नई दिल्ली। सरकार ने गुरुवार को दुहराया कि वह आंदोलनकारी किसान संगठनों के उठाए गए सभी मुद्दों का तर्कपूर्ण समाधान करने के लिए तत्पर है।
सरकार ने संयुक्त किसान मोर्चा के कल भेजे गए पत्र के उत्तर में कहा है कि किसान संगठनों द्वारा उठाए गए सभी मौखिक और लिखित मुद्दों पर वह सकारात्मक रुख अपनाते हुए वार्ता करने के लिए तैयार है।
सरकार के लिए देशभर के तमाम किसान संगठनों के साथ वार्ता का रास्ता खुला रखना आवश्यक है। सभी किसान संगठनों के साथ सरकार बहुत ही सम्मानजनक तरीके से और खुले मन से कई दौर की वार्ता की गई है और आगे भी सुविधानुसार वार्ता की पेशकश है।
सरकार ने कहा है कि कृषि सुधार से संबंधित तीनों कानूनों का न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद से कोई संबंध नहीं है और न ही इन कानूनों के आने से पूर्व से जारी न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद व्यवस्था का कोई प्रभाव है।
इस बात का उल्लेख वार्ता के हर दौर में किया गया और यह भी स्पष्ट किया गया कि सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की वर्तमान व्यवस्था को लागू रखने के संबंध में लिखित आश्वासन देने को तैयार है।
सरकार ने कहा है कि वह साफ नीयत तथा खुले मन से आंदोलन को समाप्त करने एवं मुद्दों पर वार्ता करती रही है और आगे भी इसके लिए तैयार है। किसान संगठन अपनी सुविधानुसार तिथि और समय बताएं। जिन मुद्दों पर वार्ता करना चाहते हैं, उनका विवरण दें। यह वार्ता मंत्री स्तरीय समिति के साथ आयोजित की जाएगी। वार्ता के लिए पत्र की प्रति 40 किसान संगठनों को भेजी गई है।
गौरतलब है कि किसान संगठन लगभग एक माह से कृषि सुधार कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सरकार के साथ किसान संगठनों की पांच दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन दोनों पक्ष अपने अपने तर्क पर अड़े हुए हैं। (वार्ता)