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कृषि कानून के पक्ष में 3 लाख से ज्यादा किसानों ने हस्ताक्षर कर जताया समर्थन

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, बुधवार, 23 दिसंबर 2020 (21:22 IST)
नई दिल्ली। कृषि सुधार कानूनों के प्रति अपना समर्थन और विश्वास जताते हुए 3 लाख 13 हजार 363 किसानों ने हस्ताक्षर किए हैं। इसे लेकर कन्फेडरेशन ऑफ एनजीओस ऑफ रुरल इंडिया (सीएनआरआई) के राष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल ने बुधवार को कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को किसानों के हस्ताक्षर-पत्र सौंपे।
 
इस अवसर पर तोमर ने कहा कि देशभर में नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों में उत्साह है। लंबे समय से इन सुधारों की आवश्यकता महसूस की जा रही थी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की दृढ़ संकल्पशक्ति का ही परिणाम है कि आज कृषि क्षेत्र में जरूरी सुधारों को हम जमीन पर उतरते देख रहे हैं।
तोमर ने कहा कि कृषि और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बल देना सरकार की प्रतिबद्धता है और आने वाले कल में भी रहेगी। गत 6 वर्षों में कृषि सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। पीएम किसान सम्मान निधि, आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कृषि एवं इससे जुड़े अन्य क्षेत्रों के लिए डेढ़ लाख करोड़ रुपए से ज्यादा के फंड, 10 हजार एफपीओ बनाने की स्कीम, किसानों को मांग के अनुरूप उर्वरकों की आपूर्ति, लागत मूल्य पर कम से कम 50 प्रतिशत मुनाफा जोड़कर एमएसपी प्रदान करने जैसे कई महत्वपूर्ण उपाय किए गए है।
तोमर ने कहा कि कृषि क्षेत्र में कार्य करने वाले विद्वान लगातार इन सुधारों की अनुशंसा करते रहे। इन सुधारों का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना, उन्हें खुले बाजार की स्वतंत्रता प्रदान करना, युवा पीढ़ी को कृषि के क्षेत्र में आकर्षित करना और देश की जीडीपी में कृषि का योगदान बढ़ाना रहा है।
 
477 किसानों ने अपने खून से लिखा पत्र भेजा : हरियाणा में सोनीपत के कुंडली बॉर्डर पर धरनारत 477 युवा किसानों ने बुधवार को अपने खून से लिखे पत्र को राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेज कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग की है।
 
कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए किसानों ने अपने खून से पत्र लिखकर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भेजने की एक नई मुहिम शुरू की है। कुंडली बॉर्डर से 477 युवा किसानों ने अपने खून से लिखा पत्र राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेजा है। किसानों ने पत्र में लिखा है कि तीनों कृषि कानून काले कानून हैं। इससे किसान बर्बाद हो जाएंगे। कॉर्पोरेट के लिए किसानों को तबाह न किया जाए। सरकार जब तक उनकी सुनवाई नहीं करेगी, वे अपने परिवार के साथ बॉर्डर पर ही जमे रहेंगे।
 
 
3 कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का आंदोलन उग्र होता जा रहा है। किसानों ने दिल्ली बॉर्डर के अलावा राष्ट्रीय राजमार्ग-44 पर पर गांव प्रीतमपुरा से आगे जाने का रास्ता बंद कर दिया है। किसानों का कहना है कि वे आंदोलन में बाहरी हस्तक्षेप नहीं चाहते हैं इसलिए धरनास्थल तक केवल किसानों के ही वाहन जा सकेंगे। किसानों ने बुधवार को कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (केजीपी) और कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) के जीरो पॉइंट पर भी नाकाबंदी कर यातायात को अवरुद्ध कर दिया। अब तक केएमपी पर जाने वाले वाहन केजीपी-केएमपी जीरो प्वॉइंट से आगे प्रीतमपुरा मोड़ से केएमपी पर चढ़ जाते थे, लेकिन अब किसानों ने उसे बंद कर दिया गया है। इससे जीरो प्वॉइंट के पास वाहनों की कतार लग गई है।

पुलिस को भारी वाहनों को केजीपी की ओर मार्ग परिवर्तन करने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही है। उन्हें अब पहले केजीपी पर टोल प्लाजा तक जाना होगा, फिर वहां से यू-टर्न लेकर केएमपी की ओर जाना होगा। इससे वाहनों को 3 किलोमीटर का अतिरिक्त चक्कर लगाना होगा और जाम की समस्या से भी जूझना होगा। (वार्ता)

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