नई दिल्ली। एक तरफ कृषि कानून वापस लेने के लिए किसान आंदोलन कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार उन्हें सुविधा देने के लिए नई योजना बना रही है। सरकार किसानों का डाटा बैंक जल्द तैयार करेगी जिससे मिट्टी की जांच, बाढ़ की चेतावनी, उपग्रह की तस्वीरें, जमीन का राजस्व रिकॉर्ड आदि की जानकारी घर बैठे मिलेगी।
कृषि मंत्री नरेंद्रसिंह तोमर ने शनिवार को कहा कि किसानों और कृषि क्षेत्र को समृद्ध बनाने के लिए केंद्र सरकार चौतरफा प्रयास कर रही है। इस दिशा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं, जिनका लाभ किसानों को मिलना प्रारंभ भी हो गया है।
सरकार आधुनिक प्रौद्योगिकी के माध्यम से भी किसानों को फायदा पहुंचा रही है। तोमर ने यह बात ईलेट्स टेक्नोमीडिया द्वारा आयोजित तीन दिवसीय नॉलेज एक्सचेंज समिट के दसवें संस्करण का शुभारंभ करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि किसानों की माली हालत सुधरे, कृषि क्षेत्र फायदे में आए और नई पीढ़ी खेती की ओर आकर्षित हो। देश में कृषि सुधारों पर आयोजित इस समिट में तोमर ने कहा कि कृषि और संबंध क्षेत्रों में बीते कुछ समय में कई नए आयाम जुड़े हैं।
प्रधानमंत्री ने इस क्षेत्र को प्राथमिकता पर रखा है, गांव-गरीब-किसानों का राज्यों के साथ मिलकर विकास प्रमुख लक्ष्य है, जिसे पाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। हमारे गांव और कृषि क्षेत्र बरसों से इस देश की ताकत रहे हैं, जिन्हें और मजबूत करने पर सरकार पूरी तरह ध्यान दे रही है।
उन्होंने कहा कि इसी कड़ी में आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत 1 लाख करोड़ रुपए के कृषि आधारभूत संरचना कोष की ऐतिहासिक शुरुआत हो चुकी है। इसका उपयोग गांवों में कृषि संरचना तैयार करने में किया जाएगा। इस कोष से कोल्ड स्टोरेज, वेयरहाउस, साइलो, ग्रेडिंग और पैकेजिंग यूनिट्स लगाने के लिए लोन दिया जाएगा।
तोमर ने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों के विकास हेतु 10 हजार करोड़ रुपए के निवेश का प्रावधान किया गया है। जब गांव-गांव में आधारभूत संरचना होगी तो किसान उपज को कुछ समय रोककर बाद में उचित मूल्य पर बेचने में सक्षम होंगे। छोटी फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स गांव-गांव खुलने से किसानों को लाभ मिलेगा, रोजगार के अवसर खुलेंगे और किसानों को अपनी फसल का वाजिब दाम मिलना प्रारंभ होगा।
एक और महत्वपूर्ण स्कीम 10 हजार किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) बनाने की प्रारंभ की गई है, जिस पर केंद्र सरकार 6,850 करोड़ रुपए खर्च करेगी। इनके माध्यम से छोटे-मझौले किसानों, जिनकी निवेश की शक्ति कम होती है, रकबा छोटा होता है और वे महंगी फसलों के लिए निवेश करने में सक्षम नहीं होते है, उन्हें संगठित किया जाएगा।
उनके खेती के खर्चों में कमी आएं, उन्हें आधुनिक तकनीकों का लाभ मिले, उनके लिए मार्केटिंग की सुविधा विकसित हो और इन सबसे उनकी आय बढ़े। नए एफपीओ को क्रांतिकारी कदम के रूप में माना जा रहा है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि कृषि से संबद्ध सेक्टरों के लिए लगभग 50 हजार करोड़ रुपए के पैकेजों सहित अन्य उपाय भी किसानों एवं कृषि क्षेत्र की समृद्धि के लिए सरकार ने किए है, जिन पर अमल प्रारंभ हो चुका है।
प्रधानमंत्री की दूरगामी सोच के अनुरूप, सरकार ने किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने, किसानों की आय बढ़ाने एवं उनके जीवन स्तर में आमूलचूल बदलाव लाने के उद्देश्य से नए कृषि कानून बनाए हैं, जिनसे सिर्फ और सिर्फ किसानों के हितों का संरक्षण किया गया है।
हमारा लक्ष्य है देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़े, जिसने कोरोना संकट के दौरान भी अच्छा प्रदर्शन किया है। सरकार की सारी योजनाओं का लाभ इस दौरान किसानों को मिला है और समूचे कृषि क्षेत्र ने अपनी प्रासंगिकता को सिद्ध किया है।
तोमर ने कहा कि वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के साथ ही युवाओं को खेती की ओर आकर्षित करने तथा रोजगार के अवसर बढ़ाने के लिए ठोस कदम उठाए जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में कृषि एवं किसान कल्याण के लिए बीते छह साल से अधिक समय में जितने कार्य किए गए हैं, पहले कभी- किसी भी सरकार में इस प्रकार की पहल सफलतापूर्वक संपन्न नहीं हुई।
किसानों की माली हालत सुधारने के लिए सरकार द्वारा प्रारंभ की गई पीएम-किसान सम्मान निधि योजना में किसानों को हर वर्ष छ: हजार रुपए की मदद सीधे उनके बैंक खाते में दी जाती है। अभी तक लगभग साढ़े 10 करोड़ किसानों को लगभग एक लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना किसानों के लिए बड़ा सुरक्षा कवच है। इस स्कीम में बीते साढ़े तीन साल में किसानों ने करीब 17 हजार 738 करोड़ रुपए प्रीमियम भरी थी, जबकि उनके दावों के भुगतान के रूप में पांच गुना राशि यानी लगभग 87 हजार करोड़ रुपए किसानों को दिए गए हैं। (वार्ता)