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बच्चों ने ज्यूस पिलाकर खत्म करवाया किसानों का अनशन, राकेश टिकैत ने UP सरकार को दी चेतावनी

किसानों के बीच गुल्लक लेकर पहुंचे बच्चे

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हिमा अग्रवाल

, सोमवार, 14 दिसंबर 2020 (20:34 IST)
कृषि अध्यादेश के खिलाफ देशभर के किसानों में गुस्सा है। मोदी सरकार के 3 कानूनों को वापस लेने के लिए किसान पिछले 19 दिनों से यूपी बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे है। इसी कड़ी में आज 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने सुबह 8 से शाम 5 बजे तक भूख हड़ताल की थी। यूपी की सीमाओं पर डटे किसानों के बीच कुछ छोटे बच्चे अपनी गुल्लक लेकर पहुंच गए और अपने हाथों से शाम 5 बजे किसानों का अनशन ज्यूस पिलाकर समाप्त करवाया।
किसानों के बीच पहुंचे बच्चों ने गुल्लक में जमा पॉकेटमनी किसान आंदोलन के लिए समर्पित कर दी। बच्चों के प्यार को देखकर किसान भावविभोर हो गए और उन्हें गले लगा लिया। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने मीडिया से रूबरू होते हुए कहा कि किसान आंदोलन तब तक जारी रहेगा, जब तक सरकार कृषि कानून वापस नही लेती है।
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टिकैत ने यूपी पुलिस को आड़े हाथ लेते हुए खुली चेतावनी दी है कि यदि किसानों का उत्पीड़न किया गया, गिरफ्तार किया गया या उन्हें किसान आंदोलन में आने से रोकने के लिए ट्रैक्टर-ट्रॉली पकड़ी गई तो इसका खामियाजा खुद पुलिस भुगतेगी।
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किसानों के ट्रैक्टर ट्रॉली जिस थाने में रोकी जाएगी, वहां हमारे स्थानीय कार्यकर्ता थाने, चौकियों का घेराव करेंगे और अपने पशुओं को बांध देंगे। वहीं के थाने का घेराव किया जाएगा। इतना ही नहीं, किसान दिल्ली जाने वाली सड़कों पर तब जाम लगाकर रखेगा, जब तक हमारे ट्रैक्टर-ट्रॉली पुलिस नहीं छोड़ेगी।
 
टिकैत ने साफ किया कि भ्रांति फैलाई जा रही है कि चिल्ला बॉर्डर पर बैठे आंदोलनकारी किसान उठ गए हैं, जो किसान आंदोलन से उठे हैं, उनसे हमारा कोई लेना-देना नही है। कुछ किसान संगठन सरकार के सरकारी संगठन होते है, उनसे हमारा कोई मतलब नही है, जिसे उठना है उठ जाए, हम तो यहीं डटे हैं और कृषि कानून वापस होने तक यहीं डटे रहेंगे।
 
अनशन खत्म होने के बाद राकेश टिकैत ने मीडिया के माध्यम से किसानों को शरारती तत्वों से सतर्क रहने की हिदायत दी। उन्होंने कहा कि आंदोलन के बीच कोई गलत तत्व न आने पाए, जिससे हमारा आंदोलन प्रभावित हो। हमारे आंदोलन को खत्म कराने के लिए सरकार कानून को वापस ले, रास्ते खुल जाएंगे।
सरकार किसानों से खुले दिल से बात करें और काला कानून वापस ले। किसान न तो अमार्यादित हैं और न सरकार विरोधी। हमारे किसानों का आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और चलेगा, लेकिन यदि सरकार दमन करती है या हंगामा चाहती है वह खुद ही तय करे।

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