आज ही के दिन यानी 17 सितंबर 2020, ये वो तारीख है, जब संसद में कृषि से जुड़े तीनों कानून पास हो गए थे और जिनके विरोध में पिछले साल नवंबर से शुरू हुआ किसानों का आंदोलन अब तक जारी है। दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान आंदोलन कर रहे हैं। केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के अमल पर उच्चतम न्यायालय ने रोक लगा रखी है। जानिए, इस बीते एक साल में क्या-क्या हुआ...
14 सितंबर, 2020 : कृषि कानूनों पर केंद्र ने अध्यादेश संसद में लाया।
17 सितंबर, 2020 : लोकसभा में अध्यादेश पास हुआ।
3 नवंबर 2020 : नए कृषि कानूनों के खिलाफ छिटपुट विरोध प्रदर्शन और देशव्यापी सड़क नाकेबंदी की गई।
25 नवंबर, 2020 : पंजाब और हरियाणा में किसान संघों ने 'दिल्ली चलो' आंदोलन का आगाज किया।
26 नवंबर, 2020 : दिल्ली की ओर मार्च कर रहे किसानों पर पुलिस ने पानी की बौछारें, आंसूगैस के गोले दागे, लेकिन किसान डटे रहे।
3 दिसंबर 2020 : सरकार ने किसानों के साथ बातचीत करने के लिए फिर से प्रस्ताव रखा। दिल्ली के विज्ञान भवन में हुई इस बैठक में 40 किसान नेता शामिल हुए थे। किसान नेताओं ने कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के साथ बातचीत की।
8 दिसंबर 2020 : किसानों ने भारत बंद का आह्वान किया। देशभर में कई जगहों पर भारत बंद का आयोजन किया गया।
7 जनवरी 2021 : नए कृषि कानूनों का मामला देश की सर्वोच्च अदालत में पहुंचा।
सुप्रीम कोर्ट 11 जनवरी को नए कानूनों और विरोध के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तैयार हुआ।
15 सितंबर, 2021 : किसान आंदोलन के कारण बंद पड़े सिंघु बॉर्डर पर रास्ता खुलवाने के लिए सरकार ने एक प्रदेश स्तरीय समिति का गठन किया।
केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ शिरोमणि अकाली दल आज यानी 17 सितंबर को काला दिवस के रूप में मना रहा है। दिल्ली में पार्टी कार्यकर्ता किसानों के साथ तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर संसद तक विरोध मार्च निकाल रहे हैं।
शिरोमणि अकाली दल ने ब्लैक फ्राइडे नाम दिया है। जबकि सरकार का दावा है कि किसान इस कानून के जरिए अब एपीएमसी मंडियों के बाहर भी अपनी उपज को ऊंचे दामों पर बेच पाएंगे और निजी खरीदारों से बेहतर दाम प्राप्त कर सकेंगे।