के लिए मरीजों का हुजूम लगा हुआ है। हर दूसरे और तीसरे घर में कोई न कोई बीमार पड़ा है। बुखार, सर्दी-खांसी, सिर भारी होना, लंबी खांसी, हाथ-पैर में दर्द और दस्‍त। इन दिनों हर कोई इन तमाम लक्षणों का शिकार है। हालात यह है कि इन वजहों से कई लोग अस्‍पताल में भर्ती हो रहे हैं।

वेबदुनिया ने इंदौर के विशेषज्ञ डॉक्‍टरों से इस बारे में चर्चा की। आइए जानते हैं क्‍यों इस बार यह सामान्‍य सा वायरल इतना खतरनाक होता जा रहा है। है। जिन डॉक्‍टरों से हमने चर्चा की उनमें चेस्‍ट रोग विशेषज्ञ डॉ रवि दोसी, जनरल फिजिशियन डॉ प्रवीण दाणी, चेस्‍ट और एलर्जी विशेषज्ञ डॉ सलिल भार्गव और चेस्‍ट रोग विशेषज्ञ डॉ जीडी नागर शामिल हैं।
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वायरस के साथ बदला वायरल भी
इंदौर के प्रसिद्ध चेस्‍ट रोग विशेषज्ञ डॉ रवि दोसी उन डॉक्‍टरों में से एक हैं, जिन्‍होंने कोरोना दौरान और कोरोना के बाद लोगों में आई चेस्‍ट से संबंधी समस्‍याओं को डायग्‍नोस्‍ड किया था। उन्‍होंने बताया कि इस वक्‍त जो वायरल संक्रमण चल रहा है, वो है तो मौसमी ही, लेकिन चूंकि हम कुछ ही समय पहले कोरोना से उबरे हैं और इस समय भी कोरोना संक्रमण चल रहा है, इसके साथ ही स्‍वाइन फ्लू का भी खतरा बना हुआ है, ऐसे में यह ज्‍यादा गंभीर हो गया है। उन्‍होंने बताया कि बारिश के दिनों में मायनर वायरल्‍स आते हैं, लेकिन कोरोना जैसे वायरस के साथ मिलकर यह वायरल का एक नया ही वैरिएंट बन गया है। इसके लक्षणों में सर्दी- खासीं, तेज बुखार और दस्‍त शामिल हैं। उन्‍होंने बताया कि सामान्‍य तौर पर 3 से 5 दिनों में ठीक हो जाता है। जहां तक लंबी खांसी की परेशानी है तो दो हफ्ते से ज्‍यादा दिनों तक खांसी न जाए जो चेस्‍ट की जांच करवाना जरूरी हो जाता है।
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जनरल फिजिशियन डॉक्‍टर डॉ प्रवीण दाणी ने बताया कि यह हर साल आने वाला वायरल इंफेक्‍शन ही है। लेकिन इस बार इसके लक्षण कुछ लंबे समय तक रहते हैं। बुखार सामान्‍य तौर पर उतर जाता है, हालांकि कमजोर इम्‍युनिटी की वजह से कुछ मरीज ज्‍यादा प्रभावित हो रहे हैं। साथ में डेंगू और मलेरिया भी चल रहा है, ऐसे में बचाव के लिए मरीज को मास्‍क लगाना चाहिए, उसे आइसोलेट कर देना चाहिए। इस दौरान अच्‍छी डाइट लें, जूस पिएं और डॉक्‍टर से संपर्क करें।
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वायरल के साथ लंबी खांसी हो रही
चेस्‍ट और एलर्जी रोगों के विशेषज्ञ डॉ सलिल भार्गव ने बताया कि इस बार कुछ मरीजों में वायरल संक्रमण के साथ लंबी खांसी के भी एक लक्षण बनकर देखने को मिल रहा है। उन्‍होंने बताया कि हालांकि वायरल सिर्फ उन्‍हीं को ज्‍यादा चपेट में ले रहा है, जिनकी इम्‍युनिटी कमजोर है। जिनकी इम्‍युनिटी मजबूत है, उन्‍हें भी वायरल हो सकता है, लेकिन वे जल्‍दी रिकवर हो जाते हैं। वहीं, वायरल से ऐसे लोग ज्‍यादा शिकार हो रहे हैं, जिन्‍हें डायबिटीज है। जहां तक खांसी का सवाल है तो स्‍मोकिंग करने वाले और फेफडों की शिकायत वाले मरीजों में यह लंबे समय तक हो सकती है। अगर लगातार 5 से 7 दिनों तक खांसी आए तो डॉक्‍टर को दिखाना चाहिए।
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ज्‍यादा एंटीबायोटिक खाने के नतीजे
इंदौर के प्रसिद्ध चेस्‍ट और शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ जीडी नागर ने बताया कि कमजोर इम्‍युनिटी वालों को वायरल ज्‍यादा प्रभावित कर रहा है, लेकिन एक दूसरी वजह यह भी है कि कोरोना के दिनों में ज्‍यादा एंटीबायोटिक दवाएं लेने का भी यह एक नतीजा है। उन्‍होंने बताया कि हम जब भी बीमार होते हैं एंटीबायोटिक दवाएं खाने लगते हैं, जबकि सामान्‍य बुखार तीन दिनों में अपने आप ठीक हो सकता है। कुल मिलाकर ज्‍यादा एंटीबायोटिक लेने की वजह से लोगों की इम्‍युनिटी कम हुई है और अब हर तरह का वायरल उनके ऊपर असर दिखा रहा है। मेरी सलाह है कि ऐसे में प्रॉपर डाइट लें, व्‍यायाम करें, एंटी बायोटिक दवाओं से बचें।

क्‍या है इस वायरल के लक्षण?
बुखार, सिरदर्द या सिर का भारीपन, आंखों में जलन, पैरों में दर्द, लंबी खांसी, दस्‍त आदि।

क्‍यों होती है लंबी खांसी
लगातार खांसी होना (Persistent coughs) कहलाती है। यह लंबे समय तक श्‍वसन तंत्र में संक्रमण, जैसे क्रोनिक ब्रोंकाइटिस की वजह से होती है।
अस्थमा- यह आमतौर पर अन्य लक्षणों का कारण बनता है, जैसे कि घरघराहट, सीने में जकड़न और सांस की तकलीफ और एलर्जी।
धूम्रपान - धूम्रपान करने वाले की खांसी भी सीओपीडी का लक्षण हो सकती है।
ब्रोन्किइक्टेसिस- जहां फेफड़ों के वायुमार्ग असामान्य रूप से चौड़े हो जाते हैं।
पोस्टनासल ड्रिप- बलगम नाक के पीछे से गले में टपकना जो कि राइनाइटिस या साइनुसाइटिस जैसी स्थिति के कारण होता है। गैस्ट्रो-ओसोफेगल रिफ्लक्स डिजीज (जीओआरडी)- जहां पेट के एसिड के रिसाव से गला प्रभावित हो जाता है।
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कितने प्रकार की होती है खांसी?
- एक्यूट खांसी (Acute Cough)- यह लगभग 2 से 3 हफ्ते तक रहती है और अपने आप ही ठीक हो जाती है।
- सबएक्यूट खांसी (Subacut Cough यह लगभग 3 से 8 हफ्तों तक रह सकती है।
- क्रॉनिक खांसी (Chronic Cough) यह 8 हफ्तों से ज्यादा रहती है और किसी बड़ी बीमारी का संकेत हो सकती है।
कब मिलें डॉक्टर से?
अगर आपको एक या दो हफ्ते से हल्की खांसी है, तो आमतौर पर आपको डॉक्टर से मिलने की कोई आवश्यकता नहीं है। अगर 3 सप्ताह से अधिक समय से खांसी है,आपकी खांसी गंभीर है या बढ़ती जा रही है, खांसी में खून आता है या आप सांस लेने में तकलीफ या सीने में दर्द का अनुभव करते हैं, आपमें कोई अन्य चिंताजनक लक्षण हैं, जैसे वजन कम होना, आवाज़ में परिवर्तन, या आपकी गर्दन में गांठ या सूजन है तो डॉक्‍टर से मिलना चाहिए।

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