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किसान आंदोलन : प्रदर्शन स्थलों पर भीड़ घटी, किसान नेताओं ने कहा- आंदोलन अब भी मजबूत

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, गुरुवार, 28 जनवरी 2021 (22:59 IST)
नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ‘ट्रैक्टर परेड’ के दौरान राष्ट्रीय राजधानी में हुई हिंसा की घटना के 2 दिन बाद गुरुवार को दिल्ली के सिंघू बार्डर और टीकरी बार्डर पर स्थित प्रदर्शन स्थलों पर अपेक्षाकृत भीड़ कुछ कम दिखाई दी। हालांकिकिसान संगठनों ने कहा है कि ऐसा इसलिए नजर आ रहा है क्‍योंकि 26 जनवरी की परेड में शामिल होने के लिए यहां आए लोग अपने-अपने घर लौट गए हैं।

केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के तीन मुख्य प्रदर्शन स्थलों (सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बार्डरों) पर अब एहतियाती कदम उठाते हुए अतिरिक्त पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। गौरतलब है कि किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान हुई हिंसा की घटना में 394 पुलिसकर्मी घायल हो गए और एक प्रदर्शनकारी की मौत हो गई।

सिंघू बार्डर पर गणतंत्र दिवस या इससे पहले की तुलना में गुरुवार को अपेक्षाकृत कम भीड़ नजर आई। यह एक प्रमुख प्रदर्शन स्थल रहा है जहां दो महीने से अधिक समय से हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी किसान डेरा डाले हुए हैं।

किसानों ने कहा कि ट्रैक्टरों और प्रदर्शनकारियों की संख्या कम नजर आने का कारण यह है कि जो लोग 26 जनवरी की ट्रैक्टर परेड में शामिल होने के लिए दिल्ली आए थे वे अपने-अपने घर लौट गए हैं। ऑल इंडिया किसान सभा के महासचिव बलदेव सिंह ने कहा, तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखने के हमारे जज्बे में कोई कमी नहीं आई है। सच तो यह है कि सिंघू सच्चाई नहीं देखे जाने के कारण ही खाली नजर आ रहा है।

उन्होंने कहा, दरअसल परेड की तैयारी को लेकर काफी संख्या में लोग थे, लेकिन अब वे लोग लौट गए हैं, इसलिए भीड़ कम नजर आ रही है। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर घोषणा की थी कि ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने वाले सभी किसान यहीं रूकेंगे और उनके ठहरने के लिए इंतजाम किए जाएंगे।

सिंह के मुताबिक, भीड़ इसलिए भी कम नजर आ रही है कि शुरूआत से ही प्रदर्शनकारी यहां डेरा डाले हुए थे और उन्होंने घर लौटने से पहले गणतंत्र दिवस तक इंतजार किया। उन्होंने कहा, लेकिन फिर उनके परिवार के कुछ सदस्य प्रदर्शन में हमारे साथ शामिल हो गए। प्रदर्शन मजबूत हो रहा है।

पंजाब किसान यूनियन के जिला प्रमुख अश्विनी कुमार ने कहा कि तीनों कानूनों को रद्द करने की आंदोलन की मांग उनका एकमात्र एजेंडा है और इसे पूरा होने तक वह सिंघू बार्डर से हटने नहीं जा रहे हैं। भारतीय किसान यूनियन (एकता उगराहां) के प्रमुख जोगिंदर सिंह उगराहां ने कहा कि कई लोग ट्रैक्टर परेड में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे और वे अब अपने घर लौट गए हैं। यही कारण है कि भीड़ कुछ कम नजर आ रही है।

उगराहां का संगठन टीकरी बार्डर पर प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहा है। सिंघू बार्डर पर शायद लोगों की भीड़ कम होने के चलते ही कई सेवा प्रदाताओं ने लंगर और किसान मॉल आदि अस्थाई तौर पर बंद कर दिए हैं। हालांकि वहां कई लोगों ने इस बात को खारिज कर दिया कि भीड़ कम होना इसकी वजह है। उन्होंने कहा कि चूंकि सेवा प्रदाता आपूर्ति के लिए फिर से भंडार भर रहे हैं इसलिए ये सेवाएं फिलहाल अनुपलब्ध हैं।

पंजाब के पटियाला निवासी गुरजीत सिंह ने कहा कि आंदोलन मजबूत बना रहेगा। वह नवंबर में 20 लोगों के जत्थे में सिंघू आए थे और अभी वहां सिर्फ पांच ही बचे हैं। उन्होंने कहा, कई लोग जरूरी काम से घर लौटे हैं। जैसे कि एक व्यक्ति अपनी बहन की शादी में गया है, जबकि एक व्यक्ति इलाज के लिए गया है।

उल्लेखनीय है कि एक फरवरी को किसानों का संसद मार्च टाल दिया गया है और किसान नेता भविष्य की रणनीति तैयार करने में जुटे हुए हैं। बलदेव सिंह ने कहा कि महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर 30 जनवरी को उपवास रखा जाएगा।(भाषा)

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