Exclusive Interview: मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत मोदी-योगी सरकार के खिलाफ शंखनाद, बोले राकेश टिकैत, ऐतिहासिक होगी महापंचायत
किसान आंदोलन का भविष्य तय करेगी मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत
नए कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों की रविवार (5 सितंबर) को उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में महापंचायत होने जा रही है। नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर बीते 9 महीने से दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा की किसान महापंचायत को मोदी सरकार के खिलाफ अब तक सबसे बड़ा शक्ति प्रदर्शन माना जा रहा है।
मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत किसान आंदोलन में एक अहम पड़ाव माना जा रहा है। दरअसल मुजफ्फरनगर किसान पंचायत के बहाने किसान आंदोलन के चेहरा बने भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत अपना शक्ति प्रदर्शन करने भी जा रहे है।
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत किसान आंदोलन शुरू होने के बाद अपने गृह जनपद मुजफ्फरनगर की सीमा में नहीं गए हैं। राकेश टिकैत कहते हैं कि उन्होंने “बिल वापसी नहीं तो घर वापसी नहीं” का प्रण ले रखा है। इसलिए वह आंदोलन शुरू होने के बाद आज तक मुजफ्फरनगर जनपद की सीमा में नहीं गए। किसान महापंचायत की एक खास बात यह भी है कि किसान आंदोलन के दौरान पहली बार राकेश टिकैत अपने बड़े भाई और भाकियू अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत के साथ मंच साझा करते हुए दिखाई देंगे।
भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता और किसान आंदोलन के सबसे बड़े चेहरा बने राकेश टिकैत से वेबदुनिया ने खास बातचीत की।
किसान अंदोलन की अगुवाई कर रहे राकेश टिकैत कहते हैं कि आंदोलन में 9-10 महीने के बाद एक बड़ी किसान महापंचायत मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर को होने जा रही है। जिसमें आंदोलन की आगे की रूपरेखा बनाई जाएगी। किसान महापंचायत के बाद कृषि कानूनों की वापसी की मांग को लेकर पूरे देश में आंदोलन और सभाएं करने की रूपरेखा तय होगी। इसके साथ ही राकेश टिकैत आगे जोड़ते हैं कि मुजफ्फरनगर में क्या होगा यह क्या पता, आंदोलन के भविष्य के बारे में निर्णय संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में होगा।
किसान महापंचायत को वह केंद्र की मोदी सरकार की नीतियों के साथ-साथ और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार के खिलाफ नया शंखनाद बताते हुए कहते हैं कि आज देश जिस तरह से बिक रहा है, छोटे दुकानदार खत्म हो गए है। महंगाई बढ़ रही है, किसान और मजदूर परेशान है और सरकार की नीतियों के चलते बर्बाद हो रहा है उसे पूरे देश में भाजपा के खिलाफ आंदोलन बढ़ रहा है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले किसान महापंचायत होने के सवाल पर राकेश टिकैत कहते हैं कि मुजफ्फरनगर किसान महापंचायत को सिर्फ योगी सरकार के खिलाफ शंखनाद ही नहीं माना जा सकता। इसके केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ एक शंखनाद माना जाए क्यों किसान आंदोलन पूरे देश के किसानों का आंदोलन है। इसे किसी एक राज्य तक नहीं सीमित किया जा सकता क्योंकि कृषि कानून तो पूरे देश में लागू है।
केंद्र सरकार से बातचीत में बने डेड लॉक पर किसान नेता राकेश टिकैत कहते हैं कि सरकार को बातचीत कर समाधान करना चाहिए। वहीं केंद्र सरकार के इस आरोप पर कि किसान बातचीत के लिए आगे नहीं आ रहे है। वह कहते हैं कि सरकार बातचीत के लिए पत्र तो भेजवाएं, जगह और तारीख तो बताएं हम बातचीत के लिए तैयार है। जैसे बारह दौर की बातचीत हुई, वैसे ही बातचीत के लिए बकायदा चिट्ठी भेजे। सरकार की तरफ से बातचीत का प्रस्ताव आता है तो बातचीत के लिए जाएंगे। सरकार के झुकने के न सवाल पर कहा कि हम आंदोलन के सिवाए कर भी किया सकते है।
बंगाल विधानसभा चुनाव के बाद उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी किसान महापंचायत के सवाल पर कहते हैं कि चुनाव में जो भी करेगी वह तो जनता ही करेगी। जनता ही फैसला लेगी और जनता के फैसले के साथ हम है। कृषि कानून तो पूरे देश में लागू है।
राकेश टिकैत आरोप लगाते हुए कहते हैं कि पांच सितंबर की किसान महापंचायत को सरकार डरी हुई और महापंचायत की तारीख को लेकर अब अफवाह फैलाने का काम कर रही है। ऐसी अफवाह फैल रही है कि मुजफ्फरनगर में पांच सितंबर को होने वाली पंचायत नौ सितंबर को होगी। किसान भाई इस अफवाह पर ध्यान न दें। मुजफ्फरनगर में किसान पंचायत पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के मुताबिक पांच सितंबर को ही होगी और इसकी तैयारी पूरी कर ली गई है।