नई दिल्ली। राज्यसभा में शुक्रवार को विपक्ष ने एक बार फिर नए कृषि कानूनों को लेकर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सरकार को घेरा और इन कानूनों को वापस लेने की मांग की। इसके साथ ही विभिन्न विपक्षी दलों के सदस्यों ने 26 जनवरी को लाल किले में राष्ट्रीय ध्वज का अपमान किए जाने की घटना की जांच कराए जाने पर भी बल दिया। किसान आंदोलन से जुड़ी हर जानकारी...
12:36 PM, 5th Feb
-कृषि मंत्री ने कहा कि किसानों की जमीन कोई नहीं ले सकता।
-संशोधन के प्रस्ताव का यह मतलब नहीं कि कानून में कुछ गलत है।
-विपक्ष बताए कि इस कानून में काला क्या है?
-कृषि मंत्री ने किसानों से भी पूछा कि कृषि कानून में काला क्या है?
-एक राज्य के किसानों को गलतफहमी।
-कांग्रेस खून से खेती करना जानती है, भाजपा नहीं।
-किसानों को जमीन के मामले में बरगलाया है।
12:22 PM, 5th Feb
-किसानों के हित में काम कर रहे हैं।
-खाद्यान्न के क्षेत्र में आत्मनिर्भर।
-आज MSP पर फसल की ज्यादा खरीद हो रही है।
-86 प्रतिशत छोटे किसानों के लिए सिंचाई की सुविधा बढ़ाई।
12:14 PM, 5th Feb
-10 करोड़ से ज्यादा लोगों को मनरेगा में रोजगार।
-मनरेगा को हमने बहुउपयोगी बनाया। आज मजदूरों के खाते में सीधे पैसा आता है।
-हमारी सरकार ने पंचायतों को मजबूत किया।
-पंचायतों को 2 लाख 80 हजार करोड़ रुपए देंगे।
12:05 PM, 5th Feb
-कृषि मंत्री ने कहा कि मोदी सरकार गांव, गरीब और किसान के लिए प्रतिबद्ध।
-देश के विकास में पिछली सरकार का भी योगदान।
-गांव के विकास के लिए सरकार काम कर रही है।
11:59 AM, 5th Feb
-कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा, कोरोनाकाल में सरकार ने अभूतपूर्व काम किए।
-पिछला साल मुश्किलों से भरा रहा।
-कोरोना से अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई।
-महामारी से निपटने के लिए सरकार ने बड़े फैसले किए।
11:49 AM, 5th Feb
-कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने अपनी बात पंजाबी में रखी। उन्होंने कहा कि सितंबर माह में तीनों कृषि कानून पारित किए गए।
-उन्होंने कहा कि तब भी मैंने इन कानूनों को किसानों का डेथ वारंट बताया था। मेरी बात सही निकली। यह कानून कुछ बड़े कारपोरेट घरानों को लाभ देने के लिए लाए गए हैं।
-उन्होंने कहा कि कोविड-19 का कहर पूरी दुनिया पर टूटा। अर्थव्यवस्था तबाह हो गई, लोगों की नौकरियां चली गईं, प्रवासी मजदूर बेहाल हो गए। ऐसे में सरकार को इन कानूनों को लाने की क्या जल्दी थी ? क्या कुछ समय तक इंतजार नहीं किया जा सकता था? ये कानून किसानों के हित में तो हैं ही नहीं। फिर इन्हें जल्दबाजी में अध्यादेशों का रास्ता चुन कर क्यों लाया गया?
-बाजवा ने कहा कि 1971 में बांग्लादेश के लिए हुई लड़ाई में पाकिस्तान के 93 हजार युद्धबंदी हमारे पास थे। हमने दो साल तक उनके खाने पीने रहने का इंतजाम किया। लेकिन आज आपने अपने ही किसानों का बिजली, पानी बंद कर दिया। यह क्या है? किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था कि महात्मा गांधी के देश में यह सब होगा।
-कल 12 दलों के नेता गाजीपुर गए, उन्हें पुलिस ने अंदर जाने नहीं दिया। क्या यह लोकतंत्र है?
11:48 AM, 5th Feb
-चर्चा में हिस्सा लेते हुए भाजपा के डॉ विनय पी सहस्रबुद्धे ने कहा कि किसानों के मुद्दे पर सरकार को अहंकार छोड़ने की बात कही जाती है लेकिन सरकार ने लगातार बातचीत की पेशकश की और तीनों नए कृषि कानूनों को डेढ़ साल तक निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। हम अभी भी बात करने के लिए तैयार हैं। यह लचीलापन नहीं तो और क्या है।
-उन्होंने कहा कि अभी कुछ ही राज्यों के किसान धरने पर बैठे हैं। अगर मान लीजिये कि अलग अलग जगहों पर बड़ी संख्या में लोग धरने पर इसी तरह बैठ जाएं तो क्या इसका मतलब यह है कि हम गृह युद्ध चाहते हैं। सदन को गंभीरता से लिया जाना चाहिए और ऐसी टिप्पणियां करने से बचना चाहिए। जिन लोगों ने पहले ऐसे कानूनों की मांग की थी, आज वे ही इनका विरोध कर रहे हैं।
-सहस्रबुद्धे ने कहा कि पहले कई जिले पिछड़े हुए थे लेकिन सरकार ने जमीनी स्तर पर समस्याओं की पहचान कर, समय रहते विकास के लिए राशि जारी की और ये जिले अब मुख्यधारा से जुड़ गए हैं।
-हमने विकास के लिए यह नहीं सोचा कि कौन से राज्य में कौन से दल की सरकार है। और यह सब काम से संभव हुआ है। हमने अधिकारों का विकेंद्रीकरण किया है।
11:38 AM, 5th Feb
-संसद पहुंचे केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, राज्यसभा में कृषि कानूनों पर रखेंगे अपनी बात।
New Delhi: Union Agriculture Minister Narendra Singh Tomar reaches Parliament. pic.twitter.com/GXbvaPZWPN
-राज्यसभा में कुछ ही देर में जवाब देंगे कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर।
11:08 AM, 5th Feb
-शिवसेना नेता संजय राउत ने आरोप लगाया कि किसानों के आंदोलन को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है और किसानों के लिए खालिस्तानी, आतंकवादी जैसे शब्दों का उपयोग किया जा रहा है।
-राष्ट्रपति अभिभाषण पर पेश धन्यवाद प्रस्ताव पर सदन में आगे हो रही चर्चा में भाग लेते हुए राउत ने आरोप लगाया कि सरकार अपने आलोचकों को बदनाम करने का प्रयास करती है और किसान आंदोलन के साथ भी ऐसा ही किया जा रहा है।
-शिवसेना सदस्य ने आरोप लगाया कि सरकार सवाल पूछने वाले को देशद्रोही बताने लगती है। उन्होंने कहा कि लोकसभा सदस्य शशि थरूर सहित कई लोगों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किया गया है।
-राउत ने 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर हुई घटना और राष्ट्रीय ध्वज के अपमान का जिक्र करते कहा कि वह दुखद घटना है। लेकिन इस मामले में असली आरोपियों को नहीं पकड़ा गया है और निर्दोष किसानों को गिरफ्तार कर लिया गया है।
11:08 AM, 5th Feb
-बसपा के सतीश चंद्र मिश्र ने कहा कि सरकार किसानों के आंदोलन को रोकने के लिए खाई खोद रही है और पानी, खाना, शौचालय जैसी सुविधाएं बंद कर रही है जो मानवाधिकार हनन है। उन्होंने कहा कि सरकार किसानों पर नए कृषि कानून नहीं थोप सकती।
-मिश्र ने कहा कि सरकार नए कानूनों को डेढ़ साल के लिए स्थगित करने की बात कर रही है। ऐसे में उसे अपनी जिद छोड़कर इन कानूनों को वापस ले लेना चाहिए।
-उन्होंने कहा कि नए कानूनों में कई खामियां हैं जिनसे किसानों को भय है कि उनकी जमीन चली जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ठेकेदारी के नाम पर जमींदारी व्यवस्था को वापस लाना चाहती है।