नई दिल्ली। दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधन समिति (डीएसजीएमसी) ने शहर के सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों को बारिश से बचाने के लिए तंबुओं में अस्थायी ऊंचे बिस्तर उपलब्ध कराए हैं। संगठन द्वारा लगाया गया तंबू मुख्य मंच के ठीक पीछे हैं और राजमार्ग के ढलान वाले हिस्से पर था जिससे यहां बारिश में जलभराव का खतरा बना रहता है।
खराब मौसम की आशंका के मद्देनजर डीएसजीएमसी ने पिछले हफ्ते जमीन पर बिछे गद्दों की जगह लकड़ी के तख्त लगवा दिए थे और उन पर कपड़ा लगाकर फिर गद्दे बिछाए गए थे। दिल्ली-हरियाणा सीमा पर 1 दिसंबर से ही डेरा डाले जालंधर के जसविंदर सिंह ने कहा कि यह शिविर ढलान वाली जमीन पर था इसलिए जब बारिश हुई तो तंबू के अंदर पानी भर गया। शुक्र है कि बिस्तरों का इंतजाम पहले कर लिया गया था।
गिरते तापमान के बारे में पूछे जाने पर उनके साथ शिविर में रह रहे गुरमीत सिंह ने कहा कि अभी ज्यादा ठंड नहीं है। लुधियाना से आए किसान ने कहा कि हम पंजाब से हैं, हमें और अधिक ठंडे मौसम की आदत है। यह हमारे लिए ज्यादा ठंड नहीं है। डीएसजीएमसी के अध्यक्ष मनजिंदर सिंह के मुताबिक संगठन ने सिंघु, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर के प्रदर्शन स्थलों पर जुटे लोगों के लिए ऐसे करीब 1,200 बिस्तर उपलब्ध कराए हैं।
उन्होंने कहा कि हमें मौसम की चिंता है। यह सुनिश्चित करने के लिए जमीन पर पड़े गद्दे भीग न जाएं, हमने इन अस्थायी बिस्तरों का इंतजाम किया, जो ऊंचे हैं और नीचे बारिश का पानी भर भी जाएगा तो इन पर असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि संगठन अगले कुछ दिनों में किसानों की मदद के लिए टीकरी और सिंघु बॉर्डर पर बिस्तरों वाली बस भी उपलब्ध कराएगा जिससे बारिश के बावजूद किसान अपनी लड़ाई जारी रख सकें।
उन्होंने कहा कि हमने आमतौर पर स्कूल और कॉलेजों से संबद्ध अपनी बसों को आश्रय देने के काम में लगाने का फैसला किया है। हमने सीटों की जगह बिस्तर लगा दिए हैं जिससे किसान उनमें सो सकें। इससे बारिश और ठंड से भी बचाव होगा। (भाषा)