नई दिल्ली। समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष एवं उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने किसान आंदोलन को लेकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आंदोलनजीवी वाले तंज पर चुटकी लेते हुए मंगलवार को लोकसभा में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेताओं को चंदाजीवी करार दिया, जिससे सत्तापक्ष के सदस्य भड़क गए और कहा कि चंदा आस्था से दिया जा रहा है।
संसद के बजट सत्र में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए यादव ने कहा कि हमारी पहचान एवं संस्कृति गंगा जमुनी तहजीब वाली है, जहां सबकी मिलीजुली परंपरा का सम्मान किया जाता है। उन्होंने भाजपा के नेतृत्व पर कड़ा प्रहार करते हुए तमाशा करने का आरोप लगाया और शेर पढ़ा, जब तक पिछला करतब लोग समझ पाएं, एक तमाशा और खड़ा कर देता हूं।
उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के बारे में मोदी के राज्यसभा के भाषण का उल्लेख करते हुए कहा, कल सुना कि एमएसपी था, है और रहेगा। मगर कागज में। जमीन पर कहीं नहीं है।उन्होंने कहा कि जो भी किसान धरने पर बैठे हैं, वह उनको बधाई देते हैं। उन्होंने दो-दो बार सरकार बनवाई 2014/2019 में सरकार बनवाई।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह पता लगाना चाहिए कि जिस जिले से राष्ट्रपति आते हैं, उसमें किसानों को एमएसपी मिलती है या नहीं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के जिले से सटे उनके क्षेत्र में मक्का-धान के किसानों को कोई एमएसपी नहीं मिली है।
उन्होंने कहा कि जब किसानों को कृषि सुधार कानून स्वीकार नहीं है तो उसे वापस ले लिया जाना चाहिए। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार कॉर्पोरेट घरानों के लिए कारपेट बिछाने में लगी है। सरकार के नेता जनप्रतिनिधि की बजाय धनप्रतिनिधि बन गए हैं।
आंदोलन में भाग लेने वालों को आंदोलनजीवी कहें जाने पर टिप्पणी करते हुए यादव ने कहा कि आंदोलनों ने ना जाने कितने नेता इस देश को दिए हैं। महात्मा गांधी, सरदार पटेल आदि नेता आंदोलनों से निकले हैं। उन्होंने कहा, अब कहा जा रहा है कि वे आंदोलनजीवी हैं, तो आप भी चंदाजीवी हैं।यादव के यह कहने पर भाजपा के कई सदस्य भड़क गए और विरोध में कुछ बोलने लगे।
यादव ने लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस वे का उदाहरण देते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी की सरकार ने एक्सप्रेस वे के किनारे आलू, अनाज, आम की मंडियां बनवाईं। पूर्वांचल एक्सप्रेस वे पर गाजीपुर, सुल्तानपुर और आजमगढ में मंडियां बनाने के लिए बुनियाद रखी, लेकिन चार साल से काम बंद है।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार ने अमूल के चार प्लांट लगवाए लेकिन उनमें स्थानीय लोगों का दूध नहीं लिया जा रहा है, गुजरात से दूध मंगवाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जो किसान बंजर जमीन में कीलें-पत्थर निकालकर खेती करता है, अगली बार इस सरकार पर भी 'पटेला' चलाएगा।
यादव के भाषण के खत्म होते हुए केन्द्रीय ग्रामीण विकास राज्यमंत्री साध्वी निरंजन ज्योति खड़ी हो गईं और चंदाजीवी वाले बयान पर विरोध व्यक्त करते हुए कहा कि चंदा अयोध्या में राम मंदिर के लिए लिया जा रहा है और यह चंदा जबरन नहीं, बल्कि आस्था से दिया जा रहा है। विश्वभर में लोग चंदा दे रहे हैं। स्वयं उन्होंने भी चंदा दिया है।
इससे पहले नेशनल कॉन्फ्रेंस के डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने अपने संबोधन में सरकार की भेदभाव वाली राजनीति पर प्रहार किया और जम्मू कश्मीर एवं लद्दाख का एकीकरण करके पुन: एक राज्य बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि कोविड-19 के कारण जम्मू कश्मीर के पर्यटन उद्योग को बहुत नुकसान हुआ है। केन्द्र शासित प्रदेश में सबको जल्द से जल्द टीका लगवाया जाना चाहिए। वहां सड़कों एवं हवाई अड्डे का बुरा हाल है। उन्होंने सरकार से अपील की कि बानिहाल बारामूला रेल सेवा को तुरंत बहाल किया जाना चाहिए।
डॉ. अब्दुल्ला ने किसानों के आंदोलन को लेकर सरकार से आग्रह किया कि कृषि कानूनों को इज्जत की लड़ाई नहीं बनाएं और यदि किसान नहीं चाहते हैं तो उन्हें वापस ले लें। उन्होंने कहा कि अगर विपक्ष के लोग किसानों से मिलने गए थे तो मामले का हल निकालने के लिए गए थे। अगर वे किसानों से मिल लेते तो सरकार का क्या चला जाता।
उन्होंने जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने का उल्लेख करते हुए सरकार की धार्मिक भेदभाव वाली नीति की आलोचना की। उन्होंने कहा, जो सिर का ताज था, उसके टुकड़े कर दिए। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त 2019 को जो किया गया, अगर हम से पूछ के कर लेते तो.. अकेले कर लिया। उन्होंने कहा कि हम भी देश का हिस्सा हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सहित विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की आवाज़ उठाई थी।(वार्ता)