दिल्ली को घेरने के लिए किसानों ने खोला दक्षिण का मोर्चा,शाहजहांपुर बॉर्डर पर डाला डेरा
सिंघु,टिकरी,गाजीपुर बॉर्डर के बाद अब शाहजहांपुर बॉर्डर पर किसानों का चक्काजाम
नए कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन का आज 19 वां दिन है। सरकार से अब तक की बातचीत किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचने के कारण किसान संगठनों ने अब अपना आंदोलन और तेज कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चे के बैनर तले अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (AIKSCC) के आह्वान पर राजस्थान और हरियाणा के हजारों किसान ने अब हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर डेरा डाल दिया है।
पुलिस के रोके जाने पर किसानों ने एनएच-8 पर राजस्थान हरियाणा बॉर्डर पर ही डेरा डाल दिया है और कड़ाके की ठंड ने उन्होंने रात वहीं गुजारी। पूरे किसान आंदोलन की अगुवाई कर रहे योगेंद्र यादव कहते हैं कि राजस्थान से दिल्ली जा रहे किसानों को हरियाणा पुलिस ने धारा-144 का हवाला लगाकर रोक दिया है,वह कहते हैं कि पुलिस ने धारा-144 लगाने के पीछे कारण कोविड-19 का संक्रमण बताया है।
योगेंद्र यादव कहते हैं कि अब किसान यहीं धरने पर देंगे। योगेंद्र यादव कहते हैं कि शहाजहांपुर बॉर्डर पर किसानों के धरने के साथ अब दक्षिण से भी मोर्चा खुल गया है। दिल्ली को घेरने के लिए सिंघु बॉर्डर,टिकरी बॉर्डर,गाजीपुर बॉर्डर के बाद अब शहाजहांपुर बॉर्डर पर किसानों के डेरा डालने से एक और मोर्चा खुल गया है।
शहाजहांपुर हाईवे पर किसानों के साथ पूरी रात गुजारने वाले किसान संघर्ष समन्वय समिति राजस्थान के अध्यक्ष डॉ.संजय माधव कहते हैं कि हजारों किसानों ने बॉर्डर पर अपना डेरा डाल दिया है। वह कहते हैं कि आंदोलित किसानों ने अब बॉर्डर पर अपना पड़ाव डाल दिया है और यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि किसान विरोधी काले कानून वापस नहीं लिये जाते हैं। वह आगे की रणनीति पर कहते हैं कि जैसा संघर्ष समन्वय समिति तय करेगी वह वैसा ही करेंगे। अगर समन्वय समिति कहती हैं तो वह दिल्ली की ओर बढ़ेंगे।
इससे पहले रविवार सुबह राजस्थान,हरियाणा और पंजाब के किसान शाहजहांपुर बॉर्डर पर इक्कठा होकर पैदल ही दिल्ली की ओर बढ़े थे लेकिन हरियाणा-राजस्थान बॉर्डर पर तैनात बड़ी संख्या में पुलिस बल ने किसानों को राजस्थान बॉर्डर पर ही रोक लिया। शांतिपूर्ण पैदल मार्च कर रहे किसान हरियाणा पुलिस द्वारा लगाए गए बैरिकेड्स के आगे ही बैठ गए और अपना धरना शुरू कर दिया।धरने पर बैठे किसानों का कहना है कि किसान तब तक शांतिपूर्ण धरने पर बैठे रहेंगे, जब तक केंद्र सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस नहीं ले लेती।