नई दिल्ली। राज्यसभा में कांग्रेस सहित विपक्षी दलों ने विवादों में घिरे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग करते हुए बुधवार को सरकार को नसीहत दी कि इस विषय को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया जाना चाहिए। हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से कहा गया कि बातचीत के द्वार खुले हुए हैं तथा यह मामला एक और शाहीन बाग नहीं बने।
उच्च सदन में बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव को लेकर हुई चर्चा के दौरान विभिन्न दलों के सदस्यों ने किसान आंदोलन के मुद्दे पर अपनी राय विस्तार से रखी। इस मामले पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के नेताओं के बीच बनी सहमति के बाद उच्च सदन में इस चर्चा के समय को 10 घंटे से बढ़ाकर 15 घंटे करने के निर्णय की घोषणा सभापति एम. वेंकैया नायडू ने की ताकि सदस्यों को किसान से जुड़े मुद्दे उठाने का समुचित समय मिल सके।
धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा में भाग लेते हुए नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद ने गणतंत्र दिवस के दिन किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान दिल्ली के लाल किले में हुई हिंसा की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि दोषी लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए किंतु निर्दोष किसानों को निशाना नहीं बनाया जाना चाहिए तथा सरकार को प्रतिष्ठा का प्रश्न बनाए बिना नए कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को स्वयं इन कानूनों को वापस लेने की घोषणा करनी चाहिए। उस समय प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे। इसके साथ ही आजाद ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा वापस मिलना चाहिए और वहां विधानसभा चुनाव कराए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की पूर्व की स्थिति में ही वहां विकास हो सकता है।
आजाद ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर सदन में हुई चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वे सरकार से इन कानूनों को वापस लेने का आग्रह करते हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि किसान आंदोलन के दौरान गुम हो गए लोगों का पता लगाने के लिए सरकार को कदम उठाने चाहिए। आजाद ने 26 जनवरी को हुई हिंसा का जिक्र करते हुए कहा कि राष्ट्रीय ध्वज का अपमान बेहद निंदनीय है और पूरा विपक्ष उसकी निंदा करता है और यह लोकतंत्र के खिलाफ है। राष्ट्रीय ध्वज के अपमान को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने उस घटना में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
उन्होंने किसानों को देश की सबसे बड़ी ताकत करार देते हुए कहा कि किसान अंग्रेजों के जमाने से संघर्ष करते रहे हैं और हर बार उन्होंने शासन को झुकने के लिए मजबूर किया। कांग्रेस सांसद शशि थरूर और कुछ पत्रकारों के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा दर्ज किए जाने का जिक्र करते हुए आजाद ने कहा कि जो व्यक्ति देश का पूर्व विदेश राज्यमंत्री रह चुका हो तथा विश्व में देश का नेतृत्व कर चुका हो, जिसे लोगों ने लोकसभा के लिए चुना हो, वह व्यक्ति देशद्रोही कैसे हो सकता है?
इससे पहले भाजपा सांसद भुवनेश्वर कालिता ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया। भाजपा के विजयपाल सिंह तोमर ने प्रस्ताव का समर्थन किया। कालिता ने राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद धन्यवाद पेश करते हुए कहा कि सरकार किसानों का सम्मान करती है। नए कृषि कानूनों के जरिए सरकार ने किसानों को नए अधिकार दिए हैं और उनकी कोई भी सुविधा छीनी नहीं गई है।
सदन की कार्यवाही को बाधित करने की कोशिश कर रहे विपक्षी सदस्यों पर निशाना साधते हुए कालिता ने कहा कि उन्हें याद रखना चाहिए कि तीनों कानून संसद के दोनों सदनों द्वारा चर्चा के बाद पारित किए गए थे। इन महत्वपूर्ण कृषि कानूनों का लाभ करोड़ों लोगों और छोटे किसानों तक पहुंचने लगा है।
कालिता ने कहा कि विपक्षी सदस्य सदन को बाधित करने के लिए इस मुद्दे को उठा रहे हैं लेकिन हम अपने किसानों का काफी सम्मान करते हैं। कृषिमंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और रेलमंत्री पीयूष गोयल किसानों के साथ बातचीत कर रहे हैं और कई दौरों की चर्चा हो चुकी है तथा चर्चा के लिए किसानों की खातिर दरवाजे हमेशा खुले हैं ताकि कृषि कानूनों के इस मुद्दे को सौहार्दपूर्वक हल किया जा सके। सरकार इस संबंध में सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है लेकिन उनकी लोगों से अपील है कि इसे एक और शाहीनबाग नहीं बनाएं।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी में शाहीनबाग संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का प्रमुख केंद्र था। भाजपा सदस्य विजयपाल सिंह तोमर ने धन्यवाद प्रस्ताव का समर्थन करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने किसानों के कल्याण के लिए कदम उठाए हैं। पहले उत्पादन बढ़ाए जाने पर जोर था लेकिन अब किसानों को लाभ देने पर जोर है। फसलों के खेतों से ग्राहकों तक पहुंचने के दौरान बड़ी राशि बिचौलियों के हाथों में चली जाती है। नए कानूनों से ऐसी स्थिति में कमी आएगी और किसानों को अपनी फसलों की बेहतर कीमत मिल सकेगी।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार समाज के वंचित वर्गों को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है और यह सरकार अपने वादों को पूरी तरह से लागू करने में विश्वास करती है।कालिता ने कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) वसूली में वृद्धि हो रही है, क्योंकि सरकार द्वारा किए गए प्रयासों के कारण अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट रही है। भाजपा सदस्य तोमर ने कहा कि कृषि कानून व्यापक विचार-विमर्श के बाद पारित किए गए और कृषि सुधारों को लेकर पिछले 2 दशकों में विशेषज्ञों की कई समितियां बनी हैं।
उन्होंने कृषि कानूनों की आलोचना करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे गलत सूचना फैला रहे हैं। नए कृषि कानूनों से छोटे किसानों और कृषि क्षेत्र को मदद मिलेगी। विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रपति के अभिभाषण पर विभिन्न संशोधन प्रस्ताव दिए। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में 29 जनवरी को अभिभाषण दिया था। (भाषा)