नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने गुरुवार को तीन कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों की आलोचना करते हुए उन्हें मवाली करार दिया।
उन्होंने यह टिप्पणी किसानों के प्रदर्शन के दौरान हुई कथित हिंसा के बारे में पूछे गए सवाल पर की। टिप्पणी पर विवाद खड़ा होने के बाद लेखी ने ट्वीट किया कि उनकी बात को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया है और यदि कोई आहत हुआ है तो वे अपने शब्द वापस लेती हैं।
भाजपा मुख्यालय में संवाददाता सम्मेलन के दौरान एक पत्रकार ने जब किसानों का संदर्भ दिया, जिन्होंने जंतर-मंतर पर प्रदर्शन को कवर करने के दौरान कथित तौर पर कैमरामैन पर हमला किया तो लेखी ने कहा, आप उन्हें किसान कहना बंद करें, वे किसान नहीं हैं। वे कुछ साजिशकर्ताओं के हाथों में खेल रहे हैं। किसानों के पास जंतर-मंतर पर बैठने का समय नहीं है। वे खेतों में काम कर रहे हैं। उनके (प्रदर्शनकारियों के) पीछे बिचौलिये हैं, जो नहीं चाहते कि किसानों को लाभ मिले। उन्होंने 26 जनवरी को प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा का हवाला देते हुए कहा कि वे प्रदर्शनकारी, किसान नहीं थे।
एक प्रमुख हिंदी चैनल के कैमरामैन पर हमले और 26 जनवरी की हिंसा के सवाल पर लेखी ने कहा कि आप ने फिर उन्हें किसान कहा। वे मवाली हैं। उन्होंने कहा कि ऐसे हमले आपराधिक घटनाएं हैं, जिनपर संज्ञान लिया जाना चाहिए।
पुलिस के मुताबिक बृहस्पतिवार को जंतर मंतर पर कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक स्वतंत्र पत्रकार के कथित हमले में एक कैमरामैन घायल हो गया। पुलिस ने बताया कि घायल कैमरामैन की पहचान नागेंद्र के तौर पर हुई है और उस पर प्रभजोत सिंह नामक स्वतंत्र पत्रकार ने हमला किया था।