चंडीगढ़। केंद्र के 3 विवादास्पद कृषि कानूनों को संसद द्वारा निरस्त किए जाने के शीघ्र बाद हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इन कानूनों के खिलाफ करीब सालभर चले आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज सभी मामले वापस लिए जाने की सोमवार को मांग की।
कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ 48 हजार से अधिक मामले दर्ज किए जाने का दावा करते हुए हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने भी किसानों पर दर्ज मामले वापस लेने की मांग की।
संसद ने तीनों कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए सोमवार को कृषि कानून निरसन विधेयक,2021 पारित किया।हुड्डा ने तीनों कानूनों के निरस्त होने पर कहा, देर आए, दुरूस्त आए। हुड्डा ने कहा, हम शुरू से कहते आ रहे थे कि ये कानून किसानों के हित में नहीं हैं। अब चूंकि इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया है इसलिए किसानों के खिलाफ मामले भी वापस लिए जाने चाहिए।
हरियाणा विधानसभा में विपक्ष के नेता हुड्डा ने कहा कि फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए एक कानून बनाने सहित किसानों की अन्य मांगें भी पूरी की जाएं। उन्होंने कहा कि एमएसपी को कानूनी गारंटी देने में कोई हिचक नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसानों का सरकार द्वारा हरसंभव तरीके से सहयोग करने की जरूरत है।
उन्होंने इन कानूनों के खिलाफ सालभर लंबे आंदोलन के दौरान 700 से अधिक किसानों की मौत होने का भी उल्लेख किया। कांग्रेस नेता ने मांग की कि इन मृतकों में हरियाणा से ताल्लुक रखने वालों को राज्य सरकार द्वारा शहीद का दर्जा और उनके निकट परिजन को नौकरी दी जाए।
वहीं, चढूनी ने कहा, 700 से अधिक किसानों की जान चली गई। उनके निकट परिजन को मुआवजा दिया जाना चाहिए। कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने के बाद उनकी भविष्य की रणनीति के बारे में पूछे जाने पर चढूनी ने कहा, हम कहना चाहते हैं कि यदि सरकार स्पष्ट इरादे के साथ हमारे मुद्दों का समाधान करना चाहती है तो उसे एमएसपी की कानूनी गारंटी देने सहित अन्य मांगों पर फैसला करना चाहिए ताकि किसान अपने घर लौट सकें।
इस बीच, हुड्डा ने हरियाणा में डेंटल सर्जन भर्ती में हुए घोटाले की पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के एक मौजूदा न्यायाधीश से जांच कराने की भी मांग की।(भाषा)