भारतीय क्रिकेट में उच्च स्तर का कोच बनने के लिए पहले पूछा जाता था कि कितना क्रिकेट खेला है? लेकिन अब मौजूदा कोच इस तरह की धारणा को बदलते जा रहे हैं। हैदराबाद के पूर्व बाएं हाथ के स्पिनर आर श्रीधर भारतीय टीम के पूर्व मुख्य कोच रवि शास्त्री के नेतृत्व वाले कोचिंग स्टाफ का हिस्सा थे और उन्होंने सबसे पहले इस धारणा को बदला।
लेकिन इसके बाद मौजूदा भारतीय क्षेत्ररक्षण कोच टी दिलीप ने इस धारणा की पुष्टि की कि कोच के रूप में सम्मान पाने के लिए आपको एक बड़ा स्टार होने की जरूरत नहीं है। बल्कि आपको प्रथम श्रेणी खिलाड़ी होने की भी जरूरत नहीं है क्योंकि अहम है कि आप खिलाड़ियों से कितना अच्छा प्रदर्शन करा पाते हो।
ड्रेसिंग रूम में अपने भाषण से सबको आकर्षित करने वाले दिलीप शायद इसका सबसे अच्छा उदाहरण हैं जो राज्य क्रिकेट अकादमी के जूनियर आयु ग्रुप कार्यक्रम में कोचिंग देते थे, वह आईपीएल टीम डेक्कन चार्जर्स (अब बंद हुई) में सहायक क्षेत्ररक्षण कोच के रूप में काम करते थे और राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) में एक दशक बिता चुके हैं।
उनकी यात्रा दिलचस्प रही है क्योंकि उनके परिवार ने कभी भी उनकी क्रिकेट महत्वाकांक्षाओं का समर्थन नहीं किया जिससे उन्हें स्कूली बच्चों को गणित की ट्यूशन देनी पड़ी ताकि वह अपनी कोचिंग के लिए धन जुटाने सकें।
भारतीय क्रिकेट बोर्ड (BCCI) के एक सूत्र ने कहा, दिलीप बहुत मेहनती कोच हैं, उन्होंने बेसबॉल कोच माइक यंग के साथ सहायक के रूप में काम किया जो डेक्कन चार्जर्स में मुख्य क्षेत्ररक्षण कोच थे। वह लेवल 2 और 3 कोर्स में अच्छे नतीजे लेकर आये। वह एनीसीए में आर श्रीधर के साथ काम कर चुके हैं। (भाषा)