Farmers Protest 2024 : 21 फरवरी को करेंगे दिल्ली मार्च, किसान संगठनों ने खारिज किया मोदी सरकार का प्रस्ताव
किसानों को मनाने में नाकाम हुई सरकार
Farmers Protest : किसानों ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को खारिज करते हुए 21 फरवरी को दिल्ली मार्च करने का ऐलान किया है। रविवार देर रात तक चली किसान नेताओं और केंद्रीय मंत्रियों की बैठक बेनतीजा रही थी। संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार के एमएसपी के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। किसान नेताओं ने शंभू बॉर्डर पर प्रेस कॉन्फेंस की।
क्या बोले डल्लेवाल : किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल ने कहा कि हमारे दो मंचों पर (केंद्र के प्रस्ताव पर) चर्चा करने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि केंद्र का प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है और हम इस प्रस्ताव को अस्वीकार करते हैं।
बनाया जाएगा पोर्टल : किसानों के साथ रविवार रात चौथे दौर की बातचीत के बाद केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ और भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ जैसी सहकारी समितियां अरहर दाल, उड़द दाल, मसूर दाल या मक्का का उत्पादन करने वाले किसानों के साथ एक अनुबंध करेंगी ताकि उनकी फसल को अगले पांच साल तक एमएसपी पर खरीदा जाए। उन्होंने कहा था कि खरीद की मात्रा की कोई सीमा नहीं होगी और इसके लिए एक पोर्टल विकसित किया जाएगा।
गोयल ने यह भी प्रस्ताव दिया था कि भारतीय कपास निगम उनके साथ कानूनी समझौता करने के बाद पांच साल तक किसानों से एमएसपी पर कपास खरीदेगा।
23 फसलों पर लागू हो एमएसपी : किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा कि केंद्र सरकार पूरे देश की 23 फसलों पर MSP लागू करें। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव किसानों के हित में नहीं है, इसको हम रद्द करते हैं। उन्होंने कहा कि सरकार की नियत में खोट है। हमें एमएसपी पर गारंटी चाहिए।
शंभू और खनौरी बॉर्डर पर डेरा : फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी सहित विभिन्न मांगों के लिए केंद्र पर दबाव बनाने के लिए किसानों के दिल्ली चलो मार्च को सुरक्षा बलों द्वारा रोक दिए जाने के बाद प्रदर्शनकारी किसान हरियाणा-पंजाब की सीमा पर स्थित शंभू बॉर्डर और खनौरी बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं। पिछले सप्ताह किसानों की सुरक्षा बलों के साथ झड़पें हुई थीं।
क्या हैं किसानों की मांगें : किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी के अलावा स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करने, किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए पेंशन, कृषि ऋण माफी, बिजली दरों में कोई बढ़ोतरी नहीं करने, पुलिस मामलों को वापस लेने , 2021 की लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों के लिए न्याय, भूमि अधिग्रहण अधिनियम, 2013 की बहाली और 2020-21 के आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
क्यों फंसा है पेंच : किसानों और सरकार के बीच बातचीत का पेंच MSP को लेकर ही फंसा है। अनुमान के अनुसार अगर सरकार किसानों की बात मान लेती है तो खजाने पर करीब 10 लाख करोड़ रुपए का भार आ जाएगा।
20 फरवरी तक इंटरनेट बंद : हरियाणा सरकार ने किसानों के दिल्ली चलो मार्च के मद्देनजर सात जिलों में मोबाइल इंटरनेट सेवा एवं एक साथ काफी संख्या में एसएमएस भेजने पर लगी पाबंदी सोमवार को और एक दिन के लिए बढ़ा दी।
राज्य सरकार ने एक आदेश में कहा कि ये सात जिले अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा हैं। इसने इससे पहले, 13, 15 और 17 फरवरी को मोबाइल इंटरनेट सेवाओं के निलंबन की अवधि को बढ़ाया था।
हरियाणा के अतिरिक्त मुख्य सचिव टीवीएसएन प्रसाद ने एक आदेश में कहा कि राज्य में मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के बाद पाया गया कि अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जिंद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा जिले में हालात अब भी गंभीर और तनावपूर्ण हैं...इंटरनेट सेवाओं का दुरुपयोग कर भड़काऊ सामग्री और अफवाहें फैलाकर इन जिलों में सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने तथा कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न किये जाने की आशंका है। भाषा/वेबदुनिया न्यूज Edited By : Sudhir Sharma